संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने गाजा पट्टी में इजरायल की तरफ से लगातार जारी बमबारी में बच्चों की मौत की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई है. यूनिसेफ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर ने स्विस शहर जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र की प्रेस वार्ता में कहा कि गाजा में बच्चे न केवल हवाई हमलों के कारण मर रहे हैं, बल्कि मेडिकल सुविधाओं की कमी के कारण भी मर रहे हैं.
प्रवक्ता ने अफसोस जताया कि बच्चों की मौत का आंकड़ा 3,450 से अधिक हो गया है. एल्डर ने चेतावनी देते हुए कहा, "आश्चर्यजनक रूप से यह संख्या हर दिन काफी बढ़ रही है. गाजा बच्चों का कब्रिस्तान बन गया है. वहीं जिंदा बचे लोगों के लिए एक नरक बन गया है."
आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 वर्षों में वैश्विक संघर्षों में वार्षिक कुल संख्या की तुलना में गाजा में तीन सप्ताह में अधिक बच्चे मारे गए हैं.
'जल संकट का सामना कर रहे बच्चे'
यूनिसेफ प्रवक्ता ने गाजा में पानी और अन्य खतरों को रेखांकित करते हुए कहा कि बच्चों के लिए खतरा बमों से भी ज्यादा है. उन्होंने चेतावनी दी कि गाजा में 1 मिलियन से अधिक बच्चों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ा, क्योंकि गाजा का दैनिक जल उत्पादन इसकी उत्पादन क्षमता का महज 5 प्रतिशत है. इसके चलते डीहाइड्रेशन और प्यास के कारण भी बच्चों की मौत हो रही है.
'बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को भुगतना होगा खामियाजा'
उन्होंने कहा कि जब अंततः लड़ाई बंद हो जाएगी तो इसका खामियाजा बच्चों और उनके समुदायों की आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा. एल्डर ने जोर देकर कहा कि इस लड़ाई के शुरू होने से पहले गाजा में 8 लाख से अधिक बच्चों की पहचान मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता के रूप में की गई थी. अपनी टिप्पणी में एल्डर ने तत्काल युद्धविराम और गाजा के लिए मानवीय सहायता का आह्वान दोहराया.
18 हजार टन से अधिक विस्फोटक गिरा चुका इजरायल
बता दें कि इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध को 25 दिन हो चुके हैं. गाजा पट्टी में लगातार हो रहे हमलों में अब तक लगभग 3,500 बच्चों सहित 8,500 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. वहीं 21,000 से अधिक फिलिस्तीनी घायल हुए हैं. गाजा में अधिकारियों का कहना है कि हमलों में नष्ट हुई इमारतों के मलबे के नीचे 1,000 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं. इजरायल ने 7 अक्टूबर से गाजा पर 18,000 टन से अधिक विस्फोटक गिराए हैं.