भारत में चीन के नए राजदूत शु फेइहोंग ने व्यापार में दोहरा मापदंड का आरोप लगाया है. चीनी राजदूत ने सोशल मीडिया पर दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती कारों की तस्वीरें शेयर कर कहा है कि यहां जापान, कोरिया, अमेरिका और जर्मनी की कारें भरी पड़ी हैं और फिर भी आरोप चीन पर लगते हैं कि वो विदेशों में अपने सामानों की बाढ़ ला देता है.
राजदूत ने कहा है कि केवल चीन को ही क्यों 'ओवरकैपेसिटी' के लिए दोष दिया जाता है. ओवरकैपेसिटी व्यापार में इस्तेमाल होने वाला शब्द है जिसका मतलब किसी देश में जरूरत से ज्यादा सामानों की आपूर्ति कर देना होता है.
शु फेइहोंग ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, 'दिल्ली की सड़कों पर बहुत सी जापानी, कोरियाई, अमेरिकन और जर्मन कारें भरी पड़ी हैं. ये देखकर मैं सोचने पर मजबूर हूं कि कार बेचने वाले सभी देशों को ओवरकैपेसिटी के लिए दोष नहीं दिया जाना चाहिए? अगर नहीं तो नवीन ऊर्जा वाली कारों को बेचने पर चीन को क्यों ओवरकैपेटिसी का लेबल दिया जाता है?'
चीनी राजदूत ने अमेरिका को घेरते हुए आगे सवाल किया, 'अमेरिका सोयाबीन, चिप्स और बोइंग विमानों का बड़ा निर्यातक है... तो यह ओवरकैपेसिटी क्यों नहीं है? क्या यह खुलेआम दोहरे मापदंड अपनाना नहीं है? व्यापार का मतलब यह होता है कि गुणवत्ता पूर्ण सामानों का आदान-प्रदान लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हो. अगर इसे ओवरकैपेसिटी कहा जाता है तो क्या हमें वैश्विक व्यापार को खत्म कर देना चाहिए?'
'चीन के नवीन ऊर्जा उद्योग से डरा पश्चिम'
शु फेइहोंग ने कुछ समय पहले ओवरकैपेसिटी को लेकर एक और ट्वीट किया है जिसमें वो कहते हैं, 'कुछ विशेष देश चीन के ओवरकैपेसिटी को इतनी हवा क्यों दे रहे हैं? कुछ विकसित देश विकाशसील देशों को सस्ते श्रम, कच्चे माल और प्राथमिक उत्पादों के स्रोत की तरह ही ट्रीट करते हैं और उनका मकसद हमें ग्लोबल वैल्यू चेन में सबसे नीचे रखना होता है. इसलिए चीन का नवीन ऊर्जा उद्योग उन्हें हैरान कर रहा है. वो तकनीक में एकाधिकार को बनाए रखने के लिए विकासशील देशों को विकास के उनके वैध हक से ओवरकैपिसिटी के नाम पर रोक रहे हैं.'
ओवरकैपेसिटी के पश्चिमी कॉन्सेप्ट को चीन करता है खारिज
चीन एक बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग उद्योग है जिस पर अक्सर ये आरोप लगते हैं कि वो अपने सामानों को अपेक्षाकृत सस्ते दामों पर बेचता है जिससे दूसरे देशों में उसके सामानों की भरमार होती है.
पिछले साल चीन ने दुनिया के सबसे बड़े कार विक्रेता के रूप में जापान को पीछे छोड़ दिया. ऐसा चीन की इलेक्ट्रिक कारों के उत्पादन में बढ़ोतरी के कारण संभव हुआ. इससे पश्चिमी देशों में यह डर फैल गया कि चीन घरेलू स्तर पर बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करता है जो उनके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाला है. पश्चिम ने चीन पर ओवरकैपेसिटी का आरोप लगाया लेकिन बहुत सी चीनी कार निर्माता कंपनियों ने इस कॉन्सेप्ट को खारिज किया है.
18 महीनों बाद चीन ने नियुक्त किया भारत में अपना राजदूत
भारत में चीनी राजदूत का पद 18 महीनों तक खाली रहा जिसके बाद मई के महीने में चीन ने शु फेइहोंग को भारत का राजदूत नियुक्त किया. शू भारत में चीन के 17वें राजदूत हैं.
पदभार संभालने के बाद शु ने कहा था कि उनकी प्राथमिकता विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और आदान-प्रदान को फिर से बहाल करने और भारत-चीन के मजबूत संबंधों के लिए अनुकूल माहौल बनाने की रहेगी.