जापान दौरे के तीसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को शिखर वार्ता के पहले जापान के व्यापारिक संगठनों को संबोधित किया. बीते क्वार्टर में विकास दर की उछाल और एफडीआई पर हालिया फैसलों का जिक्र करते हुए जापानी निवेशकों को भारत में अनुकूल माहौल मुहैया कराने के संकेत दिए. राजधानी टोक्यो में प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजराती होने के नाते उनके खून में कारोबार है और वह शासन और व्यापारियों के बीच बेहतर तालमेल समझते हैं.
'विस्तारवादी नहीं, विकासवादी रास्ते पर'
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया भर में दो तरह की नीतियां प्रचलित हैं, विस्तारवादी और विकासवादी. अब नया युग विकासवादी नीति का है. प्रधानमंत्री के इस बयान को चीन पर टिप्पणी के तौर पर भी देखा जा रहा है. याद रहे कि जापान का भी चीन से पुराना जल-सीमा विवाद चल रहा है.
वहीं जापानी कंपनियों को आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि नई सरकार सभी तरह के सुधार करते हुए अनुकूल माहौल मुहैया कराएगी. उन्होंने ऐलान किया कि प्रधानमंत्री दफ्तर (पीएमओ) के अंतर्गत एक विशेष मैनेजमेंट टीम का गठन किया जाएगा जो सिर्फ जापानी कंपनियों की दिक्कतें हल करने के लिए प्रतिबद्ध होगी. उन्होंने कहा, 'हमारी सरकार को तीन महीने हुए हैं. पहले क्वार्टर में विकास दर ने 5.7 फीसदी की जंप ली है. इसने विश्वास पैदा किया है. हमारा पिछला दशक बहुत मुश्किलों का रहा है. पहले हम 4.6- 4.7 के आस-पास लुढ़कते रहते थे और निराशा का भाव रहता था.'
'जापान से सीखेंगे स्किल डेवलपमेंट'
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया मानती है कि 21वीं सदी एशिया की होगी. लेकिन
यह कैसी होगी, यह भारत और जापान के संबंधों पर भी निर्भर करेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम 'स्किल डेवलपमेंट' जापान की तर्ज पर करना चाहते हैं.
मैं मानता हूं कि जापान इसमें हमारी बहुत मदद कर सकता है. हमें प्रतिभा के
उस स्तर पर जाना हो जो ग्लोबल जरूरतों को पूरा कर सके. जापान के साथ
मिलकर हम रिसर्च के क्षेत्र में भी आगे बढ़ना चाहते हैं.'
FDI के सहारे निवेशकों को बंधाई उम्मीद
उन्होंने कहा कि भारत और जापान दोनों को अरसे बाद एक स्थिर सरकार मिली
है. जाहिर तौर पर लोगों की अपेक्षाएं हैं, ऐसे में सरकारों की जवाबदेही और
जिम्मेदारी ज्यादा है. निवेशकों को लुभाने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा,
'भारत में 125 करोड़ की जनसंख्या है. वहां भी एक इच्छा पैदा हुई है. अपने
जीवन-स्तर को बदलने की. रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में हमने 100 फीसदी एफडीआई
का साहस भरा फैसला लिया है. डिफेंस में हम 49 फीसदी एफडीआई का फैसला
ले चुके हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर में भी 100 फीसदी एफडीआई की बात हमने कही है.
हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में इसका लाभ भी मिलेगा. आपको अच्छी
परिस्थिति मिलेगी.'
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान का मजबूत आर्थिक संबंध सिर्फ हमारी बैलेंस शीट में इजाफे भर का नहीं है, यह इससे भी कहीं ज्यादा का है. उन्होंने कहा, 'किसी को शक नहीं है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है. लेकिन मेरे मन में सवाल दूसरा है. सवाल ये है कि 21वीं सदी एशिया की तो हो, लेकिन कैसी हो. यह इस बात पर निर्भर करता है कि भारत और जापान के संबंध कितने गहरे बनते हैं, कितने प्रोग्रेसिव हैं, शांति और सहयोग के लिए कितनी प्रतिबद्धता है और ये संबंध एशिया और विश्व पर कैसा असर डालते हैं.'