मिस्र के राष्ट्रपति मोहम्मद मुरसी की ओर से अपने पास व्यापक शक्तियां रखने की घोषणा के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहा है. इन विरोध प्रदर्शनों के बीच मुरसी ने समर्थकों को भरोसा दिलाया है कि देश 'आजादी और लोकतंत्र' के रास्ते पर चल रहा है.
मुरसी के विरोधियों ने उन्हें मिस्र का 'नया फराओ' करार दिया है. राष्ट्रपति के शुक्रवार के एलान के बाद पूरे मिस्र में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. काहिरा में विभिन्न स्थानों से प्रदर्शनकारी ऐतिहासिक तहरीर चौक की ओर कूच कर रहे हैं. लोग मुरसी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.
विरोध प्रदर्शनों के बीच मुरसी ने अपने समर्थकों से कहा, 'मैं देश में राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक स्थिरता एवं आर्थिक स्थिरता चाहता हूं और इन्हीं के लिए काम कर रहा हूं.' उन्होंने कहा, 'मैं जनता की नब्ज और उनकी वैधानिक आकांक्षाओं के मुताबिक पहले भी था, आज भी हूं और आगे भी रहूंगा.' काहिरा में जमा हुए प्रदर्शनकारियों के हाथ में तख्तियां हैं जिन पर मुस्लिम ब्रदरहुड और सरकार की नीति में उसके कथित हस्तक्षेप की निंदा करते हुए नारे लिखे हुए हैं.
सरकारी टेलीविजन का कहना है कि मुस्लिम ब्रदरहुड की राजनीतिक इकाई फ्रीडम एंड जस्टिस पार्टी (एफजेपी) के इस्माइलिया और पोर्ट स्थित कार्यालयों को आग के हवाले कर दिया गया है. खबर है कि दूसरे प्रमुख अलेक्जेंड्रिया में भी पार्टी के कार्यालय पर प्रदर्शनकारियों ने हमला कर दिया. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यहां 15 लोग घायल हुए हैं.
मुरसी ने शुक्रवार को संवैधानिक घोषणा की जिसमें उन्हें व्यापक शक्तियां मिली हैं. उन्होंने मुबारक शासन के खिलाफ 2011 के विद्रोह के दौरान प्रदर्शनकारियों की हत्या में शामिल अधिकारियों पर फिर से मुकदमा चलाने के भी आदेश दिये. हमास और इस्राइल के बीच संघषर्विराम कराने के लिये विश्व के नेताओं से मिली सराहना के एक दिन बाद उन्होंने यह फैसला किया.
मुरसी की घोषणा में यह भी कहा गया है कि कोई भी अदालत संविधान सभा को भंग नहीं कर सकती जो नये संविधान निर्माण में लगी है. संविधान सभा का कार्यकाल भी दो माह के लिये बढ़ा दिया गया है. उन्होंने मुख्य अभियोजक को बख्रास्त कर मुबारक के शासनकाल के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हमला करने वाले लोगों पर फिर से मुकदमा चलाये जाने का आदेश दिया है.
इसी साल 30 जून को मुरसी के सत्ता ग्रहण करने के बाद से की गयी सभी संवैधानिक घोषणाओं कानूनों और शासनादेशों के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती और कोई व्यक्ति अथवा राजनीतिक अथवा सरकारी निकाय उन्हें रद्द नहीं कर सकता. गौरतलब है कि पिछले साल की शुरुआत में 18 दिन चले आंदोलन के बाद मुबारक सत्ता से बाहर हो गये थे. इसके बाद हुए राष्ट्रपति चुनाव चुनाव में मुस्लिम ब्रदरहुड के उम्मीदवार मुरसी विजेता बने थे.