scorecardresearch
 

चीन के सिल्क रूट पर संकट, PAK में आतंक का साया-इंडोनेशिया में शुरू ही नहीं हुआ काम

चीन के महत्वाकांक्षी सिल्क रोड प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इंडोनेशिया में जहां एक रेल परियोजना अटकी पड़ी है, वहीं पाकिस्तान में आर्थिक गालियारा चरमपंथी खतरे से जूझ रहा है. इस कारण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चमकदार आर्थिक नीतिगत छवि को धक्का पहुंच सकता है.

Advertisement
X
शी जिनपिंग
शी जिनपिंग

Advertisement

चीन के महत्वाकांक्षी सिल्क रोड प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. इंडोनेशिया में जहां एक रेल परियोजना अटकी पड़ी है, वहीं पाकिस्तान में आर्थिक गालियारा चरमपंथी खतरे से जूझ रहा है. इस कारण चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चमकदार आर्थिक नीतिगत छवि को धक्का पहुंच सकता है.

शी जिनपिंग ने चीन को अफ्रीका, एशिया और यूरोप से बंदरगाहों, रेलवे, सड़क और औद्योगिक पार्कों के जरिये जोड़ने की 'वन बेल्ट, वन रोड' योजना को 2013 में शुरू किया था. कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस परियोजना पर एक हजार अरब डॉलर खर्च होगा.

शी जिनपिंग पिछले कई दशकों में चीन के सबसे मजबूत नेता के तौर पर उभरे हैं. उन्होंने चीन के आर्थिक तथा भू-राजनैतिक हितों के विस्तार के लिए ढांचागत क्षेत्र पर काफी जोर दिया है. यही वजह रही कि चीनी कांग्रेस की पिछले महीने हुई अहम बैठक में जिनपिंग की विचारधारा को कम्यूनिस्ट पार्टी के संविधान में जगह दी गई. चीन के पहले कम्युनिस्ट नेता और संस्थापक माओत्से तुंग और पूर्व राष्ट्रपति देंग ज़ियाओपिंग के बाद शी ही ऐसे नेता हैं, जिनके विचारों को पार्टी के संविधान में जगह दी गई है.

Advertisement

कम्यूनिस्ट पार्टी की इस बैठक में शी जिनपिंग की बेल्ट एंड रोड परियोजना की काफी सराहना की गई. यह परियोजना करीब 65 देशों तक विस्तृत है. हालांकि जमीन हालात देखें तो इस परियोजना में कई रोड़े दिख रहे हैं. यह परियोजना आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों, तानाशाही शासन एवं उथल-पुथल वाले लोकतांत्रिक देशों के बीच से गुजरती है. इसके अलावा इसे कई भ्रष्ट नेताओं और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है.

दक्षिणपूर्वी एशिया में ऐसी विभिन्न परियोजनाओं पर अध्ययन कर चुके वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) के थिंक टैंक मर्रे हेइबर्ट कहते हैं, 'ऐसे देशों में बुनियादी ढांचों का निर्माण काफी जटिल होता है. आपको जमीन अधिग्रहण समस्याओं, फंड जुटाने और तकनीकी मुद्दों से जुझना होगा.'

हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ऐसी किसी अड़चन से इनकार करती हैं. वह कहती हैं कि यह परियोजना बेहद सुचारू ढंग से आगे बढ़ रही है.

वहीं अगर जमीन पर नजर डालें तो हालात काफी अलग दिखते हैं. इंडोनेशिया की बात करें तो बीजिंग ने यहां की पहली हाई-स्पीड रेल परियोजना का ठेका सितंबर 2015 में ही हासिल किया था, लेकिन दो साल बीतने के बाद भी जर्काता और बांदुंग को जोड़ने वाली इस रेललाइन पर काम महज शुरू ही हुआ है. वहीं पाकिस्तान में चीन-पाक आर्थिक गलियारे को बलूचिस्तान में खासे विरोध का सामना करना पड़ रहा है. स्थानीय लोग जहां इसके खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं चरमपंथी हमलों पर खतरा बना हुआ है. पिछले ही महीने ग्वादर बंदरगाह के पास ग्रेनेड हमला हुआ था, जिसमें कम से कम 26 लोग घायल हो गए थे.

Advertisement

Advertisement
Advertisement