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लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक तनाव... ऐसे समय में भारत क्यों आ रहे चीन के रक्षा मंत्री?

चीन सरकार ने जारी बयान में बताया कि रक्षा मंत्री जनरल ली इस हफ्ते भारत के दौरे पर होंगे. इस दौरान वह एससीओ की रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेंगे. साथ में वह अपने समकक्ष राजनाथ सिंह से भी चर्चा कर सकते हैं. चीनी रक्षामंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, हाल ही में जब पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव को लेकर दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 18वें दौर की वार्ता हुई.

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चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू
चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू

भारत में 27 और 28 अप्रैल को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक होने जा रही है. चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू (Li Shangfu) इस बैठक में हिस्सा लेंगे. इसे लेकर चीन की ओर से आधिकारिक घोषणा कर दी गई है. 

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चीन सरकार ने मंगलवार को बताया कि रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू इस हफ्ते भारत के दौरे पर होंगे. भारत के निमंत्रण पर चीन के स्टेट काउंसिलर और रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू नई दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शिरकत करेंगे. साथ में वह अपने समकक्ष राजनाथ सिंह से भी चर्चा कर सकते हैं.

बयान में कहा गया कि इस बैठक के दौरान जनरल ली सम्मेलन को संबोधित करेंगे और संबंधित देशों के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों से भी मुलाकात करेंगे. इस दौरान रक्षा और सुरक्षा सहित कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर भी चर्चा की जाएगी. 

ऐसे में यह संभावना भी जताई जा रही है कि इससे पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी गतिरोध का भी अंत हो सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास बढ़ गई थी.

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बता दें कि चीनी रक्षामंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, हाल ही में जब पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव को लेकर दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की 18वें दौर की वार्ता हुई है.

भारत और चीन के बीच 18वें दौर की बैठक

पिछले दिनों भारत और चीन के बीच एक बार फिर कोर कमांडर स्तर पर बैठक हुई थी. पूर्वी लद्दाख सेक्टर में नियंत्रण रेखा पर मुद्दों को हल करने के लिए 18वें दौर की कोर कमांडर वार्ता में शीर्ष अफसर मौजूद थे. सरकारी सूत्रों ने आजतक को बताया था कि भारतीय पक्ष का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल राशिम बाली ने किया था, जबकि सैम रैंक के अधिकारी ने स्थानीय थिएटर कमांड से चीनी पक्ष का नेतृत्व किया था. इससे पहले 17वें दौर की बैठक 20 दिसंबर 2022 को चीनी पक्ष के चुशुल-मोल्दो बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर हुई थी.

अब ठीक 4 महीने बाद एक बार फिर भारत-चीन कॉर्प्स कमांडर स्तर की रखी गई है. यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की मीटिंग से ठीक पहले हो रही है. जिसमें चीनी रक्षा मंत्री भी हिस्सा ले रहे हैं और दोनों पक्षों के बीच चल रहे मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है. भारत और चीन के बीच पिछले तीन वर्षों से सैन्य गतिरोध देखने को मिल रहा है. पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं और वहां बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात किया गया है.

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समझा जाता है कि दोनों पक्षों ने आज की वार्ता में डेपसांग (Depsang) के मैदानी इलाकों और डेमचोक (Demchok) के डीस्केलेशन (Deescalation) और लिगेसी (Legacy) के मुद्दों पर चर्चा की. फिलहाल, भारत और चीन उन नए मुद्दों को हल करने में सफल रहे हैं जो पिछले दौर की बीच बातचीत के दौरान उनके चर्चा में आए थे और वहां किसी भी टकराव की स्थिति से बचने के लिए अलग हो गए थे. दोनों देश अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए ऊंची पर्वतीय सीमाओं (High Mountainous Borders) में बुनियादी ढांचे का विकास (Infrastructure Development) भी तेजी से कर रहे हैं.

पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने

भारतीय तैयारियों से निपटने के लिए चीन अपने नए हवाई क्षेत्रों और सैन्य ठिकानों के साथ लद्दाख के विपरीत क्षेत्रों में अपनी वायु और थल सेना को मजबूत कर रहा है. इतना ही नहीं, चीनियों ने अपने क्षेत्र में गश्त कर रहे भारतीय विमानों के लिए खतरा पैदा करने के लिए अपनी एयर डिफेंस सिस्टम को भी तैनात किया है. वहीं, भारत किसी भी चीनी दुस्साहस से निपटने के लिए नियमित रूप से पूर्वी लद्दाख सेक्टर में नए रडार और वायु रक्षा प्रणाली तैनात कर रहा है.

पिछली बैठक में निकट संपर्क में रहने पर बनी थी सहमति

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इससे पहले 17 जुलाई 2022 को 16वें दौर की बैठक हुई थी. उसके बाद इस 20 दिसंबर को दोनों पक्षों ने खुले और रचनात्मक तरीके से पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ संबंधित मुद्दों के समाधान पर बातचीत की. इस बातचीत के दौरान दोनों पक्ष पश्चिमी क्षेत्र में जमीनी स्तर पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए. दोनों पक्षों ने निकट संपर्क में रहने और सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत बनाए रखने और जल्द से जल्द शेष मुद्दों के परस्पर स्वीकार्य समाधान पर काम करने पर सहमति व्यक्त की.

9 दिसंबर 2022 को हुई थी झड़प

बताते चलें कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प को लेकर चीन की सेना ने देर से पहला रिएक्शन दिया था. इस झड़प को लेकर चीन ने भारतीय सेना पर ठीकरा फोड़ दिया था. चीनी सेना ने आरोप लगाया कि भारतीय सेना के जवानों ने अवैध तरीके से विवादित सीमा को पार किया था, जिसकी वजह से झड़प शुरू हुई. हालांकि, मोदी सरकार ने बयान में कहा कि 9 दिसंबर को हुई झड़प में भारतीय सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर उन्हें बाहर खदेड़ दिया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि इस झड़प में किसी भी भारतीय सैनिक का निधन नहीं हुआ है और ना ही कोई गंभीर रूप से घायल हुआ है.

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