चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिन तक भारत में रहने के बाद पड़ोसी मुल्क नेपाल पहुंचे थे. 23 साल बाद ये पहला अवसर था जब चीन का कोई राष्ट्राध्यक्ष नेपाल पहुंचा हो. ऐसे में दोनों देशों की ओर से इस यात्रा को यादगार बनाने की कोशिश की गई. चीन ने नेपाल पर बड़ा निवेश करने का ऐलान किया है, इन्हीं में से एक है रासुवागड़ी से नेपाल की राजधानी काठमांडू तक का रोड प्रोजेक्ट, इसको लेकर चीन-नेपाल की सरकार में MoU भी साइन हो गया है.
चीन की ओर से लगातार पड़ोसी देशों में निवेश की कोशिश की जा रहा है और साथ ही अपने देश से उस देश तक सड़क मार्ग बनाने को रफ्तार दी जा रही है. नेपाल-चीन में हुए समझौते के मुताबिक, रासुवागड़ी से लेकर काठमांडू तक जो चीन सड़क बनाएगा, ये दोनों देशों में व्यापार को बढ़ाएगी. क्योंकि रासुवागड़ी चीन के बॉर्डर से बिल्कुल सटा हुआ है. इस सड़क में दो टनल भी होंगी.
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, चीन इस सड़क को दो हिस्सों में बनाएगा, जिसमें पहला 32 किमी. और दूसरा 19 किमी. का स्ट्रैच होगा. इसमें 4 किमी. की सुरंग भी होगी. पहला हिस्सा, टोखा से काठमांडू और दूसरा आगे चीन बॉर्डर से जोड़ देगा.
भारत के पड़ोसियों से दोस्ती बढ़ा रहा चीन!
गौरतलब है कि नेपाल पर चीन की पिछले काफी समय से नज़र रही है. क्योंकि नेपाल से बिल्कुल सटकर तिब्बत का कुछ हिस्सा भी है, जिसपर चीन अपना कब्जा जमाता है. इसके अलावा पाकिस्तान के साथ समझौता करके चीन ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में वन रोड वन बेल्ट बनाने का काम शुरू किया था. भारत की ओर से इस फैसले का विरोध किया गया था.
चीन-नेपाल की दोस्ती से भारत की बढ़ेगी चिंता?
गौरतलब है कि चीन की ओर से लगातार नेपाल में अरबों रुपए का इन्वेस्ट किया जा रहा है, साथ ही चीन कई बड़े प्रोजेक्ट को संभाल रहा है. ऐसे में इसे भारत के लिए चिंता का विषय कहा जा सकता है, क्योंकि कई प्रोजेक्ट में चीन-भारत आमने-सामने रहे थे. हाल ही में चीन-नेपाल की सेनाओं ने साथ में सैन्य अभ्यास भी किया था.