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मालदीव में इस तरीके से पैर पसार रहा चीन, भारत की बढ़ेंगी मुश्किलें

सैन्य सहायता प्रदान करने से लेकर बुनियादी ढांचे के निर्माण करने तक में चीन सक्रिय रूप से मालदीव की मदद कर रहा है. मालदीव में चीन की बढ़ती मौजूदगी से यह प्रतीत होता है कि मालदीव भारत से दूर जाने की कोशिश कर रहा है.

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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फाइल फोटो)

मोहम्मद मुइज्जु की सरकार बनने के बाद से ही मालदीव अपने क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को कम से कम करने की कोशिश कर रहा है. मुइज्जु सरकार ने पिछले ही महीने मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों के एक समूह को वापस भेज दिया है. मालदीव में अन्य जगहों पर तैनात बाकी भारतीय सैनिक भी 10 मई तक मालदीव से वापस आ जाएंगे. इन सभी सैनिकों को भारतीय टेक्निकल टीम से रिप्लेस किया जाना है. मालदीव और भारत में जारी कूटनीतिक विवाद के बीच चीन मालदीव में अपनी पैठ जमाने की कोशिश कर रहा है. 

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सैन्य सहायता प्रदान करने से लेकर बुनियादी ढांचे के निर्माण करने तक में चीन सक्रिय रूप से मालदीव की मदद कर रहा है. मालदीव में चीन की बढ़ती मौजूदगी से यह प्रतीत होता है कि मालदीव भारत से दूर जाने की कोशिश कर रहा है. राष्ट्रपति मुइज्जु की सरकार बनने के बाद से चीन कैसे मालदीव की मदद कर रहा है. आइए इसे कुछ पॉइन्ट्स में समझते हैं.

मालदीव में चीन की मुफ्त मिलिट्री हेल्प

मार्च 2024 में चीन और मालदीव के बीच रक्षा समझौता हुआ. इस समझौते के तहत चीन, मालदीव के साथ अपने मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए मुफ्त में सैन्य सहायता प्रदान करेगा. मालदीव के न्यूज चैनल ने मुइज्जू के हवाले से कहा था कि चीन सरकार मालदीव की सेना को प्रशिक्षण देने के लिए तैयार है. मुइज्जू ने यह भी कहा कि चीन सैन्य अनुदान के तहत मालदीव को आंसू गैस, काली मिर्च स्प्रे और इसी तरह के अन्य गैर घातक हथियार प्रदान कर सकता है. 

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गिफ्ट में इको-फ्रेंडली एम्बुलेंस

मालदीव की न्यूज बेवसाइट के मुताबिक, चीन ने मालदीव को 12 इको-फ्रेंडली एम्बुलेंस भी उपहार में दी है. मालदीव के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से कहा गया है कि ये एम्बुलेंस आपात स्थिति में इस्तेमाल की जाएगी.

चीन ने मालदीव को दिए 10 सिविल व्हिकल

चीन ने हाल ही में मालदीव को 10 सिविल व्हिकल यानी नागरिक वाहन दिया है. ये वाहन चीन के शेडोंग प्रांत की ओर से 28 मार्च को मालदीव भेजे गए. रिपोर्ट के मुताबिक, इस गाड़ी को कचरा संग्रहण और अन्य नगरपालिका उद्देश्यों में इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया गया है.

मालदीव में चीन के राजदूत वांग लिक्सिन ने एक्स पर लिखा है, "मेरा मानना है कि ये वाहन मालदीव के विभिन्न शहरों में कचरा इकट्ठा करने और अन्य सार्वजनिक कार्यों में मददगार साबित होंगे. ये वाहन मालदीव को और अधिक सुंदर बनाएंगे."

पर्यावरण संरक्षण से जुड़े काम के लिए चीन की कंपनी से डील

रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव की सरकार ने पर्यावरण संरक्षण से जुडे़ प्रयासों में सहयोग करने के लिए चीन की कंपनी चाइना तियानयिंग इंक के साथ समझौता किया है. इस समझौते के तहत कथित तौर पर जलवायु परिवर्तन, जल और स्वच्छता, ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण और कम कार्बन वाले शहरी विकास जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इसके अलावा चीनी कंपनी ने सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देने की भी योजना बनाई है.

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चीन ने पीने का पानी भेजा

न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, इसी सप्ताह चीन ने मालदीव को 15 सौ टन पीने का पानी भेजा. चीन ने यह पानी मालदीव में पानी की भारी कमी के बीच डोनेट किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन द्वारा डोनेट किया गया यह पानी तिब्बत के ग्लेशियरों का था.

मुफ्त में सड़कें बनाएगा चीन

मालदीव की सरकारी वेबसाइट ने 26 मार्च को राष्ट्रपति मुइज्जू के हवाले से कहा कि चीन माले शहर में सभी सड़कें मुफ्त में बनाने पर सहमत पर हो गया है. इससे पहले फरवीर में मुइज्जू ने मालदीव के सभी शहरों में गुणवत्तापूर्ण सड़कें बनानें के अपने वादे पर जोर दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक, माले में सड़कों का निर्माण इस साल से शुरू हो जाएगा. 

भारत के लिए क्यों अहम है मालदीव?

मालदीव और भारत के बीच लगभग दो हजार किलोमीटर की दूरी है. भारत ही है जो मालदीव का सबसे करीबी पड़ोसी है. मालदीव को अगर कुछ चीज खास बनाती है, तो वो है हिंद महासागर में बसा होना. मालदीव के छोटे-बड़े द्वीप उस शिपिंग लेन के बगल में है, जहां से चीन, जापान और भारत को एनर्जी सप्लाई होती है.

इसके अलावा, मालदीव सार्क (SAARC) का सदस्य भी है. सार्क आठ दक्षिण एशियाई देशों का संगठन है. इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए भी भारत को मालदीव के साथ की जरूरत है.

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2016 में उरी हमले के बाद जब पाकिस्तान में सार्क समिट हुई थी, तो भारत ने इसे बायकॉट करने की अपील की थी. तब मालदीव इकलौता ऐसा देश था, जिसने भारत का साथ दिया था. 

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