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OBOR पर क्या था मनमोहन सरकार का रुख, कहां जा रही है मोदी सरकार?

यूपीए सरकार ने भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजरने वाले CPEC परियोजना का विरोध किया था, लेकिन मोदी सरकार के मुकाबले मनमोहन सरकार का रुख नरम था. यही वजह थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आते ही OBOR परियोजना को लेकर चीन की चिंता बढ़ गई थी.

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बीजिंग में चल रहे वन बेल्ट वन रोड समिट में नहीं गया भारत
बीजिंग में चल रहे वन बेल्ट वन रोड समिट में नहीं गया भारत

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2013 में वन बेल्ट वन रोड परियोजना का आइडिया पेश करने के साथ ही भारत को इसमें शामिल करने की योजना बना ली थी. लिहाजा चीन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर इस परियोजना में शामिल होने के लिए कई बार दबाव बनाया था. हालांकि भारत शुरू से ही वन बेल्ट वन रोड (OBOR) यानी न्यू सिल्क रोड परियोजना के तहत बन रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के खिलाफ है.

तत्कालीन यूपीए सरकार ने भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजरने वाले CPEC परियोजना का विरोध किया था, लेकिन मोदी सरकार के मुकाबले मनमोहन सरकार का रुख नरम था. यही वजह थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आते ही OBOR परियोजना को लेकर चीन की चिंता बढ़ गई थी. भारत PoK में चीन की CPEC परियोजना को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहने के दौरान फरवरी 2014 में चीन ने कहा था कि भारत वन बेल्ट वन रोड परियोजना में शामिल होने के लिए तैयार है. हालांकि यूपीए सरकार की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई और तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने चुप्पी साध ली थी. इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि मनमोहन सिंह भी चीन की रणनीति को संदेश से देखते थे.

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इसके बाद सत्ता में आई मोदी सरकार ने CPEC को लेकर अपना कड़ा रुख अख्तियार कर लिया और वन बेल्ट वन रोड परियोना में शामिल होने से इनकार कर दिया था. इस पर चीन ने प्रधानमंत्री मोदी पर अपनी पूर्ववर्ती सरकार के फैसले को उलटने का आरोप लगाया था. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने तीन अगस्त 2016 को प्रकाशित एक लेख में कहा कि जब साल 2013 में चीन ने वन बेल्ट वन रोड परियोजना का विचार रखा था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने इसका समर्थन किया था.

इसके साथ ही इस परियोजना में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन मौजूदा पीएम मोदी ने इस मसले पर भारत का रुख मोड़ दिया. चीनी अखबार ने यह भी आरोप मढ़ा था कि मोदी सरकार यूरोपीय देशों के भड़काने और अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस आर्थिक विकास के एजेंडे से दूरी बना रही है. उसका कहना है कि यूरोपीय देश वन बेल्ट वन रोड परियोजना को स्ट्रिंग ऑफ पर्ल यानी भारत को समुद्री मार्ग से घेरने की चीनी साजिश बता रहे हैं, जिसके चलते भारत चीन को संदेह की नजर से देख रहा है.

क्या PAK को अलग-थलग के चक्कर में भारत ने नहीं लिया हिस्सा?

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चीन के दबाव के बावजूद भारत ने वन बेल्ट वन रोड समिट में हिस्सा नहीं लिया, जिसके चलते अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत का यह फैसला सही है? कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने के चक्कर में इस समिट से दूरी बना ली. इनका कहना है कि भारत को जापान से सीखते हुए इस समिट में अपने राजनयिकों को भेजना चाहिए था, ताकि भारत चीन की मंशा और आर्थिक एजेंडे में अपने हित को भलीभांति समझ पाता. इनका कहना है कि चीन की टेक्नोलॉजी काफी एडवांस हैं. ऐसे में अगर भारत चीनी टेक्नोलॉजी को अपनाकर विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ता है, तो इसमें कोई बुराई नहीं है. इनका कहना है कि इस समिट में नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार समेत भारत के अन्य पड़ोसी देश हिस्सा ले रहे हैं. ऐसे में भारत को इससे किनारा नहीं काटना चाहिए.

भारत के बिना नहीं सफल होगा

चीन कुछ विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि चीन भारत को शामिल किए बिना अपनी इस परियोजना को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाएगा. इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि चीन की इस परियोजना का मकसद चीनी प्रभुत्व बढ़ाना है. इस परियोजना के जरिए चीन अपने उत्पादों की सप्लाई कर सकेगा, जिसससे उसकी अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी. चीन इस परियोजना में दूसरे देशों की कंपनियों को टेंडर भी आवंटित करने के मूड में नहीं है. अगर इसे दबाव में आकर टेंडर देना भी पड़ा, तो ज्यादातर हिस्सा चीनी कंपनियों के खाते में ही जाएगा. OBOR समिट में हिस्सा ले रहे यूरोपीय देशों ने भी इस पर संदेह जताया है. इसके अलावा चीन भी इस बात को मानता है कि भारत को शामिल किए बिना इस परियोजना को अंजाम तक पहुंचाना मुश्किल काम है. यही वजह रही कि वन बेल्ट वन रोड समिट में भारत की गैर मौजूदगी चर्चा का विषय रही. हालांकि चीन यह भी कह रहा है कि भारत के नहीं शामिल होने उसकी परियोजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लिहाजा वह भारत पर इसके लिए दबाव नहीं बनाएगा.

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