बीजिंग में चल रहे वन बेल्ट वन रोड समिट में भारत की गैर मौजूदगी चीन को जमकर खली. यही वजह रही कि वन बेल्ट वन रोड समिट में भारत की गैर मौजूदगी
चर्चा का विषय बनी रही. चीनी मीडिया ने इस समिट में भारत के हिस्सा नहीं लेने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत बनाए जा रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के चलते भारत ने इस समिट में हिस्सा नहीं लिया.
वहीं, चीनी राष्ट्रपति ने बिना नाम लिए भारत की चिंताओं पर कहा कि सभी देशों को एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए. दरअसल, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के गिलगित से गुजरने वाले CPEC का भारत कड़ा विरोध कर रहा है.
गिलगित, हुंजा, स्कार्दू और घिजर के लोगों ने CPEC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है. जहां एक ओर बीजिंग में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ CPEC की तारीफ कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर गिलगित, हुंजा, स्कार्दू और घिजर में लोग इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि चीन पाकिस्तान की मदद से गिलगित पर कब्जा कर रहा है. चीन गिलगित के संसाधनों का दोहन करने के साथ ही अमेरिका से निपटने के लिए अपना सैन्य ठिकाना बना रहा है. इसके अलावा इस समिट में पाकिस्तानी पीएम के साथ गिलगित-बल्तिस्तान के मुख्यमंत्री के नहीं जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि नवाज शरीफ अपने साथ चार प्रांतों के मुख्यमंत्रियों के ले गए, लेकिन गिलगित-बाल्तिस्तान के किसी नेता को क्यों नहीं ले गए.इसके अतिरिक्त बलोच कार्यकर्ता भी चीन के CPEC के विरोध में हैं.
कश्मीर मुद्दे से दूर रहने के बावजूद भी नहीं आया भारत
चीन इस बात को भलीभांति जानता है कि भारत को शामिल किए बिना वह अपनी इस परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने में सफल नहीं हो सकता है. यही वजह रही कि वन बेल्ट वन रोड समिट में भारत की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय रही. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि चीन कई बार कह चुका है कि भारत के वन बेल्ट वन रोड परियोजना में शामिल होने से कश्मीर मुद्दे पर कोई असर नहीं पड़ेगा. वह इसमें कतई दखल नहीं देगा, लेकिन भारत फिर भी इस समिट में हिस्सा नहीं ले रहा है. हालांकि चीनी अखबार ने यह भी कहा कि भारत के दूरी बनाने के बावजूद इस परियोजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
चीन की मंशा पर संदेश
चीन का कहना है कि वन बेल्ट वन रोड परियोजना 65 देशों को जोड़ेगी, जिससे आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही इन देशों के लोगों के बीच
सांस्कृतिक संबंध मजबूत होंगे. हालांकि इस समिट से भारत समेत इन 44 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने व्यक्तिगत तौर पर हिस्सा लेने से किनारा काटा. इन देशों ने सिर्फ अपने
राजनयिकों को समिट में भेजा. चीन की इस मंशा पर भारत और वियतनाम ही नहीं, बल्कि यूरोपीय देश भी संदेह जता रहे हैं. वन बेल्ट वन रोड समिट में हिस्सा लेने पहुंचे यूरोपीय देशों के राजनयिक चीन की चाल को देखकर खुद को असहज महसूस कर रहे थे. जर्मनी समेत कई देशों ने इस बाबत चीन के वित्तीय गाइड लाइन को स्वीकार नहीं किया.
चीनी राष्ट्रपति ने गोलमेज समिट की अध्यक्षता की
चीन के बीजिंग में चल रहे वन बेल्ट वन रोड समिट के आखिरी दिन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राष्ट्राध्यक्षों के साथ गोलमेज बैठक की. चीनी राष्ट्रपति के अध्यक्षता में आयोजित बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ समेत अन्य नेता मौजूद रहे.
उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण से समिट में तनाव उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण करने से चीन में चल रहे वन बेल्ट वन रोड समिट में माहौल गरमा गया. अमेरिका ने इस मिसाइल परीक्षण को लेकर चीन से उत्तर कोरिया की शिकायत की. इस समिट में उत्तर कोरिया और अमेरिका के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. इसके अलावा रूस ने भी उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण का विरोध करके तनाव बढ़ा दिया.