चीन ने मंगलवार को अपने रक्षा बजट में इजाफा किया. चीन ने 10.7 प्रतिशत का इजाफा कर अपने रक्षा बजट को 115.7 अरब अमेरिकी डॉलर कर दिया जो भारत के रक्षा बजट 37.4 अरब अमेरिकी डॉलर से कहीं ज्यादा है.
चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के वाषिर्क सत्र में रक्षा बजट में इजाफे के फैसले की घोषणा की गयी. इस सत्र में चीन में हर दशक में होने वाले सत्ता हस्तांतरण को भी अंजाम दिया जा रहा है. कांग्रेस में पेश किये गये बजट दस्तावेजों में 720.168 अरब युआन (चीनी मुद्रा) रक्षा के लिये आवंटित किये गये जो 115.7 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर है.
अगले 10 दिनों में नव निर्वाचित नेता शी चिनपिंग और उनके सहयोगी नेता राष्ट्रपति हू जिन्ताओ से औपचारिक रूप से कार्यभार लेंगे. निवर्तमान प्रधानमंत्री वेन च्याबो ने ही बजट प्रस्तावों की घोषणा की । उन्होंने पिछले दस सालों में अपनी सरकार की उपलब्धियों को भी गिनाया.
बजट में मुख्य जोर रक्षा क्षेत्र पर रहा. चीन ने पिछले साल भी 106.4 अरब डॉलर का बजट आवंटित किया था जिससे दुनिया भर में रक्षा पर सर्वाधिक खर्च करने वाले देशों में वह शुमार हो गया था. विवादित द्वीपों पर जापान से विवाद और दक्षिण चीन सागर पर अन्य देशों से विवाद के चलते चीन अपनी सशस्त्र सेना को आधुनिक बना रहा है. इसी वजह से इसके रक्षा बजट में इजाफा किया गया है.
चीन के बजट पर पीपुल्स कांग्रेस की प्रवक्ता फु यिंग ने मीडिया से कहा कि चीन की रक्षात्मक सैन्य नीतियों ने एशिया में शांति और स्थिरता कायम करने में अहम भूमिका निभायी है. फु ने कहा, ‘चीन की शांतिपूर्ण विदेश नीतियां और रक्षात्मक सैन्य नीतियां एशिया में सुरक्षा और शांति के लिए सहायक है.’ उन्होंने कहा, ‘‘ दुनिया के लिये यह अच्छी खबर नहीं होगी कि चीन जैसा बड़ा देश अपनी रक्षा करने में नाकाम हो.’ फु ने कहा, ‘जब कोई देश भड़काउ कार्रवाई करे तो हमें कड़ा जवाब देना चाहिये जिससे स्पष्ट संदेश दिये जा सके.’ उन्होंने कहा कि शीतयुद्ध के बाद से एशिया शांतिपूर्ण रहा है जिससे इस क्षेत्र के विकास के लिये अनुकूल वातावरण बना है.
चीन ने पिछले साल पहले ही अपना विमानवाहक पोत उतार चुका है. साथ ही एशिया प्रशांत में अमेरिकी सेना की बड़ी मौजूदगी से निपटने के उद्देश्य से नए जेट संस्करणों समेत स्टेल्थ लड़ाकू विमान को भी अपने बेड़े में शामिल किया.