बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के हालिया हमलों ने पाकिस्तान में हलचल मचा दी है. इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना कमजोर पड़ी है और बीएलए अपनी आजादी की लड़ाई को तेज कर रहा है. पाकिस्तान अपनी सेना को होने वाले नुकसान को लेकर तो चिंतित है ही, साथ ही वो चीनी प्रोजेक्ट चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के प्रोजेक्ट्स को लेकर भी भारी फिक्र में है. पिछले हफ्ते जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक करने के बाद बीएलए ने रविवार को एक बार फिर बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर भीषण हमला किया.
बीएलए ने पाकिस्तानी सैनिकों को ले जा रही एक बस को उड़ा दिया और दावा किया कि उसके हमले में कम से कम 90 सैनिक मारे गए हैं. इन हमलों को देखते हुए चीन ने पाकिस्तान में अपने प्रोजेक्ट्स और नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान को सैन्य मदद देने की पेशकश की है.
पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर बढ़ते आतंकी हमलों को देखते हुए चीन ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ प्राइवेट सिक्योरिटी एंड मिलिट्री कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है. यह कॉन्ट्रैक्ट CPEC के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे चीनी इंजिनियरों और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए किया गया है. चीन ने पाकिस्तान में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए अपनी तीन निजी कंपनियों, डेवे सिक्योरिटी फ्रंटियर सर्विस ग्रुप, चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप और हुआक्सिन झोंगशान सिक्योरिटी सर्विस को भी नियुक्त किया है.
बीएलए के हालिया हमलों के अलावा, हाल के सालों में पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर भी कई हमले हुए हैं. सबसे हालिया हमला 6 अक्टूबर को हुआ जब बीएलए के एक आत्मघाती हमलावर के बम विस्फोट में दो चीनी नागरिक मारे गए. इससे पाकिस्तान में चीनी नागरिकों और प्रोजेक्ट्स को लेकर सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं.
खुफिया रिपोर्टों से यह भी संकेत मिलता है कि चीन CPEC प्रोजेक्ट्स में शामिल अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान में अपने सैनिकों को तैनात कर सकता है.
चीन के कहने पर पाकिस्तान ने बढ़ाया अपना रक्षा बजट
सुरक्षा को लेकर चीन की चिंताओं को देखते हुए पाकिस्तान की सरकार ने अपने रक्षा खर्च में भारी बढ़ोतरी की है. अगस्त 2024 में, पाकिस्तान ने अपना रक्षा बजट बढ़ाकर 2.1 खरब रुपया कर दिया जिसमें "ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेखाम" के लिए 60 अरब रुपये आवंटित किए.
हाल ही में, चीनी सरकार के कहने पर, पाकिस्तान ने CPEC के दो प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे चीनी नागरिकों और संपत्तियों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त 90 अरब रुपये मंजूर किए हैं.
इसके अलावा पाकिस्तान की आर्थिक समन्वय समिति (ECC) ने 45 अरब रुपए के ग्रांट को मंजूरी दी है जिसमें से 35.4 अरब रुपए सेना को तथा 9.5 अरब रुपए नौसेना को दिए जाएंगे.
सुरक्षा बढ़ाने के लिए पाकिस्तान पर चीन का बढ़ता दबाव
चीन बेहतर सुरक्षा के लिए पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है और इसी क्रम में उसने CPEC पर काम कर रहे अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के साथ एक संयुक्त सुरक्षा कंपनी बनाने का प्रस्ताव दिया है.
बीएलए बलूचिस्तान में चीन की बढ़ती मौजूदगी के खिलाफ लड़ रहा है और चीनी प्रोजेक्ट्स को निशाना बना रहा है. चीन पाकिस्तान से मांग कर रहा है कि वो आतंकवाद विरोधी समझौते पर हस्ताक्षर करे ताकि देश में अपने निवेश और नागरिकों की सुरक्षा के लिए चीनी सैनिकों को तैनात किया जा सके.
चीन यह भी चाहता है कि CPEC के दूसरे चरण के नए प्रोजेक्ट्स में ज्यादा मजबूत सुरक्षा तंत्र शामिल किया जाए. इन प्रस्तावों में वाहनों पर लगाए जाने वाले मोबाइल सिक्योरिटी उपकरण और बैलिस्टिक मिसाइलों से सुरक्षा देने वाली गाड़ियां शामिल हैं.
पाकिस्तान में बढ़ते तनाव और लगातार हमलों के बीच, चीन ने अपने नागरिकों और निवेश की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान में सेना की तैनाती की अपनी इच्छा दोहराई है.
सूत्रों के अनुसार, दोनों देश चीन की बढ़ती सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए जल्द ही आतंकवाद-रोधी सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. वर्तमान में लगभग 30,000 चीनी नागरिक पाकिस्तान में विभिन्न CPEC प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं. इनमें इंजीनियर, टेक्नीशियन, श्रमिक और देश भर में इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स से जुड़े अन्य लोग शामिल हैं.
बलूचिस्तान में चीनी नागरिकों की सुरक्षा पर खतरा
बलूचिस्तान और ग्वादर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में चीनी नागरिकों की बड़ी उपस्थिति ने उनकी सुरक्षा को बड़ी चिंता का विषय बना दिया है. इसे देखते हुए पाकिस्तान और चीन अपने सुरक्षा सहयोग को बढ़ा रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने एक बार फिर पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी अभियान में सैन्य मदद की पेशकश की है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने जाफर एक्सप्रेस के अपहरण के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, 'हमने रिपोर्टों पर ध्यान दिया है और इस आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं. चीन पाकिस्तान के साथ आतंकवाद विरोधी और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने और क्षेत्र को शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर बनाए रखने के लिए तैयार है.'
बलूच विद्रोही सिर्फ पाकिस्तान से आजादी की मांग नहीं कर रहे बल्कि वो अपनी जमीन पर चीनी प्रोजेक्ट्स का भी विरोध कर रहे हैं. बलूचों का कहना है कि चीन उनके संसाधनों को लूट रहा है. बलूच विद्रोहियों ने बलूचिस्तान को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ने वाली CPEC प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे चीनी श्रमिकों पर भी कई हमले किए हैं.
बलूचिस्तान एक संसाधन संपन्न क्षेत्र है, जहां प्राकृतिक गैस, कोयला, तांबा और दूसरे बहुमूल्य खनिज हैं. बलूचों का मानना है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर इन खनिजों को लूट रहे हैं और बलूचों का शोषण हो रहा है.