भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान पर चीन ने चुप्पी साध ली है. थलसेना प्रमुख ने एक दिन पहले कहा था कि डोकलाम इलाके में चीनी सैनिकों की संख्या में काफी कमी आई है. हालांकि, चीन ने कहा कि डोकलाम में तैनात उसके सैनिक संप्रभुता संबंधी अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
बता दें कि सिक्किम सेक्टर स्थित डोकलाम के मुद्दे पर पिछले साल भारत और चीन के बीच 73 दिन तक गतिरोध कायम रहा था. यह गतिरोध 28 अगस्त को खत्म हुआ था.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग से जब जनरल रावत की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘डोकलाम का इलाका हमेशा से चीन का हिस्सा और चीन के लगातार एवं प्रभावी अधिकार क्षेत्र में रहा है. इस बाबत कोई विवाद नहीं है.’
रावत ने सोमवार को कहा था कि भारतीय और चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के ट्यूटिंग में भारतीय सीमा में एक सड़क बनाने की चीनी टीमों की हालिया कोशिश का मुद्दा सुलझा लिया है. थलसेना प्रमुख ने यह भी कहा था कि डोकलाम इलाके में चीनी सैनिकों की संख्या में काफी कमी आई है.
सैनिकों की संख्या में कमी पर टिप्पणी नहीं करते हुए लू कांग ने कहा, ‘डोकलाम इलाके में तैनात और वहां गश्त कर रहे चीनी सैनिक ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार संप्रभुता संबंधी अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं और क्षेत्रीय संप्रभुता को बरकरार रख रहे हैं.’
लू ने जनरल रावत की इस टिप्पणी पर भी प्रत्यक्ष तौर से कुछ नहीं कहा कि भारत एवं चीन ने अरुणाचल प्रदेश के ट्यूटिंग में भारतीय क्षेत्र में सड़क बनाने की चीनी सैनिकों की योजना से जुड़ा मसला दिसंबर के आखिरी हफ्ते में सुलझा लिया. उन्होंने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को दोहराया. चीन अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है.
लू ने कहा, ‘मेरे सहकर्मी इससे जुड़े सवाल पर कई बार प्रतिक्रिया जाहिर कर चुके हैं. मुझे दोहराना होगा कि चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से में भारी विवाद है.’
उन्होंने कहा, ‘लिहाजा, हमें आम राय के जरिए समझौते पर पहुंचना होगा. लेकिन इससे पहले हमें शांति एवं सुरक्षा बरकरार रखने की जरूरत है. हम पहले ही स्थापित किए जा चुके तंत्र और सीमा संबंधी ऐतिहासिक समझौतों के जरिए संबंधित विवाद सुलझा सकते हैं.’ चीन डोकलाम को भी अपना हिस्सा बताता रहा है, जबकि भूटान इसे अपना क्षेत्र मानता है.