पाकिस्तान में रमजान के महीने में ईशनिंदा के आरोप में एक चीनी नागरिक को गिरफ्तार किया गया है. रविवार शाम को खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की पुलिस ने चीनी नागरिक को हिरासत में लिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह गिरफ्तारी पाकिस्तान और चीन के बीच एक राजनयिक विवाद की घटना बन सकती है.
स्थानीय मीडिया में छपी खबरों के अनुसार, चीनी नागरिक चाइना गेजौबा ग्रुप कंपनी में एक इंजीनियर है. उसे इस्लामाबाद से लगभग 350 किमी उत्तर में दसू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के एक कैंप में तैनात किया गया था. काम के दौरान स्थानीय पाकिस्तानी स्टाफ से उसकी तीखी बहस हो गई. ये बहस रमजान के दौरान नमाज के लिए लंबे ब्रेक और काम की धीमी गति को लेकर हुई.
कहा जा रहा है कि चीनी इंजीनियर ने कथित रूप से ईशनिंदा वाली टिप्पणी की जिसके बाद उस पर हमला करने के लिए भीड़ जमा हो गई. गुस्साई भीड़ को देख पुलिस को फोन किया गया जिसके बाद खैबर-पख्तूनख्वा पुलिस ने आकर चीनी नागरिक को हिरासत में लिया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शख्स को खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के सुदूर कोहिस्तान क्षेत्र के एक पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा गया है.
चीनी व्यक्ति के खिलाफ ईशनिंदा की शिकायत दर्ज कराई जाए या नहीं, इस पर फैसला लेने के लिए सोमवार को ट्राइबल काउंसिल की बैठक बुलाई जाएगी. चीनी नागरिक के साथ किसी तरह की भीड़ की ओर से हिंसा न हो, इसके लिए पुलिस ने फिलहाल उसे हिरासत में रखा है. लेकिन यह घटना पाकिस्तान और चीन के बीच एक राजनयिक विवाद का कारम बन सकता है.
पहले भी विदेशी नागरिकों पर लगते रहे हैं ईशनिंदा के आरोप
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान में किसी विदेशी नागरिक पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है. दिसंबर 2021 में, सियालकोट की एक फैक्ट्री में मैनेजर के पद पर काम करने वाले श्रीलंकाई नागरिक प्रियांथा दियावदाना को ईशनिंदा के आरोप में पीटपीट कर मार डाला गया. 48 वर्षीय प्रियांथा की हत्या के बाद कारखाने के श्रमिकों की भीड़ ने उनके शव को आग के हवाले कर दिया.
श्रीलंकाई मैनेजर ने श्रमिकों को फैक्ट्री के मशीनों की साफ सफाई का आदेश दिया था क्योंकि कुछ विदेशी कंपनियों के प्रतिनिधिमंडल फैक्ट्री का दौरा करने वाले थे. मैनेजर ने श्रमिकों से धार्मिक स्टिकर हटाने को कहा था. कथित तौर पर जब श्रमिकों ने स्टिकर नहीं हटाया तो मैनेजर ने खुद ही स्टिकर को हटा दिया जिसके बाद गुस्साए श्रमिकों ने उसे मार डाला.
इस घटना से पाकिस्तान और श्रीलंका के रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था. श्रीलंका के तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस घटना पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान से अपराधियों को सजा देने की मांग की थी.
ईशनिंदा के आरोप में मॉब लिंचिंग
पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में मॉब लिंचिंग का घटनाएं सामने आती रहती हैं. इसी साल फरवरी में पंजाब प्रांत के ननकाना साहिब जिले में एक शख्स को कुरान के अपमान के आरोप में भीड़ ने मार डाला.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुरान के अपमान के आरोप में लोगों ने एक शख्स को पकड़ लिया था और फिर पुलिस को इसकी जानकारी दी थी. लेकिन पुलिस के पहुंचते-पहुंचते बात फैल गई और भीड़ जमा हो गई. पुलिस के साथ भीड़ भी पुलिस थाने तक आई और आरोपी को थाने से खींचकर उसकी हत्या कर दी.
पाकिस्तान में कई लोगों को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई जा चुकी है. हाल ही में एक शख्स को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई है. शख्स पर व्हाट्सऐप के जरिए ईशनिंदा का आरोप लगा था.
पाकिस्तान के एक जाने-माने शिक्षक जुनैद हफीज पर भी कई सालों पहले ईशनिंदा का आरोप लगा था जिसके बाद उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. पिछले कई सालों से वो जेल में बंद हैं.
ईशनिंदा कानून के निशाने पर अल्पसंख्यक
पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों का कहना है कि इस कानून का इस्तेमाल उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए होता है. साल 2009 में कुरान के कथित अपमान को लेकर पंजाब प्रांत के गोजरा गांव के 40 घरों और एक चर्च में आग लगा दी गई जिसमें सात ईसाई जलकर मारे गए थे.
साल 2022 में फैसलाबाद में दो ईसाई भाइयों को गोली मार दी गई. उन पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक पत्र लिखने का आरोप था.
इस मामले में आसिया बीबी का मामला अब तक का सबसे चर्चित मामला रहा है. आसिया बीबी पर अपनी पड़ोस में रहने वाली एक मुस्लिम महिला के साथ झगड़े के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप था. आसिया बीबी को ईशनिंदा के लिए मौत की सजा सुनाई गई और वो कई सालों तक जेल में बंद रहीं. आसिया बीबी के पक्ष में बोलने के लिए पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की भी हत्या कर दी गई थी.
नवंबर 2018 में आसिया की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट को रद्द कर दिया. मौत की सजा रद्द किए जाने के बाद भी आसिया बीबी पाकिस्तान में महफूज नहीं थी इसलिए उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया और अब वो कनाडा में रहती हैं.
क्या है पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून?
पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून कई चरणों में बनाया गया और समय के साथ-साथ यह और सख्त होता गया. इस कानून को ब्रिटिश शासनकाल में बनाया गया था लेकिन उस दौरान यह बेहद ही लचीला था. इसके तहत अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी धार्मिक स्थल या धार्मिक वस्तु को नुकसान पहुंचाता है जो उसे सजा दी जाएगी. इस कानून के तहत एक से 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान था.
साल 1980 में इस कानून में एक नई धारा जोड़ी गई जिसमें कहा गया कि अगर कोई इस्लामी व्यक्ति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करता है तो उसे तीन साल की सजा हो सकती है. साल 1982 में इस कानून का फिर विस्तार किया गया और कहा गया कि अगर किसी व्यक्ति ने कुरान का अपमान किया तो उसे उम्रकैद होगी.
साल 1986 में इस कानून को और सख्त बनाते हुए ईशनिंदा के लिए मौत या उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया.
ईशनिंदा कानून को लेकर क्या है जानकारों की राय?
डेलावेयर यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडीज के फाउंडिंग डायरेक्टर प्रो. मुक्तदर खान का कहना है कि ईशनिंदा कानून गैर इस्लामिक है और कुरान में कहीं भी इसका जिक्र नहीं है.
हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, 'इस कानून में इतनी सख्ती बरतते हैं कि अगर आदमी माफी भी मांग ले तो भी उसे मौत की सजा दी जाती है. इस गुनाह के लिए मौत की सजा है ही नहीं इस्लाम में. सजा-ए-मौत जो देते हैं वो कहते हैं कि अगर आप इस तरह की हरकत करें तो आप गैर-मुस्लिम हो जाते हैं और गैर-मुस्लिम होने की सजा मौत है. कुरान में इसका कोई सबूत नहीं है.'
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में कोई भी नेता या सैना प्रमुख इस कानून में संशोधन करना नहीं चाहता क्योंकि वो डरते हैं. मुक्तदर खान ने कहा कि पाकिस्तान ईशनिंदा कानून को लेकर इतना सख्त है कि उसके सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ भी इसके नियमों में ढील देने के सवाल पर डर गए थे.
खान ने बताया कि इस कानून को लेकर बातचीत में मुशर्रफ ने कहा था, 'पाकिस्तान में दो चीजें ऐसी हैं, जिन्हें मैं भी हाथ नहीं लगा सकता. अगर मैं इनसे छेड़छाड़ करता हूं तो मैं खुद ही मर जाऊंगा. एक तो ईशनिंदा कानून और दूसरा कश्मीर का मसला. बाकी चीजों में सुधार के लिए आप हमसे कह सकते हैं लेकिन इन दो चीजों पर नहीं.'