चीन इस समय ताइवान के साथ तनातनी कर बैठा है. जमीन पर तनाव इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि एक बड़े युद्ध सुगबुगाहट तेज हो गई है. लेकिन लोगों के मन में इस युद्ध के अलावा एक सवाल और है. ऐसा देखा गया है कि चीन और रूस दोनों ही समान विचारधारा रखते हैं. कई मामलों में दोनों देश एक दूसरे का समर्थन भी करते हैं. लेकिन बात जब युद्ध नीति की आती है, बात जब रणनीति की आती है, रूस और चीन दोनों विपरीत दिशा में भागते हैं.
असल में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की Personality में बड़ा फर्क हैं . और ये फर्क रूस और चीन के युद्ध लड़ने के तरीके में भी साफ नजर आता है. रूस, यूक्रेन में सीधे टैंक लेकर घुस गया. उसके लड़ाकू विमानों ने पूरे यूक्रेन में बमबारी की. कई किलोमीटर लंबा काफिला लेकर रूस के सैनिक, यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा करने के लिए घुस गये थे. जिसकी तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखी थीं .ये पुतिन का तरीका है.
लेकिन शी जिनपिंग का तरीका अलग है. चीन, सीधे युद्ध के बजाय छद्म युद्ध लड़ता है. वो दूसरे देशों की सीमा में घुसता है, हमला करता है और भाग जाता है. जैसा कि वो अकसर LaC पर भारत के साथ करता है.
चीन की ये युद्ध शैली एक प्राचीन खेल GO से मिलती जुलती है . इस खेल की खोज चीन में ही करीब 2500 वर्ष पहले हुई थी . इसे दुनिया का सबसे पुराना Board Game माना जाता है, जो वर्तमान में भी खेला जाता है . इस खेल को एक ग्रिड बोर्ड पर दो खिलाड़ी खेलते हैं . ये खेल सफेद और काले रंग के पत्थरों से खेला जाता है . दोनों खिलाड़ी अपने अपने पत्थरों को बोर्ड पर बने अलग अलग हिस्सों में Set करते हैं . इसके बाद खिलाड़ियों को अपने प्रतिद्वंदी की तुलना में ज्यादा क्षेत्र को घेरने की कोशिश करनी होती है . जो खिलाड़ी अपने पत्थरों से दूसरे खिलाड़ी के सबसे ज्यादा इलाके पर कब्जा कर लेता है, वही विजेता बन जाता है . इसके लिए दोनों खिलाड़ियों को चालें चलनी होती हैं और अपने-अपने पत्थर, आगे पीछे ले जाने होते हैं.
युद्ध की यही नीति चीन, अपने पड़ोसी देशों की सीमाओं पर कब्जा करने के लिए अपनाता है . वो पहले दूसरे देश की सीमा में चार कदम अंदर घुसता है, फिर एक कदम पीछे हट जाता है . और इस तरह धीरे धीरे दूसरे देश की सीमा में कब्जा जमाता चला जाता है.
आजतक ब्यूरो