नेपाल ने अमेरिका के सैन्य और सुरक्षा से जुड़े प्रोग्राम स्टेट पार्टनरशिप प्रोग्राम (SPP) में सहयोग करने से मना कर दिया है. अमेरिका का साथ न देने के नेपाल के इस फैसले से चीन काफी खुश है और उसने कहा है कि वो नेपाल सरकार के फैसले का स्वागत करता है. चीन का कहना है कि वो नेपाल के स्वतंत्र विदेश नीति का समर्थन करना जारी रखेगा.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने गुरुवार को एक डेली ब्रीफिंग में कहा कि एक दोस्ताना और करीबी पड़ोसी और रणनीतिक सहयोगी भागीदार के रूप में, चीन नेपाली सरकार के फैसले की सराहना करता है कि वो एसपीपी के साथ आगे नहीं बढ़ा.
उन्होंने कहा कि एसपीपी नेपाल के राष्ट्रीय हितों, लंबे समय से चले आ रहे गुटनिरपेक्षता और संतुलित विदेश नीति के खिलाफ है. उन्होंने कहा, 'चीन संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में नेपाल का समर्थन करना जारी रखेगा. हमारा देश स्वतंत्र और गुटनिरपेक्ष विदेश नीति के प्रति नेपाल की प्रतिबद्धता का भी समर्थन करेगा. चीन नेपाल के साथ मिलकर क्षेत्रीय सुरक्षा, स्थिरता और साझा समृद्धि की रक्षा के लिए काम करने को तैयार है.'
नेपाल ने सोमवार को कहा कि देश के भीतर अमेरिका के साथ एसपीपी साझेदारी को लेकर हो रहे व्यापक विरोध को देखते हुए इस पर अमेरिका के साथ आगे नहीं बढ़ेगा.
नेपाल के इस फैसले ने दिया अमेरिका को झटका
अमेरिका चीन के बढ़ते प्रभाव पर नकेल कसने के लिए हिंद प्रशांत के देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. वो इन देशों के साथ सुरक्षा समझौते कर इस क्षेत्र में अपनी सैन्य पकड़ मजबूत करना चाहता है. नेपाल के साथ एसपीपी सहयोग उसी का एक हिस्सा था. नेपाल ने अमेरिका के साथ ये साझेदारी करने से इनकार कर दिया है जो अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका है.
एसपीपी अमेरिका के नेशनल गार्ड ब्यूरो के प्रशासन के तहत आता है. ये 1990 के दशक में पूर्व सोवियत ब्लॉक के देशों को अमेरिकी राज्यों में नेशनल गार्ड के साथ जोड़ने के लिए स्थापित किया गया था. अमेरिका ने इस भागेदारी में 93 देशों को शामिल किया है. अमेरिकी दूतावास के मुताबिक, एसपीपी के तहत अमेरिकी नेशनल गार्ड और दूसरे देश की संस्था एक-दूसरे की मदद करते हैं. नेशनल गार्ड किसी आपदा के आने पर राहत और बचाव कार्य करता है. हालांकि, एसपीपी को लेकर ये भी कहा जा रहा है कि इसके तहत सैन्य सहयोग भी शामिल है.
नेपाल ने खुद दो बार दिया था एसपीपी में शामिल होने का आवेदन
काठमांडू में अमेरिकी दूतावास के अनुसार, अमेरिका ने नेपाल की तरफ से दो अनुरोधों के बाद 2019 में उसे एसपीपी का हिस्सा बनाया था. नेपाल ने पहली बार 2015 में एसपीपी में शामिल होने के लिए आवेदन किया था क्योंकि उस वर्ष विनाशकारी भूकंप के बाद नेपाल को मानवीय सहायता चाहिए थी. इसके बाद साल 2017 में फिर से नेपाल ने एसपीपी में शामिल होने के लिए आवेदन किया था.
27 अक्टूबर, 2015 के एक पत्र के अनुसार, तत्कालीन नेपाल सेना प्रमुख राजेंद्र छेत्री ने नेपाल के एसपीपी के साथ जुड़ने का अनुरोध किया था. साल 2019 में अमेरिका ने नेपाल को एसपीपी का हिस्सा मान लिया था. लेकिन अब नेपाल की संसद ने एसपीपी के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है.
एसपीपी को लेकर नेपाल में हर तरफ से विरोध के स्वर उठ रहे थे. नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी सीपीएन-यूएमएल के साथ-साथ प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की अपना पार्टी, नेपाली कांग्रेस से भी लोग इसकी आलोचना कर रहे थे. व्यापक आलोचना के बाद नेपाल ने एसपीपी साझेदारी से खुद को अलग कर लिया है.
नेपाल में एसपीपी के आलोचक कह रहे थे कि एसपीपी में शामिल होना चीन के साथ देश के संबंधों के लिए विनाशकारी हो सकता है. वो इसे नेपाल की स्वतंत्र विदेश नीति के लिए भी खतरा बता रहे हैं. चीन नेपाल में भारी निवेश करता है और वो विकास कार्यों में भी नेपाल का साथ देता आया है.
भारत और चीन के बीच स्थित हिमालयी देश नेपाल दोनों पड़ोसी देशों से अपने संबंधों को संतुलित करने की कोशिश करता रहता है. वो अमेरिका के साथ अपने संबंधों को लेकर भी सजग रहता है.