नए नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है. इसे लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, तो वहीं कई तरह की चिंताएं भी लोगों के बीच हैं. इस बीच कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें बताया गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार की योजना एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) भारत में मुस्लिम अलपसंख्यकों को प्रभावित कर सकती है.
18 दिसंबर की इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि आजाद भारत के इतिहास में यह पहली दफा है जब देश की स्वभाविक नागरिकता प्रक्रिया में एक धार्मिक मानदंड जोड़ा गया.
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस, अमेरिकी कांग्रेस का एक स्वतंत्र रिसर्च विंग है, जो समय-समय पर सांसदों की जानकारी के लिए घरेलू और वैश्विक महत्व के मुद्दे पर रिपोर्ट तैयार करता है. हालांकि, इसे अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं माना जाता.
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (CRS) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की संघीय सरकार की योजना एनआरसी के साथ नए नागरिकता कानून (सीएए) से भारत में करीब 200 मिलियन मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रभावित हो सकते हैं.
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नए नागरिकता कानून के अनुसार, गैर-मुस्लिम शरणार्थी जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत में 31 दिसंबर 2014 तक आए उन्हें नागरिकता दी जाएगी. यह एक्ट भारतीय संसद के दोनों सदनों में पास हुआ, उसके बाद से इसे लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे. प्रदर्शन के हिंसक रूप लेने के कारण अब तक कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में कई प्रदर्शकारियों की मौत भी हो चुकी है.
अवैध प्रवासियों को नागरिक बनाने पर प्रतिबंध
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस ने अपनी दो पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि भारत के नागरिकता अधिनियम 1995 के तहत अवैध प्रवासियों को नागरिक बनाने पर प्रतिबंध है. इस एक्ट में कई संशोधन के बाद भी कोई भी धार्मिक पहलू नहीं था.
अब नागरिकता एक्ट में बदलाव के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन जारी है, जो हिंसक भी हो रहा है. नए नागरिकता कानून को लेकर विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदुत्व की पक्षधर बीजेपी, मुस्लिम विरोधी एजेंडे का अनुसरण कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक्ट भारत की धर्मनिरपेक्ष बुनियाद पर खतरा है और यह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों का भी उल्लंघन करता है. नए नागरिकता कानून के तहत तीन देशों के छह धर्मों (मुसलमान शामिल नहीं) को नागरिकता देने की इजाजत होगी. हालांकि, इस एक्ट से भारतीय संविधान के कुछ अनुच्छेद का उल्लंघन होता है, उसमें विशेष रूप से अनुच्छेद 14 और 15 है.