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हिंद महासागर में चीन की बढ़ती चुनौती और भारतीय तैयारियों पर क्या बोले नेवी चीफ?

भारतीय नौसेना के चीफ एडमिरल आर हरि कुमार ने चीन को लेकर चेताते हुए कहा कि चीन चुनौती बना हुआ है और यह न सिर्फ जमीनी स्तर पर बल्कि समुद्री स्तर पर भी अपनी उपस्थिति लगातार बढ़ा रहा है.  उन्होंने कहा कि हमारी नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र पर नजर रखे हुए हैं. हमारा लक्ष्य 2047 तक नौसेना को आत्मनिर्भर बनाना है.

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नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार

चीन को लेकर नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार (Admiral R Hari Kumar) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यह देश अभी भी हमारे लिए कठिन चुनौती बना हुआ है. चीन ने न सिर्फ भारत की जमीनी सीमाओं पर बल्कि समुद्री सीमाओं पर भी अपनी उपस्थिति बढ़ाई है. एडमिरल कुमार ने कहा कि नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार नजर रखे हुए है.

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एडमिरल कुमार ने मंगलवार को नई दिल्ली में 'इंडियाज नेवल रिवोल्यूशन: बिकमिंग एन ओशन पावर' विषय पर अपने संबोधन में देश के समक्ष पारंपरिक और अन्य सुरक्षा चुनौतियों पर बात की. उन्होंने कहा कि आर्थिक दिक्कतों के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी सेना, विशेष रूप से अपनी नौसेना का आधुनिकीकरण जारी रखा है, जिसमें 2030-2050 तक व्यापक विस्तार होने जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इन पारंपरिक सैन्य चुनौतियों के साथ-साथ आतंकवाद भी एक प्रमुख सुरक्षा चुनौती बना हुआ है क्योंकि यह लगातार बढ़ रहा है. इस माहौल में भारत के समक्ष सुरक्षा को लेकर चुनौतियां बनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि चीन से नियमित तौर पर चुनौतियां मिल रही हैं. इस तरह की परिस्थितियों को देखते हुए विरोधियों से संभावित युद्ध से इनकार नहीं किया जा सकता. 

नौसेना प्रमुख ने कहा, इस संबंध में चीन एक चुनौती बना हुआ है और यह न सिर्फ जमीनी स्तर पर बल्कि समुद्री स्तर पर भी अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है.  

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चीन 2008 से हिंद महासागर क्षेत्र में उपस्थिति बढ़ा रहा

उन्होंने कहा कि चीन 2008 से हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है और उसने जिबूती में अपना सैन्य अड्डा तक बना लिया है. वह हिंद महासागर में श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान और अन्य देशों में विभिन्न बंदरगाहों के निर्माण में भी शामिल है. 

उन्होंने कहा, किसी भी समय हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की पांच से आठ नौसेना इकाइयां देखी जा सकती हैं, फिर चाहे वे चीन के युद्धपोत हो, चीन के रिसर्च पोत या फिर फिशिंग पोत. नौसेना प्रमुख ने कहा, हम उन पर नजर रखे हुए हैं. हम हिंद महासागर क्षेत्र में उनकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं. भारतीय नौसेना के विमान और पोत चौबीसों घंटे हिंद महासागर क्षेत्र में नजर रखे हुए हैं. 

उन्होंने कहा कि योजनाओं और विकास नीतियों को किसी एक निश्चित देश के लिए तैयार नहीं किया जाता. ये समुद्री क्षेत्र में हमारी रक्षा की जरूरतों और हितों को बढ़ावा देने पर आधारित होते हैं.

उन्होंने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएम) के 49वें सत्र को संबोधित करते हुए कहा, हम सभी को यह समझना होगा कि कल होने वाले युद्ध सिर्फ समुद्र में नहीं बल्कि कई मोर्चों पर लड़े जाएंगे. यह जमीन, हवा, समुद्र, डिजिटल वर्ल्ड और यहां तक कि हमारे मस्तिष्क के भीतर भी लड़े जाएंगे. 

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2047 तक भारतीय नौसेना को आत्मनिर्भर करने का लक्ष्य

रूस, यूक्रेन युद्ध से सबक सीखने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, कोई भी युद्ध शुरू करना आसान है लेकिन इसे अंजाम तक पहुंचाना बहुत मुश्किल है. कहते हैं कि कोई भी देश तीन कारणों डर, सम्मान और हितों के लिए युद्ध करता है. हमने ये तीनों ही कारण रूस के पास देखे हैं. 

भारतीय नौसेना की आत्मनिर्भरता को लेकर एडमिरल कुमार ने अपने संबोधन में कहा, आपको यह जानकार खुशी होगी कि बीते सात साल में 29 जहाज नौसेना के बेड़े में शामिल किए गए, इन सभी को भारत में ही तैयार किया गया था. मौजूदा समय में 40 में से 38 जहाज निर्माणाधीन हैं. हमारा उद्देश्य 2047 तक भारतीय नौसेना को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है. 

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