scorecardresearch
 

आठ माह पहले वुहान से निकला था कोरोना वायरस, दुनिया ने देखा खौफनाक मंजर

चीन की वुहान लैब में इबोला, निपाह, सॉर्स और दूसरे घातक वायरसों पर रीसर्च कर रहे वैज्ञानिक अपने माइक्रोस्कोप में एक अजीब सा वायरस नोटिस कर रहे थे. मेडिकल हिस्ट्री में ऐसा वायरस पहले कभी नहीं देखा गया था.

Advertisement
X
वुहान से निकलकर कोरोना वायरस ने दुनिया में तबाही मचा दी
वुहान से निकलकर कोरोना वायरस ने दुनिया में तबाही मचा दी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वुहान से पूरी दुनिया में फैला था कोरोना
  • अब तक ले चुका है लाखों की जान
  • तेजी से दुनिया में बढ़ रहा है असर

चीन का वुहान शहर 76 दिनों तक पूरी तरह से बंद था. वहां लोगों को घरों से बाहर निकलने की भी इजाज़त नहीं थी. वुहान के अंदर तो छोड़िए वुहान के बाहर देश विदेश में लोग सिर्फ इस शहर का नाम सुनकर ही सिहर उठते थे. उसी वुहान शहर में कोरोना का जन्म हुआ था. दुनिया को कोरोना बांटने के आठ महीने बाद वुहान में आयोजित की गई पार्टी की तस्वीरें दुनिया को हैरान कर रही हैं. लेकिन उसी वुहान शहर में आठ महीने पहले हालात कितने खौफनाक हो गए थे, ये हम आपको बताने जा रहे हैं.

Advertisement

जनवरी 2019- इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब, वुहान, चीन
चीन की वुहान लैब में इबोला, निपाह, सॉर्स और दूसरे घातक वायरसों पर रीसर्च कर रहे वैज्ञानिक अपने माइक्रोस्कोप में एक अजीब सा वायरस नोटिस कर रहे थे. मेडिकल हिस्ट्री में ऐसा वायरस पहले कभी नहीं देखा गया था. इसके जेनेटिक सिक्वेंस को गौर से देखने पर पता चल रहा था कि ये चमगादड़ के करीबी हो सकते हैं. वैज्ञानिक हैरान थे क्योंकि इस वायरस में वो सार्स वायरस के साथ समानता को देख पा रहे थे. जिसने 2002-2003 में चीन में महामारी ला दी थी. और दुनिया भर में 700 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. उस वक्त भी ये बताया गया था कि सार्स छूने और संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से फैलता है. लेकिन तब चीन इस वायरस को छुपा ले गया था.

Advertisement

ज़रूर पढ़ेंः भारत की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर, चीनी सेना की सीक्रेट यूनिट '61398' एक्टिव

दिसंबर 2019, वुहान, चीन
दिसंबर के शुरुआती हफ्ते में वुहान की सी-फूड मार्केट के ईर्द-गिर्द रहने वाले कई लोग बुखार से पीड़ित होने शुरु हो गए. इनके टेस्ट के लिए सैंपल लैब में भेजे गए. जिसके बाद ये सैंपल वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब के पास पहुंचे. यहां वैज्ञानिक के माइक्रोस्कोप जो उन्हें दिखा रहे थे, वो आने वाले जानलेवा ग्लोबल खतरे का संकेत था. मगर चीनी अधिकारियों ने डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को बदनामी और अफरातफरी के माहौल से बचने के लिए खामोश करा दिया.

दिसंबर का आखिरी हफ्ता 2019, वुहान, चीन
डॉ. ली वेनलियांग के अस्पताल में स्थानीय सी-फूड मार्केट से करीब सात मरीज़ पहुंचे. ये वही डॉ ली वेनलियांग थे. जिन्होंने दुनिया को पहली बार इस जानलेवा वायरस से आगाह कराया था. बहरहाल इन मरीज़ों के लक्षण देखकर ही डॉ ली को समझ में आ गया कि ये सभी के सभी किसी अनजान घातक वायरस के शिकार हो गए हैं. उन्होंने फौरन इस बीमारी के बारे में दूसरे डॉक्टरों को अलर्ट किया और इस वायरस के बारे में अपनी रिपोर्ट दी. इतना ही नहीं इस बारे में उन्होंने वीचैट एप पर अपने मेडिकल कॉलेज के एलुमनी ग्रुप में भी जानकारी दी. सबको अपने जानकारों, दोस्तों और रिश्तेदारों को इस बारे में आगाह करने को कहा लेकिन कुछ ही घंटों में उनके मैसज का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया.

Advertisement

जनवरी का पहला हफ्ता 2020, वुहान, चीन
पूरी दुनिया के साथ-साथ चीन में भी नए साल का जश्न था. लोग उस जश्न में डूबे हुए थे. और ठीक उनकी नाक के नीचे ये वायरस लगातार फैलता जा रहा था. 7 से 14. 14 से 21. 21 से 42 होते होते. ये तादाद हज़ार तक जा पहुंच गई. मगर चीन इस की रोकथाम करने के बजाए. इस जानलेवा बीमारी को दुनिया से छुपाने में ही लगा रहा.

25 जनवरी 2020, इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब, वुहान, चीन
अंग्रेज़ी नए साल के बाद आया चीनी नया साल. अफरातफरी से बचने के लिए चीन ने इस जानलेवा वायरस की खबर को सामने तो नहीं आने दिया मगर अंदर ही अंदर वुहान के इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी नेशनल बायोसेफ्टी लैब में इसकी जांच चलने लगी. यूं भी इस लैब में पिछले कई सालों से चमगादड़ों से फैलने वाली बीमारियों पर रिसर्च चल रही थी. ये रिसर्च इसलिए थी क्योंकि ना सिर्फ वुहान और आसपास के इलाकों में चमगादड़ों की तादाद ज़्यादा है. बल्कि यहां चमगादड़ों और दूसरे तमाम जानवरों का मांस खाने और सूप पीने का चलन भी ज़ोरों पर था. और अब तक की जांच में ये तो साफ हो रहा था कि हो ना हो ये जानलेवा वायरस इन्हीं चमगादड़ों से ही फैला है. चाइनीज सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेशन की स्टडी के डेटा भी इसी तरफ इशारा कर रहे थे.

Advertisement

Must Read: चीन ने अब रूस के शहर में भी की घुसपैठ, जमीन के लिए भू-माफिया की नई चाल

फरवरी का पहला हफ्ता 2020, वुहान, चीन
डॉ. ली वेनलियांग इस बीच लगातार अपने डॉक्टर साथियों और लोगों को इस जानलेवा वायरस से ना सिर्फ आगाह कर रहे थे. बल्कि पीड़ितों को आइसोलेशन वार्ड में रखकर अपने तौर पर इलाज भी कर रहे थे. इस बीच ये खबरें चीन से निकलकर दुनिया तक पहुंचने लगी. चीन ने भी अबतक मान लिया कि उसके मुल्क को कोरोना नाम की एक महामारी ने जकड़ लिया है. वहीं दूसरी तरफ चीनी सरकार ने 34 साल के डॉक्टर ली के वायरल हो चुके कोरोना वायरस से आगाह करने वाले मैसेज का संज्ञान लेते हुए नोटिस भेजकर जवाब मांगा. मगर डाक्टर ली की परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुईं. इसके फौरन बाद उनपर अफवाह फैलाने का आरोप लगा दिया गया और उन्हें लिखित में मांफी मांगनी पड़ी. इस बीच वुहान और आसपास के इलाकों के साथ साथ पूरा चीन इस जानलेवा वायरस की चपेट में आ चुका था और उससे होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा था.

7 फरवरी 2020, वुहान, चीन
अचानक खबर आई की कोरोना वायरस के बारे में सबसे पहले जानकारी देने वाले डॉक्टर ली की मौत हो गई है. बताया गया कि डॉक्टर ली 12 जनवरी से अस्पताल में भर्ती थे. 30 जनवरी को पता चला कि वो कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं. चीन ने कहा कि उन्हें बचाने की कोशिश हुई. लेकिन बचाया नहीं जा सका. वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डॉ ली की मौत 7 फरवरी की रात करीब 2 बजकर 58 मिनट पर हुई. बताया गया कि उन्हें कफ और बुखार था.

Advertisement

हालांकि सरकार विरोधी गुटों का ये मानना था कि चीन ने उन्हें इस महामारी का खुलासा करने की सज़ा दी है. ये खबर इसलिए भी हावी हुई क्योंकि शुरुआत में चीन के 20 हज़ार कोरोना पीड़ितों को मार देने के लिए सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट में अर्जी देने वाली खबर भी आई थी. मगर ये दोनों ही खबरें कंफर्म नहीं हो सकी.. लेकिन चीन में जो कंफर्म हुआ. वो था दुनिया में अबतक का सबसे जानलेवा वायरस के सामने आने का सच. जो अब तक देखते देखते ही हज़ारों लोगों को अपनी चपेट में लेकर बेमौत मार चुका था.

 

Advertisement
Advertisement