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चीन से जीरो कोविड पॉलिसी हटते ही कोरोना का तांडव, अस्पतालों में भारी भीड़, मरीज फुटपाथ पर कर रहे इंतजार

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि जीरो कोविड पॉलिसी हटने के बाद बीजिंग और कुछ अन्य शहरों के क्लीनिक मरीजों से पट गए हैं. हालात इस कदर बेकाबू हो गए हैं कि अस्पताल से सड़क तक मरीजों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा सकती हैं. लोग अस्पताल में भर्ती होने के लिए घंटों इन कतारों में खड़े होकर इंतजार कर रहे हैं. 

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

चीन की विवादित जीरो कोविड पॉलिसी (Zero Covid Policy) के विरोध में देशभर में हुए प्रदर्शनों ने सरकार को घुटनों के बल ला दिया. नतीजतन सरकार को यह विवादित पॉलिसी वापस लेनी पड़ी. लेकिन जीरो कोविड पॉलिसी को वापस लेने के लगभग पंद्रह दिन बाद देश में कोरोना के हालात बेकाबू हो गए हैं. चीनी राजनयिकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों के पीछे विदेशी ताकतों को जिम्मेदार ठहराया है.

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सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि जीरो कोविड पॉलिसी हटने के बाद बीजिंग और कुछ अन्य शहरों के क्लीनिक मरीजों से पट गए हैं. हालात इस कदर बेकाबू हो गए हैं कि सड़क तक मरीजों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा सकती हैं. लोग अस्पताल में भर्ती होने के लिए घंटों इन कतारों में खड़े होकर इंतजार कर रहे हैं. 

वीडियो में साफतौर पर देखा जा सकता है कि कई मरीज अपनी कार में बैठकर इंतजार कर रहे हैं. ड्रिप लगे मरीजों को अपनी कारों में और क्लीनिक्स के बाहर पार्किंग में इंतजार करते देखा जा सकता है.

ऑमिक्रान के कहर से बड़े पैमाने पर चीन के विदेश मंत्रालय के अधिकारी, बीजिंग के राजनयिक और पत्रकार भी जूझ रहे हैं.

'देश में हो रहे विरोध विदेशी साजिश'

इस बीच एक वरिष्ठ चीनी राजनयिक का आरोप है कि पिछले महीने जीरो कोविड पॉलिसी के विरोध में हुए प्रदर्शन दरअसल कोरोना रोकने में स्थानीय प्रशासन की नाकामी का नतीजा था. लेकिन जल्द ही विदेशी ताकतों ने इसे भुनाना शुरू कर दिया. 

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बीजिंग, शंघाई, गुआंग्डोंग और अन्य शहरों में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद फ्रांस में चीन के राजदूत लू शाये पहले चीनी अधिकारी थे, जिन्होंने इस तरह का बयान दिया.

लू ने कहा कि मुझे लगता है कि शुरुआत में चीन के लोगों ने कोरोना रोकने में स्थानीय प्रशासन की नाकामी पर असंतोष जताते हुए प्रदर्शन शुरू किए. लेकिन जल्द ही विदेशी ताकतों ने इन प्रदर्शनों को भुनाना शुरू कर दिया. मुझे लगता है कि असल प्रदर्शन सिर्फ पहले दिन ही हुआ था. दूसरे दिन ही विदेशी ताकतों ने इन प्रदर्शनों को हाइजैक कर लिया. 

चीन में 30 सालों में पहली बार इस तरह के सरकार विरोधी प्रदर्शन देखने को मिले. सुरक्षाबलों ने इन प्रदर्शनों को कुचलने का हरसंभव प्रयास किया.

बता दें कि चीन के उरूमकी से शुरू हुआ यह प्रदर्शन अमेरिका और यूरोप के कई देशों तक फैल गया था. गुस्साए लोगों ने कड़े कोविड प्रतिबंधों के बावजूद शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया था.

चीन के उरूमकी के एक अपार्टमेंट में लगी आग के बाद लोगों ने बड़े पैमाने पर सरकार की जीरो कोविड पॉलिसी का विरोध किया. इस घटना के तुरंत बाद लोगों ने लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया. सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लोगों ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से अपार्टमेंट में फंसे लोगों को बचकर बाहर निकलने में काफी मशक्कत करनी पड़ी, जिस वजह से दस लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.

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