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गलवान में चीन के कितने सैनिक मरे, बीजिंग की चुप्पी से चीनी जनता में आक्रोश

चीनी नागरिक ऑनलाइन माध्यमों पर अपनी बेचैनी व्यक्त कर रहे हैं क्योंकि आधिकारिक बयान न तो 15 जून की लड़ाई में हताहतों की पुष्टि कर रहे हैं और न ही खंडन. हालांकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी भावनाएं लिखते हुए चीनी नागरिक शब्दों का बहुत सावधानी से इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उन्हें बाद में कोई नतीजे न भुगतने पड़ें.

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चीन गलवान में मारे गए सैनिकों की संख्या छिपा रहा है (फोटो- पीटीआई)
चीन गलवान में मारे गए सैनिकों की संख्या छिपा रहा है (फोटो- पीटीआई)

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  • हताहत PLA सैनिकों पर बीजिंग की चुप्पी से भड़के चीनी
  • सेंसर की अनदेखी कर इंटरनेट पर गुस्सा जता रहे नागरिक

गलवान नदी घाटी में 15 जून की रात को भारत के साथ हुए टकराव में अपने हताहत सैनिकों की संख्या को लेकर चीन ने आधिकारिक तौर पर जहां चुप्पी साध रखी है, वहीं चीन के नागरिक नुकसान को लेकर रिपोर्टिंग की कमी पर हताशा का इजहार कर रहे हैं.

चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का ओपन-सोर्स विश्लेषण दिखाता है कि कैसे वहां के नागरिक बीजिंग के सख्त ऑनलाइन रेगुलेशन्स पर गुस्सा जता रहे हैं.

चीन से उलट भारतीय लोकतंत्र ने गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने हुई हाथों की लड़ाई में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने की सावर्जनिक तौर पर जानकारी दी.

क्षेत्र में तैनात पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिकों के परिवार वालों और दोस्तों के साथ ही चीन के आम नागरिकों के लिए भी सारी स्थिति पर बीजिंग ने रहस्य का पर्दा गिरा रखा है.

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चीनी लोग ऑनलाइन पर अपनी बेचैनी व्यक्त कर रहे हैं क्योंकि आधिकारिक बयान न तो 15 जून की लड़ाई में हताहतों की पुष्टि कर रहे हैं और न ही खंडन. हालांकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी भावनाएं लिखते हुए शब्दों का बहुत सावधानी से इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उन्हें बाद में कोई नतीजे न भुगतने पड़ें.

Weibo पर प्रतिक्रियाएं

Weibo चीन का अपना ट्विटर हैं. इस माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर चल रहे संवाद का विश्लेषण बताता है कि चीनी नागरिक अधिकतर भारतीय तस्वीरों, न्यूज आर्टिकल्स और गलवान घाटी में टकराव से जुड़े वीडियो शेयर कर रहे हैं

न तो चीन में सरकारी नियंत्रित मीडिया और न ही सरकार ने ऑन रिकॉर्ड कुछ ऐसा कहा है, जिससे खूनी टकराव की घटना को लेकर कोई पारदर्शी जानकारी मिलती हो.

आइए हम कुछ टिप्पणियों को उनके अनुवाद के साथ देखते हैं:

PLA के हताहत सैनिकों को लेकर चीनी नेटीजन्स पारदर्शिता की मांग करते हैं. वो भारत की इस बात के लिए सराहना करना चाहेंगे कि उसने अपने नुकसान को लेकर अपनी जनता को बिना कोई देर किए अवगत कराया.

Weibo पर एक चीनी यूजर ने 19 जून को पोस्ट किया, "भारत ने अपने बलिदानी सैनिकों के लिए एक मेमोरियल सर्विस का आयोजन किया. यह दिखाता है कि किस तरह पूरा भारत अपने देश और जमीन की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए उच्च सम्मान की भावना रखता है, उनका ध्यान करता है.”

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“ये दिखाता है भारतीय राष्ट्र की एकजुटता का उच्च स्तर? लेकिन हमारे बारे में क्या? हमें भारत से सीखना चाहिए और अपने सैनिकों के लिए सम्मान दिखाना चाहिए. हम अपने शहीद हुए सैनिकों के लिए क्यों खुले तौर पर मेमोरियल सर्विस का आयोजन नहीं करते? क्या? PLA की तरफ शून्य मौतें? क्या घायलों को ट्रांसपोर्ट किया गया? मुझे माफ कीजिए? "

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चीनी सैनिकों पर किसी भी जानकारी को परिवार या दोस्तों के साथ साझा करने पर सख्त प्रतिबंध है. इस सब ने बहुत अनिश्चितता कर दी है कि वो कहां मौजूद हैं और उनका हाल क्या है.

Weibo पर एक और पोस्ट में लिखा गया है- "मैं कल से चीन और भारत के बीच की स्थिति के बारे में चिंतित हूं. विदेशी समाचारों के वीडियो और लेखों से, मुझे सबसे ज्यादा चिंता पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के अपने युवा सैनिकों को लेकर है, क्या कुछ सैनिक हताहत हुए हैं क्योंकि कोई विशिष्ट आंकड़ों का एलान नहीं किया गया है. (भारत ने तस्वीरों के साथ 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने की जानकारी दी है), हमारे चीनी सीमा गार्ड और सैनिक बहुत ही युवा होंगे. उनके माता-पिता, को लेकर मेरे दिल में बहुत चिंता है. आशा करते हैं कि आप सुरक्षित हैं. आप हमारी मातृभूमि का गौरव हैं.आप सभी का धन्यवाद!"

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कुछ चीनी नेटिज़न्स स्थानीय सोशल-मीडिया सर्किल में भारतीय सैनिकों के बलिदान का मजाक उड़ाने वाले लोगों से असहज दिखे.

एक चीनी नेता ने लिखा, "भारत के साथ संघर्ष के मामले में, सैकड़ों सैनिक शामिल हैं. भले ही हमारे पास कठोर अनुशासन और कठिन प्रशिक्षण है, लेकिन हम सब हाड़-मांस के बने हैं. यह अनुमान लगाया गया है कि हमारे कई सैनिकों को भी चोटें आई हैं."

एक चीनी नेटिजन ने लिखा- "भारतीय हताहतों पर खुश होने और उनका मजाक उड़ाने वालों को देखकर मुझे दुख होता है. इन सेनानियों के परिवार अब बहुत नर्वस होंगे."

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गलवान घाटी के संघर्ष को लेकर चीनी नेटिजन्स PLA जवानों को लेकर चिंता जता रहे हैं.

एक जवाब में कहा गया,"देखभाल करना महज बयान देने की बात नहीं है. यह सैनिकों की जरूरतों का ख्याल रखने और उनके प्रशिक्षण उपकरणों में सुधार करने के बारे में है.”

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रिश्तेदारों ने अपनी शिकायतों के बारे में ऑनलाइन पोस्ट करना शुरू कर दिया, यह कहते हुए कि लद्दाख क्षेत्र में सैनिकों से संपर्क नहीं हो पा रहा.

Weibo थ्रेड में एक नोट में कहा गया, "सैनिकों और उनके परिवारों की अच्छी तरह से देखभाल करने की आवश्यकता है, परिवार बहुत चिंतित होंगे."

एक और नोट में कहा गया, "सैनिकों के बारे में हम बहुत चिंतित हैं. उनके कुशलक्षेम को लेकर कोई जानकारी नहीं है, परिवार बहुत चिंतित हैं."

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कुछ पोस्ट में चीन की ओर से सूचना को दबाने और देश के घरेलू मीडिया की ओर से स्थिति का बहुत कम खुलासा करने के लिए आलोचना की गई है.

एक Weibo हैंडल में लिखा गया है- "सिर्फ यह समझना चाहते हैं कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के हताहतों की संख्या क्यों नहीं जारी की गई है, वहीं उनसे उम्मीद की जाती है कि वे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दें? कम ऑन, चीन केवल बाहर चालें चलता है और अंदर की राय को दबाता है,"

एक और कमेंट में कहा गया है, "कुंजी अब यह है कि कौन विश्वास कर सकता है और कौन चीनी मीडिया पर विश्वास करेगा. बहुत अधिक झूठ है, और असल में बहुत विश्वसनीयता नहीं बची है. घरेलू मीडिया अब जो कुछ भी कर रहा है वो वही है जो विदेशी मीडिया आउटलेट्स कहते हैं.”

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लोगों को अंधेरे में रखना

मुख्य रूप से, Weibo पर संदेशों का आदान-प्रदान इस बारे में है कि चीनी सरकार और मीडिया की ओर से हमेशा लोगों को कैसे अंधेरे में रखा जाता है.

Covid-19 महामारी के दौरान भी यह स्पष्ट हुआ है.

वुहान से एक चीनी डॉक्टर, ली वेनलियांग का नाम उन लोगों में शामिल था जिन्होंने सबसे पहले वुहान में कोरोनो वायरस के फैलाव के बारे में चेतावनी दी थी.

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उन्होंने अपने मेडिकल स्कूल के स्नातकों के साथ एक निजी चैट में अपनी शंकाएं जाहिर कीं.

इसे गंभीरता से लेने की जगह, चीनी अधिकारियों ने ली और सात अन्य डॉक्टरों को तलब किया और उन पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया.

जब डॉ ली की वायरस संक्रमण के बाद खुद फरवरी में मृत्यु हुई तो Weibo पर लोगों के गुस्से का इजहार करते हुए कमेंट्स की बाढ़ आ गई. "वुहान सरकार पर डॉ. ली के लिए माफी बकाया" और "हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता चाहते हैं" हैशटैग्स के साथ लोगों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं.

चीनी अधिकारियों ने दोनों हैशटैग को सेंसर करने और महत्वपूर्ण टिप्पणियों को हटाने में देर नहीं लगाई.

सूचना को दबाने में चीन के रिकॉर्ड को देखते हुए, इसके नागरिकों को 15 जून की घटना में हुए नुकसान पर बीजिंग की ओर से जानकारी दिए जाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है, अन्यथा कि बढ़ती नाराजगी सत्ता प्रतिष्ठान को झुकने के लिए मजबूर न कर दे.

एक वीबो यूजर ने चेतावनी दी है, चीनी सरकार ने संकेत दिया कि बहुत सारे लोग हताहत नहीं हुए और चीनी हताहतों की संख्या भारत की तुलना में कम थी. भारतीय जनता भारत पर रिएक्ट करने के लिए दबाव डालेगी, क्योंकि वहां लोकतंत्र है. अगर हमारे हताहतों की संख्या भारतीयों की तुलना में अधिक है, तो हमारा जनमत चीन के लिए अनुकूल नहीं होगा."

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(लेखक सिंगापुर स्थित ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस एनालिस्ट हैं)

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