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भारत के कारण भूटान को सजा देने के मूड में चीन!

भूटान और भारत के बीच मजबूत हो रहे संबंधों से चीन परेशान है. नेपाली ऑनलाइन मैगजीन Epardafas.com की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन का मानना है कि भारत का भूटान की विदेश नीति पर पूरी तरह नियंत्रण और प्रभाव है.

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फोटो- चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग
फोटो- चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

भूटान की भारत से बढ़ती दोस्ती चीन को खटक रही है. यही वजह है कि चीन भूटान के साथ सीमा विवाद बढ़ाकर उसे एक तरह से धमकाने की कोशिश कर रहा है. नेपाली ऑनलाइन मैगजीन Epardafas.com की रिपोर्ट के अनुसार, चीन का मानना है कि भूटान की विदेश नीति पर पूरी तरह से भारत का नियंत्रण और प्रभाव है.

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दरअसल, एक समय था जब चीन और भूटान के बीच बहुत अच्छे संबंध हुआ करते थे. लेकिन साल 1949 में जब चीन ने तिब्बत पर हमला किया तो दोनों देशों के रिश्ते खराब हो गए. रिश्ते बिगड़ने की एक वजह चीन के सबसे ताकतवर नेता कहे जाने वाले माओ जेडोंग का भूटान को अपना क्षेत्र बताने का दावा भी था. 

साल 1954 और 1958 में चीन के नए मैप भी दोनों देशों के बीच विवाद की जड़ बन गए. इसके साथ ही चीन के भूटान के 300 मील क्षेत्र में अवैध कब्जे ने आग में घी डालने का काम कर दिया. धीरे-धीरे दोनों देशों के संबंध पूरी तरह बिगड़ गए. 

साल 1961 में भूटान की मदद के लिए सबसे आगे था भारत 
जब चीन भूटान को लगातार तंग कर रहा था, उस समय भारत आगे आया और भूटान की मदद की. साल 1961 में भारत ने भूटानी सेना को ट्रेनिंग देने के लिए अपनी मिलिट्री ट्रेनिंग टीम को वहां भेजा था, तबसे ही भूटान की सुरक्षा में भारत का भी योगदान है. 

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Epardafas.com के अनुसार, साल 2017 में जब डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, उस समय भारत और भूटान क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर और ज्यादा सतर्क हो गए और दोनों देशों ने अपनी सेना के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया. 

शिक्षा से लेकर व्यापार तक भूटान के कई क्षेत्रों में भारत का योगदान 
भारत और भूटान के द्विपक्षीय संबंधों का फायदा दोनों देशों को है. भूटान में हाइड्रो पावर, व्यापार, शिक्षा और आर्थिक-समाजिक विकास में भारत का अहम योगदान है. वहीं भूटान की ओर से डोलोमाइट, फेरोसिलिकॉन समेत कई चीजों के निर्यात के लिए भारत एक बड़ा बाजार है.

Epardafas.com के अनुसार, मौजूदा समय में भारत और भूटान के संबंध हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी (पनबिजली) उत्पादन से जुड़े हुए हैं. दोनों देशों का लक्ष्य भूटान में 10,000 मेगावाट हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट विकसित करना है.

भूटान के मंगदेछू में 720 मेगावाट का हाइड्रो पावर प्लांट का विकास एक उपलब्धि है. इसी उपलब्धि की वजह से एक और 600 मेगावाट के खोलोंगछू जेवी- हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू किया गया है. 

भूटान में ना सिर्फ रोजगार बढ़ेगा बल्कि बढ़ जाएगी कमाई 

खास बात है कि इन प्रोजेक्ट के जरिए भूटान के पास अतिरिक्त हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी जमा होगी जो वह भारत को निर्यात करेगा और इससे भूटान में न सिर्फ रोजगार बल्कि कमाई में भी इजाफा होगा. 

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वहीं शिक्षा के क्षेत्र में बात करें तो भारत की ओर से भूटान को साढ़े चार हजार करोड़ का अनुदान मुहैया कराया जाएगा. वहीं साल 2018 से लेकर 2023 तक भारत की ओर से दी जाने वाली ट्रांजिशनल ट्रेड सपोर्ट फैसिलिटी यानी संक्रमणकालीन व्यापार सहायता सुविधा दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेगी.

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