चीन के सड़क निर्माण दल ने जानबूझकर अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ नहीं की थी. चीनी दल गलत मैप रीडिंग की वजह से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर गया था. इसमें चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी भी शामिल नहीं थी. भारत सरकार ने घुसपैठ की इस घटना की समीक्षा के बाद यह माना है.
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार का मानना है कि चीनी सड़क निर्माण दल के एजेंट गलती से भारतीय क्षेत्र में आ गए थे. वो नियंत्रण रेखा को समझ नहीं पाए थे. इस निर्माण दल में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नहीं शामिल थी. साथ ही भारत के विरोध के बाद चीनी दल ने भारतीय क्षेत्र में कंस्ट्रक्शन बंद कर दिया और वर्कर्स अपने उपकरण छोड़कर चले गए.
फिलहाल मोदी सरकार इसको चीन की ओर से जानबूझकर की गई घुसपैठ नहीं मान रही है. वहीं, चीन के सड़क निर्माण दल द्वारा भारत के अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने का मामला संसद में भी उठा. गुरुवार को कांग्रेस सांसद निनोंग एरिंग ने चीनी घुसपैठ के मसले को उठाया. उन्होंने कहा कि चीन की घुसपैठ कराने की घटना बेहद गंभीर है. लिहाजा केंद्र सरकार को चीन से निपटने के लिए जल्द ठोस कदम उठाने चाहिए.
दरअसल, 28 दिसंबर को चीन का सड़क निर्माण दल भारत के अरुणाचल प्रदेश में करीब एक किलोमीटर अंदर तक आ गया था. हालांकि भारतीय सैनिकों के कड़े विरोध के बाद वापस लौट गया. चीनी दल अपने साथ खुदाई करने वाले उपकरण सहित सड़क बनाने में काम आने वाले कई उपकरण भी लेकर आया था, जिसको वो वापस लौटते समय छोड़ गया था. इसके बाद भारतीय सुरक्षा बलों ने चीनी दल के सड़क बनाने के उपकरणों को भी जब्त कर लिया है.
वहीं, चीन ने भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसपैठ की इस घटना पर चुप्पी साध रखी है. चीन का कहना है कि उसने अरुणाचल प्रदेश के वजूद को कभी माना ही नहीं है. इससे जुड़े सवाल पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि उनको इस बाबत कोई जानकारी नहीं है. चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है. वास्तविक नियंत्रण रेखा के 3,488 किमी लंबे हिस्से को लेकर भारत चीन सीमा विवाद है.