पाकिस्तान में नेशनल एसेंबली को भंग करने की मांग को लेकर लाहौर से इस्लामाबाद तक का लॉन्ग मार्च शुरू हो गया है. पूरे पाकिस्तान की फोन लाइन्स जाम हो गई हैं और लाखों लोग इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं.
हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम सड़कों पर उमड़ पड़ा है. देश में पड़ रही कड़ाके की ठंड की परवाह किए बिना हर हिस्से से लोगों में राजधानी पहुंचने की होड़ लगी है.
आम चुनाव से पहले देश में चुनावी सुधार के लिए मार्च का यह आयोजन मौलवी ताहिर उल कादरी के संगठन तहरीक मिनहाजुल कुरान ने किया है. ताहिर उल कादरी का संगठन पिछले माह लाहौर में हुए एक जलसे के बाद चर्चा में आया.
इस जलसे में दस लाख से अधिक लोगों की भीड उमड़ी थी. कादरी का मार्च शुरू हो चुका है और पांच हजार से अधिक कार, बस, ट्रक और अन्य वाहन उनके पीछे इस्लामाबाद के लिए रवाना हो चुके हैं.
मार्च शुरू होने से पहले उन्होंने अपने आवास पर पत्रकारों से कहा कि प्रांतीय सरकार ने उनके मार्च को देखते हुए सीमाएं सील कर दी हैं और इस्लामाबाद की सरकार ने मार्च के रास्ते में एसिड और पेट्रोल से भरे टैंकर खड़े किए हुए हैं.
कादरी ने अपने संगठन के इस मार्च को लोकतांत्रिक मार्च करार दिया है और कहा कि सरकार को उनका रास्ता नहीं रोकना चाहिए. उन्होंने सरकार को उनका रास्ता नहीं रोकने की चेतावनी दी है.
करीब एक माह पहले तक कनाडा में शांत जीवन यापन कर रहे कादरी के बारे में कोई नहीं जानता था लेकिन उनके संगठन के आह्वान पर देश में मची खलबली के बाद वह प्रमुखता से उभर कर सामने आए हैं और लोग उनके एक इशारे पर आवाम सडकों पर उतरने के लिए तैयार हो रहा है.
करीब तीन सप्ताह पहले वह अपनी माटी लौटे हैं और उन्होंने देश मे होने वाले चुनाव से पहले चुनावी सुधार का आह्वान किया है. उन्होंने दावा किया है कि उनकी इस रैली 40 लाख से अधिक लोग शामिल होंगे. उनके संगठन की रैली को पाकिस्तान के कई कट्टरपंथी संगठनों ने अपना समर्थन दिया है.
कादरी का कहना है कि वे अब तभी वहां से हटेंगे, जब मुल्क की हुकूमत बदल जाएगी. इस प्रदर्शन के आयोजक इस्लामाबाद में मिस्र के तहरीर चौक की तरह लगातार प्रदर्शन करना चाहते हैं. मिस्र में ऐसे ही प्रदर्शन के कारण सरकार बदल गई थी.