प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल दौरे से चीन को मिर्ची लगी है. इस संबंध में चीन ने शनिवार को बीजिंग में भारतीय राजदूत को तलब किया और इस दौरे पर विरोध दर्ज कराया. चीन ने विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि इससे चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता, अधिकार एवं हितों की अनदेखी हुई है. चीन के इस बेबुनियादी विरोध पर भारत ने दो टूक जवाब देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री अपनी धरती पर कहीं भी जा सकते हैं.
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सरकारी न्यूज एजेंसी ‘शिन्हुआ’ की खबर में कहा गया कि चीन के उप-विदेश मंत्री लियू झेनमिन ने शुक्रवार को मोदी के ‘विवादित सीमा क्षेत्र’ के दौरे पर विरोध जताते हुए भारत के राजदूत अशोक कुमार कंठ को ‘तलब’ किया.
खबर के मुताबिक, ‘लियू ने चीन-भारत सीमा पर विवादित क्षेत्र में अपने नेता के दौरे के इंतजाम पर भारतीय पक्ष द्वारा दिए जा रहे जोर के प्रति गहरा असंतोष एवं कड़ा विरोध दर्ज कराया.’ ‘शिन्हुआ’ की खबर में कहा गया कि भारत में चीनी दूतावास ने दौरे के बाबत शनिवार रात भारतीय अधिकारियों को एक ज्ञापन भी दिया था.
कंठ से हुई मुलाकात के दौरान लियू ने कहा, 'मोदी के दौरे ने चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता, अधिकार एवं हितों की अनदेखी की है.’
ज्ञात हो कि चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता रहा है. इस क्षेत्र में किसी भी उच्च-स्तरीय भारतीय दौरे का चीन नियमित तौर पर विरोध करता रहा है. लेकिन मोदी के दौरे को लेकर दोबारा किया गया यह विरोध ऐसे समय में हुआ है कि दोनों देशों आपसी संबंध सुधारने के लिए कई पहल कर रहे हैं.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस महीने की शुरुआत में बीजिंग गई थीं और उन्होंने इस साल मई में मोदी के प्रस्तावित चीन दौरे को लेकर भी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एवं अन्य अधिकारियों से बातचीत की थी.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी राज्य के 23वें स्थापना दिवस समारोह में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश गए थे. वे जल्द ही चीन के दौरे पर भी जाने वाले हैं.
इनपुट-भाषा