चीन ने समुद्री डाकुओं से निपटने के अभियान में अदन की खाड़ी में एक परमाणु पनडुब्बी तैनात किए जाने का खुलासा किया है. चीन ने इस खुलासे से भारत समेत उसके सभी पड़ोसी देशों की चिंता बढ़ सकती है. चीन के अधिकारिक मीडिया का कहना है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नौसेना की एक परमाणु पनडुब्बी ने समुद्री डाकुओं के खिलाफ अभियान के तहत अदन की खाड़ी में दो जहाज और एक सप्लाई पोत को दो महीने तक सुरक्षा मुहैया कराते हुए उनके साथ गश्त की. पनडुब्बी टाइप 091 है जो अब शांडोंग के किंगदाओ स्थित अपने अड्डे पर लौट आई है.
मिलिट्री चैनल सीसीटीवी ने डिप्टी कमांडर यू झेंगकियांग का इंटरव्यू किया जिसमें उन्होंने कहा कि इस अभियान के दौरान चालक दल के सदस्यों को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा.
यू ने कहा, ‘हमारी पहली चिंता, उपकरणों और सुविधाओं को लेकर थीं जबकि दूसरी समुद्र के अनजान इलाके में चुनौतियों को लेकर. साथ ही सैन्य गुप्तचर मुद्दों की वजह से भी हमारी चुनौतियां और जटिल हो गईं.’
चीन के सैन्य विशेषज्ञों के अनुसार इस तैनाती से चीन के पड़ोसी देशों खासकर भारत में बेचैनी उत्पन्न हो सकती है. इसमें कहा गया है कि चीन अपने राजनीतिक और निवेश हितों को विदेशों में बढ़ाते हुए दूरदराज के क्षेत्रों में और ऐसे जहाज तैनात कर सकता है. ताइपे स्थित सोसाइटी फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज के महासचिव सियाह ताई सी ने कहा कि तैनाती से अमेरिका के साथ ही क्षेत्र के अन्य देशों विशेष रूप से भारत चिंतित होगा.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के चीन से आठ पनडुब्बियां खरीदने और चीन के दक्षिण एशिया में बंदरगाह परियोजनाओं में शामिल होने से भारत पहले से ही चिंतित है. उन्होंने कहा, ‘यद्यपि इस अभियान के तहत पीएलए अन्य देशों के पोतों के साथ सहयोग कर सकेगा जिससे उसे इन देशों की नौसेनाओं की क्षमताओं का मूल्यांकन करने का मौका मिलेगा.’
उधर शंघाई स्थित एक सैन्य समीक्षक नी लिजियांग ने कहा, ‘कोई यह तर्क दे सकता है कि परमाणु पनडुब्बी को भेजा जाना सही नहीं है लेकिन इससे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के इस जहाज के पहुंच का परीक्षण भी हो गया.