लोकसभा चुनाव से पहले कच्चातिवु द्वीप को लेकर आरटीआई जवाब से भारत और खासकर तमिलनाडु की सियासत गरमाई हुई है. सालों पहले कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को दिए जाने को मुद्दा बनाते हुए भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और डीएमके के खिलाफ हमलावर है.
1974 में इंदिरा गांधी की सरकार में हुए एक समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया गया था. श्रीलंका की मीडिया ने कच्चातिवु द्वीप मुद्दे को उठाने के लिए भारत सरकार की आलोचना की है और इसे दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में चुनावी लाभ उठाने के लिए सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाला कदम बताया है.
भारत और श्रीलंका के बीच पाल्क स्ट्रेट पर स्थित कच्चातिवु द्वीप हिंद महासागर के दक्षिणी छोर पर स्थित है. 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका के राष्ट्रपति भंडारनायके के बीच इस द्वीप को लेकर समझौता हुआ था. जून 1974 में दोनों देशों के बीच दो दौर की बातचीत के बाद कुछ शर्तों पर सहमति बनी और यह द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया.
क्या बोल रहा है श्रीलंकाई मीडिया
श्रीलंका के अंग्रेजी अखबार 'डेली मिरर' ने मंगलवार को अपने संपादकीय लेख में इस मुद्दे पर टिप्पणी की है. अखबार ने इस ओपिनियन लेख की हेडिंग दी है- 'मोदी वांट्स कच्चातिवु'- तमिलनाडु में चुनाव का समय. (Modi wants Katchchatheevu-its election time in Tamil Nadu)
अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है, 'सोमवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ में रैली करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अचानक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा श्रीलंका के साथ किए गए समझौते में गलती नजर आ गई. यह समय भारत में चुनाव का है और भाजपा भारत के सबसे दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में कभी भी सत्ता में नहीं आई है.'
अखबार ने आगे लिखा है, "यह अफसोस की बात है कि अपनी सूझ-बूझ के लिए मशहूर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी राजनयिक होने का दिखावा करना छोड़ दिया है और तमिलनाडु में कुछ वोट हासिल करने की उम्मीद में सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने के लिए अपने प्रधानमंत्री की बातों में हां में हां मिला रहे हैं. हमें उम्मीद है कि श्रीलंका को भारतीय राजनीति में नहीं घसीटा जाएगा. श्रीलंका भारत की आंतरिक राजनीति से दूर रहना चाहता है.'
कच्चातिवु भारत का नहीं था जो उसे छोड़ दें: डेली फाइनेंशियल टाइम्स
श्रीलंका के एक अन्य अखबार डेली फाइनेंशियल टाइम्स ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से छापा है. डेली फाइनेंशियल टाइम्स ने इस ओपिनियन लेख को लेकर हेडिंग दी है- 'कच्चातिवु भारत का नहीं था जो वो छोड़ दे'. (Katchatheevu was not India’s to “give away”)
अखबार ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर कच्चातिवु द्वीप की संप्रभुता को लेकर अपना पुराना राग अलापा है. दशकों पहले कूटनीतिक बातचीत के माध्यम से सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाए गए मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए फिर से उठाया गया है. तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. एक मित्रवत पड़ोसी देश की ओर से यह एक खतरनाक और अनावश्यक उकसावा है जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
अखबार ने आगे लिखा है, 'भारत सरकार के शीर्ष पद पर बैठे लोगों की ओर से श्रीलंकाई क्षेत्र पर किए जा रहे लगातार उत्तेजक दावे हमें कहीं और से सुरक्षा गारंटी लेने के लिए मजबूर करेंगे. सम्राट अशोक से कूटनीति और कौटिल्य से रणनीति सीखने के बाद भी अगर श्रीलंका अपने 'निकटतम दुश्मन' से बचने के लिए राजमंडल की विदेश नीति को अपनाने के लिए मजबूर होता है तो यह दोनों देशों के लिए दुखद होगा. राजमंडल की विदेश नीति 'निकटतम शत्रु' से बचने के लिए किसी और को मित्र बनाने की वकालत करता है. राजमंडल सिद्धांत कौटिल्य की विदेश नीति का ही एक सिद्धांत है.
प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर ने कांग्रेस पर साधा था निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को आरटीआई में मिले जवाब पर आधारित एक रिपोर्ट के हवाले से एक्स पर लिखा, 'ये चौंकाने वाला मामला है. नए तथ्यों से पता चला है कि कांग्रेस ने जानबूझकर कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को दे दिया था. इस बात को लेकर हर भारतीय गुस्से में है और इस बात ने एक बार फिर यह मानने पर मजबूर कर दिया है कि हम कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते. भारत की अखंडता, एकता और हितों को कमजोर करना ही कांग्रेस के काम करने का तरीका है जो 75 सालों से जारी है.'
Eye opening and startling!
— Narendra Modi (@narendramodi) March 31, 2024
New facts reveal how Congress callously gave away #Katchatheevu.
This has angered every Indian and reaffirmed in people’s minds- we can’t ever trust Congress!
Weakening India’s unity, integrity and interests has been Congress’ way of working for…
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर उदासीनता दिखाई और भारतीय मछुआरों की अनदेखी की. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने 1974 में समुद्री सीमा समझौते में श्रीलंका को दिए गए कच्चातिवु द्वीप को 'छोटा द्वीप' और 'छोटी चट्टान' कहा था.