डोकलाम विवाद के बाद अब चीन भारत से गहरी दोस्ती करने की बेचैनी दिखा रहा है. लिहाजा इस बार उसने भारत के साथ कूटनीतिक बातचीत में नए शब्दों का इस्तेमाल किया है. हालांकि इन शब्दों में स्पष्टता का आभाव है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कूटनीति में हर शब्द की अहमियत होती है.
चीन ने भारत के साथ बातचीत में पहली बार 'फ्रेंड्स फॉर जनरेशंस' (पीढ़ी दर पीढ़ी के दोस्त) और 'पार्टनर्स इन रिजुवेनेशन'(कायाकल्प में भागीदार) शब्दों का इस्तेमाल किया है. उसका कहना है कि चीन भारत का पीढ़ी दर पीढ़ी का दोस्त और कायाकल्प में भागीदार बनना चाहता है. वैसे चीन कूटनीतिक भाषा में शब्दों को बेहद चुनकर इस्तेमाल करता है.
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि चीन ने इन नए शब्दों का इस्तेमाल किस इरादे से किया, लेकिन इतना जरूर है कि इसने दोनों देशों के बीच प्रचलित 'हिन्दी चीनी भाई-भाई' नारे की याद दिला दी. डोकलाम विवाद खत्म होने के बाद 22 दिसंबर को दोनों देश एक बार फिर साथ आए. भारत दौरे पर आए चीन के विशेष प्रतिनिधि यांग जेईकी ने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से मुलाकात हुई. यांग जेईकी के साथ कई उच्च अधिकारी भी आए थे.
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात के दौरान उनके एजेंडे पर डोकलाम विवाद शीर्ष पर रहा. इस दिनभर चली बातचीत में दोनों के बीच कई अहम मुद्दों पर भी चर्चा हुई. यांग जेईकी को अक्टूबर में ही चीन के सबसे शक्तिशाली 25 सदस्यीय पोलित ब्यूरो का सदस्य चुना गया है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस ब्यूरो के सदस्य हैं.
जेईकी का दौरा इस लिहाज से भी अहम रहा है कि वो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संदेश के साथ आए थे, जिसको उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को 'फ्रेंड्स फॉर जनरेशंस' (पीढ़ियों के लिए दोस्त) और 'पार्टनर्स इन रिजुवेनेशन' (कायाकल्प में भागीदार) बनना चाहिए.
इस मामले पर बात करते हुए चीन के एक रणनीतिक विशेषज्ञ हू शिसेंग ने कहा, कि "इस बातचीत से दोनों देश के बीच मतभेद और डोकलाम जैसी घटनाओं की संभावना को कम करने के लिए संचार पर जोर दिया जाएगा.