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चीन में जिनपिंग का विरोध जारी, एक साल में 22 बार सड़क पर उतरी जनता

राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ चीन में प्रदर्शनों का दौर तेज हो गया है. एक साल के अंदर ही 22 ऐसे मौके सामने आए हैं जब लोगों ने सड़क पर उतर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की. सबसे ज्यादा गुस्सा कोरोना नीति को लेकर रहा जहां पर जीरो कोविड पॉलिजी को बकवास बताया गया.

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चीन में जिनपिंग के खिलाफ विरोध की आवाज
चीन में जिनपिंग के खिलाफ विरोध की आवाज

शी जिनपिंग के चीन में जनता के पास विरोध करने के कोई अधिकार नहीं होते हैं. आंख बंद कर हर बात को मानना, कभी किसी बात पर विरोध दर्ज ना करवाना, चीन की राजनीति में लोगों से सिर्फ इसी रवैये की उम्मीद की जाती है. लेकिन समय के साथ चीन की जनता जागरूक भी हुई है और अपने अधिकारों के प्रति सजग भी. कोरोना काल में तो जमीन पर लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ सक्रिय हो गए हैं. पहली बार राष्ट्रपति भी निशाने पर आ रहे हैं और वहां की सरकार पर भी सवाल दागे जा रहे हैं.

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आंकड़े बताते हैं कि अकेले 2022 में ही 22 ऐसे मौके सामने आए हैं जब चीन सरकार के खिलाफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. ज्यादातर मौकों पर सरकार की कोरोना नीति को लेकर प्रदर्शन किए गए. जीरो कोविड पॉलिसी कई लोगों को समझ से परे लग रही है, इस समय क्योंकि मामले भी फिर विस्फोटक रफ्तार से बढ़ने लगे हैं, ऐसे में गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है. सरकार जरूर इन विरोध प्रदर्शन को स्वीकार करने से मना करती है. कई मौकों पर तो इन्हें छिपाने की भी पूरी कोशिश की जाती है, लेकिन इसी साल 22 ऐसे मामले सामने आ गए हैं जहां शी जिनपिंग को भी जनता ने आईना दिखाने का काम किया है

1 जून, 2022

चीन के सनहे में कई लोगों ने सड़क पर उतर सरकार की कोरोना नीति का विरोध किया था. चीन में क्योंकि सख्त लॉकडाउन लगा रहा, इस वजह से लोग काम करने के लिए बीजिंग में भी एंट्री नहीं ले पा रहे थे. गुस्सा इतना ज्यादा था कि सड़क पर प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हो गई थी. बाद में सरकार को ही नियमों में छूट देनी पड़ी.

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5 जून, 2022

इसी तरह पांच जून को भी Guang में चीन की कोरोना नीति को लेकर लोगों का आक्रोश देखने को मिला था. हिंसक प्रदर्शन तक शुरू हो गए थे. तब मांग की गई थी कि उन्हें खुला छोड़ दिया जाए, उन पर लगाई जा रहीं पाबंदियों को खत्म किया जाए. वहां भी सरकार को ही लोगों के सामने झुकना पड़ा था और कुछ पाबंदियों से मुक्ति देनी पड़ी.

13 जून, 2022

शंघाई में हुए विरोध प्रदर्शन से व्यापार पर काफी असर पड़ा था. इसी वजह से Qipu Road पर कई व्यापारियों ने सरकार को घेरने का काम किया था. तब सड़क पर उतर मांग की गई थी रेंट को कम किया जाए. लेकिन उनकी मांग मानने के बजाय तब पुलिस ने उन पर बल का इस्तेमाल किया था और मार्च को रोकने का काम किया गया.

6 अगस्त, 2022

कोरोना की वजह से Hainan में लॉकडाउन लगा हुआ था. कई लोग जो एयरपोर्ट पर थे, वे वहीं पर फंस गए. उनकी तरफ से प्रदर्शन शुरू कर दिया गया. तब पुलिस मौके पर पहुंची थी. सरकार की तरफ से आश्वासन दिया गया कि लोगों को फ्री में खाना दिया जाएगा और रहने की व्यवस्था भी की जाएगी.

4 अक्टूबर, 2022

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Yunnan Xishuangbanna Airport पर एक ऐसी स्थिति पैदा हो गई थी जहां पर यात्रियों को फ्लाइट में चढ़ने का ही मौका नहीं मिला. उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया. कारण ये था कि सरकार की तरफ ऐन मौके पर कोरोना से जुड़े कुछ नियम बदल दिए गए. इस वजह से वहां पर लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया, पुलिस को भी मौके पर पहुंच कुछ लोगों को हिरासत में लेना पड़ा.

16 अक्टूबर, 2022

बीजिंग के Sitong Bridge पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लिया गया था. एक युवक ने खुलकर अपनी आवाज बुलंद की थी. उसके बाद उस युवक के खिलाफ कार्रवाई की गई जिस वजह से चीन के अलग-अलग इलाकों में उस लड़के के समर्थन में प्रदर्शन शुरू हो गए. इसी तरह Shaanxi में सुबह के वक्त चार अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किए गए. बैनरों के जरिए कहा गया कि जिपनिंग तुम्हारे पिता चाहते हैं कि तुम इस स्टेशन पर उतर जाओ.

इसी तरह चीन में समय-समय पर कई और विरोध प्रदर्शन देखने को मिले. शी जिनपिंग के लिए ये स्थिति असहज बन सकती है क्योंकि आज से पहले उनके खिलाफ कोई भी आवाज बुलंद नहीं करता था, लेकिन अब वहां के नागरिक ही उनकी नीतियों के खिलाफ खुलकर बोलने लगे हैं.

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(बिदिशा साहा की खबर)
 

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