भारत और मालदीव के बीच जारी राजनयिक तनाव के बीच चीनी जहाज जियांग यांग होंग 03 मालद्वीव के क्षेत्र में प्रवेश कर गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह जहाज मालदीव की राजधानी माले में रुकेगा. समुद्री सर्वे करने के लिए चीन ने मालदीव से वहां के बंदरगाहों पर अपने जहाज को डॉक करने की अनुमति मांगी थी. भारत ने मालदीव से चीनी जहाज को रुकने की अनुमति नहीं देने के लिए कहा था.
समुद्र में चीन की इस तरह की हरकत का भारत शुरुआत से ही विरोध करता रहा है. इससे पहले चीन के जहाज शि यान 6 श्रीलंका के तट पर समुद्री सर्वे किया था. श्रीलंका में समुद्री सर्वे संपन्न करने के बाद चीन ने मालदीव और श्रीलंका से एक और समुद्री सर्वे की अनुमति मांगी थी. भारत ने श्रीलंका और मालदीव से चीनी जहाज को भविष्य के सैन्य अभियानों के लिए हिंद महासागर में अनुमति नहीं देने के लिए कहा था.
आधुनिक तकनीकों से लैस है चीन का जहाज
चीन ने जियांग यांग होंग 03 जहाज को 2016 में बनाया था. इस जहाज का वजन लगभग 4300 टन बताया जा रहा है. यह जहाज नवीनतम सर्वेक्षण और निगरानी तकनीकों से लैस है. नौसेना के सूत्रों के मुताबिक, समुद्र तल की मैपिंग की मदद से चीन भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर में पनडुब्बी संचालन भी कर सकता है.
भारत क्यों करता है विरोध?
प्रो चाइना कंट्री मालदीव द्वारा चीनी पोत को अपने बंदरगाह पर डॉक करने की अनुमति देने से भारत इसलिए भी चिंतित है क्योंकि चीन का यह जहाज बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर्स और रिसर्च सर्विलांस तकनीकों से लैस है. भारत इस बात को लेकर भी चिंतित है कि चीन समुद्र में रिसर्च के नाम पर भारत की जासूसी करने के लिए इन जहाजों का इस्तेमाल कर सकता है.
जुलाई 2023 में भारत दौरे पर आए श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के सामने भी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे को उठाया था. भारत ने श्रालंका से कहा था कि श्रीलंका को भारत की रणनीतिक चिंताओं का सम्मान करना चाहिए. कूटनीतिक और राजनीतिक शब्दावली में हिन्द महासागर भारत का बैकयार्ड कहलाता है. इससे भारत का मजबूत राजनीतिक, आर्थिक और यहां तक कि सामाजिक रिश्ता है. लेकिन चीन कई बार हिंद महासागर में अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाएं की मुक्त आवाजाही पर सवाल उठाता रहा है.
चीनी जहाज को लेकर मुइज्जू सरकार ने क्या कहा है?
चीन Xian Yang Hong 03 को सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करता है और हिंद महासागर में इसके जरिए जासूसी का काम करता है. चीन का यह जहाज पहले श्रीलंका में रुकने वाला था लेकिन श्रीलंका ने विदेशी जहाजों के अपने बंदरगाहों पर रुकने को लेकर एक साल की रोक लगा दी जिसके बाद चीन ने मालदीव का सहारा लिया है.
मुइज्जू सरकार ने कहा था कि मालदीव मित्र देशों के जहाजों का हमेशा से स्वागत करता रहा है. हालांकि, मालदीव की सरकार ने कहा था कि चीनी जहाज ने राजधानी माले में रुककर रोटेशन और ईंधन भरने की अनुमति मांगी है और ये मालदीव के समुद्री क्षेत्र में किसी तरह के रिसर्च का काम नहीं करेगा.
चीन की सरकार ने कहा था शुक्रिया
चीनी विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की थी कि उनका जहाज रिसर्च का काम करेगा. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था, 'समुद्री क्षेत्रों में चीन के वैज्ञानिक शोध कार्य केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हैं जिसका लक्ष्य समुद्र को लेकर मानवजाति की वैज्ञानिक समझ को बढ़ाना है. ये काम समुद्री कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रावधानों का पालन करते हुए किया जा रहा है. सालों से चीन और मालदीव समुद्री वैज्ञानिक शोध में सहयोग करते आ रहे हैं.'
चीनी प्रवक्ता ने कहा था कि चीन इस बात की सराहना करता है कि मालदीव ने अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रासंगिक प्रावधानों, संप्रभुता और चीन-मालदीव मित्रता के आधार पर चीनी वैज्ञानिक रिसर्च जहाज को अपने बंदरगाहों में प्रवेश करने के लिए सुविधा और सहायता मुहैया की है.