चीन अपनी नापाक साजिश से बाज नहीं आ रहा है. ऐसे में भारत को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है. डोकलाम और लद्दाख में घुसपैठ करने में विफल रहने के बाद से तमतमाया चीन भारत में फूट डालने का षड्यंत्र रच रहा है. वह जहां एक ओर अलगाववादियों को समर्थन देने की बात कह रहा है, तो दूसरी तरफ डोकलाम और लद्दाख में टकराव के लिए हिंदुत्व को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश कर रहा है.
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा कि भारत हमेशा से तिब्बत की आजादी का समर्थन करता आ रहा है. ऐसे में चीन को भारत पर दबाव बनाने के लिए अलगाववादियों का समर्थन करना चाहिए. इतना ही नहीं, चीनी अखबार ने कहा कि भारत में विभिन्न जाति और धर्म के लोग रहते हैं. साथ ही सभी राज्यों की स्वायत्ता बरकरार है. ऐसे में भारत में फूट डालना आसान है.
उसने कहा कि इससे पहले साल 1947 में भी भारत का विभाजन इसी तरह की फूट के चलते ही हुआ था. अंग्रेज जाने से पहले भारत को दो हिस्सों में विभाजित कर गए. चीनी अखबार ने कहा कि फूट डालने से पहले भारत की जमीनी हकीकत को समझना होगा. ऐसे में भारत को समझने की शुरुआत हिंदुत्व से करनी चाहिए और हिंदुत्व को समझने के लिए ब्रिटिश उपनिवेश के प्रभाव को समझना होगा. इसकी वजह यह है कि भारत में आज भी ब्रिटिशकाल की शासन व्यवस्था है.
चीनी अखबार ने भारतीय लेखक कावालम माधव कनिपल की पुस्तक 'ए सर्वे ऑफ इंडियन हिस्ट्री' का हवाला देते हुए कहा कि भारत का इतिहास हिंदुओं का ही इतिहास है. आज भी भारत में हिंदुओं की जनसंख्या 80 फीसदी है यानी भारतीय का मतलब ही हिंदू हैं. अगर कोई भारत की यात्रा करे, तो उसको हिंदू वर्चस्व का नजारा साफ दिख जाएगा. पीएम मोदी से भयभीत ड्रैगन ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में बीजेपी तेजी से अपना प्रभाव बना रही है और 29 में से 17 राज्यों में बीजेपी या उससे समर्थन वाली सरकारे हैं.