ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस में 195 देशों के बीच क्लाइमेट समझौता का ऐलान हो गया है. समझौते में दुनिया भर के टेम्परेचर में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने का टारगेट फिक्स किया गया है.
फ्रांसीसी विदेश मंत्री ने की घोषणा
फ्रांस के विदेश मंत्री लौरां फाबियुस ने समझौते की घोषणा तालियों की गड़गड़ाहट के बीच की. इससे पहले, फ्रांसीसी समाचार एजेंसी एएफपी ने कहा था कि 134 विकासशील देशों वाले समूह ने जलवायु परिवर्तन पर प्रस्तावित समझौते को अपना समर्थन दे दिया है. ये पहली बार है जब जलवायु परिवर्तन पर समझौते में कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर सभी देशों में सहमति बनी है.
क्लाइमेट जस्टिस पर आधारित फैसला
फैबियस ने दावा किया कि 31 पृष्ठों वाला यह समझौता 'जलवायु न्याय' की धारणा को स्वीकार करता है और यह देशों की अलग-अलग जिम्मेदारियों और उनकी अलग अलग क्षमताओं पर अलग अलग देशों की स्थितियों के परिप्रेक्ष्य में गौर करता है. दुनिया भर के तमाम नेताओं ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताया है.
समझौते में तय किया गया ये लक्ष्य:
जावड़ेकर ने किया स्वागत
भारत, चीन और अमेरिका की सहमति के साथ ही ऐतिहासिक जलवायु परिवर्तन समझौता शनिवार को मंजूर हो गया. शुरू में यह संभावना थी कि तापमान को दो डिग्री सेल्सियस से काफी नीचे का लक्ष्य और अधिक महत्वाकांक्षी 1.5 डिग्री सेल्सियस रखने की बात भारत और चीन जैसे विकासशील देश पसंद नहीं करेंगे जो कि कि औद्योगीकरण के कारण बड़े उत्सर्जक हैं लेकिन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 31 पन्ने के दस्तावेज का स्वागत किया.
At Comite de Paris #IndiaAtCOP21 pic.twitter.com/SfdoLFpNot
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) December 12, 2015
2020 से लागू होगा समझौता
समझौता 2020 से लागू होगा और यह अमीर और गरीब देशों के बीच इस बारे में दशकों से जारी गतिरोध को समाप्त करता है कि ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए प्रयासों को आगे कैसे आगे बढ़ाना है जिस पर अरबों डॉलर खर्च होने हैं तथा अभी से सामने आने वाले दुष्परिणामों से कैसे निपटना है.
ओलांद ने की पीएम मोदी से बात
महत्वपूर्ण वित्तपोषण मुद्दे पर विकसित देश 2020 से विकासशील देशों की मदद करने के लिए प्रतिवर्ष कम से कम 100 अरब डॉलर जुटाने पर सहमत हुए. यद्यपि अमेरिका की आपत्ति के बाद इसे समझौते के कानूनी रूप से बाध्यकारी अनुभाग में नहीं जोड़ा गया. इससे पहले फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने परोक्ष रूप से भारत को समझौते के पक्ष में मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया.
भारत की चिंताएं शामिल
अंतिम मसौदे पर प्रतिक्रिया जताते हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पहले मीडिया से कहा था कि विकासशील और विकसित देशों के बीच अंतर जिसकी मांग भारत करता रहा है उसे कार्रवाई के सभी स्तंभों में उल्लेखित किया गया है जिसमें न्यूनीकरण, वित्त और प्रौद्योगिकी तक पहुंच शामिल हैं. उन्होंने कहा कि मसौदा 'संतुलित' है और यह विश्व के लिए आगे बढ़ने का रास्ता है.
जावड़ेकर ने इसे भारत के लिए एक 'महत्वपूर्ण उपलब्धि' करार दिया. उन्होंने कहा कि 31 पृष्ठों वाले अंतिम मसौदे में 'सतत जीवन शैली और जलवायु न्याय' का उल्लेख किया गया है जिसका भारत द्वारा समर्थन किया जा रहा था. उन्होंने कहा, 'अंतिम मूलपाठ को पहली नजर में देखकर हम खुश हैं कि इसमें भारत की चिंताओं का ध्यान रखा गया है. इसे संधि (यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज) से जोड़ा गया है जबकि साझा लेकिन विभेदकारी जिम्मेदारियों को उसमें आत्मसात किया गया है.'
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जलवायु परिवर्तन पर हुए समझौते को ऐतिहासिक बताया है. उन्होंने कहा कि यह समझौता दुनिया के लिए टर्निंग पॉइंट है.
Historic accord could mark 'turning point' for global warming says US President Barack Obama: AFP #COP21
— ANI (@ANI_news) December 13, 2015
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने कहा था कि अगर देशों को अपना हित करना है तो उन्हें वैश्विक हित के लिए आगे बढ़ना होगा. उन्होंने कहा, 'प्रकृति हमें संकेत भेज रही है. सभी देशों के लोग आज जितने भयभीत पहले कभी नहीं रहे. हमें अपने गृह को बचाने के साथ उसे संभालना भी होगा.'