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क्या जल नेति से आसियान देशों ने कोरोना को रखा काबू? या रोकथाम के कदम जल्दी उठाना रहा कारगर

जल नेति शरीर के लिए छह शुद्धिकरण प्रक्रियाओं या शतकर्मों या शतक्रियाओं में से एक है. ये क्रियाएं शरीर के यौगिक शुद्धिकरण का एक समूह है. नेति के अलावा हठ की अन्य पांच क्रियाओं में नेति, धौति, नौलि, बस्ति, कपालभाति, और त्राटक शामिल हैं. इन्हें 15वीं-16वीं शताब्दी के साधु योगी आत्माराम ने संकलित किया था.

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फाइल फोटो- रॉयटर्स
फाइल फोटो- रॉयटर्स

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जैसा कि वैज्ञानिक अक्सर कहते हैं कि परस्पर संबंध होने से जरूरी नहीं कि वो उनसे जुड़ी होने वाली किसी बात के लिए भी कारण हों.

दक्षिण पूर्व एशिया में पारंपरिक तौर पर प्रचलित एक विधि को हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से वैधता नहीं मिली है, लेकिन इसे क्षेत्र में कोरोना वायरस केसों की संख्या कम होने के लिए श्रेय दिया जा रहा है.

इस विधि की जड़ें ‘हठ योग’ में हैं. इसका लक्ष्य मानव शरीर को उच्च संभावनाओं के लिए तैयार करना माना जाता है.

योग जल नेति

दस देशों- थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ब्रुनेई, लाओस, वियतनाम, म्यांमार और कंबोडिया- के आसियान ग्रुप कुछ देशों में हठ योग से जुड़ी जल नेति बहुत लोकप्रिय है.

इसके तहत नैजल ट्रैक (नाक की गुहा) की सफाई के लिए नाक के एक छेद से हल्के नमक वाला पानी अंदर प्रवेश कराया जाता है और उसे दूसरे छेद से बाहर निकाला जाता है. नाक में पानी प्रविष्ट कराने के लिए एक खास पात्र का प्रयोग किया जाता है, जिसे नेति पात्र कहा जाता है.

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जल नेति शरीर के लिए छह शुद्धिकरण प्रक्रियाओं या शतकर्मों या शतक्रियायों में से एक है. ये क्रियाएं शरीर के यौगिक "शुद्धिकरण" का एक समूह है.

नेति के अलावा हठ की अन्य पांच क्रियाओं में नेति, धौति, नौलि, बस्ति, कपालभाति और त्राटक शामिल हैं. इन्हें 15वीं/16वीं शताब्दी के साधु योगी आत्माराम ने संकलित किया था.

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जल के साथ नेति विशेष रूप से थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया और लाओस जैसे देशों में आम है. इन देशों की आबादी का अधिकतर हिस्सा ग्रामीण है और अधिकतर साइनसाइटिस में आराम के लिए इसका उपयोग करते हैं.

थाईलैंड के ENT (कान, नाक, गला) विशेषज्ञों की 2019 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि देश के 80 प्रतिशत नागरिक अपने-अपने नासिका छिद्र साफ करने के लिए इस योगिक विधि का इस्तेमाल करते हैं.

पेन-मैनेजमेंट (दर्द प्रबंधन) के एक्सपर्ट और अटलांटा स्थित पेन केयर लैब के संस्थापक डॉ एमी बैक्सटर का मानना ​​है कि नाक की सिंचाई में थाईलैंड, लाओस और वियतनाम जैसे देशों में कोरोना वायरस के कम केसों की कुंजी छुपी है.

डॉ बैक्सटर का कहना है, "SARS-CoV2 का वायरल लोड सबसे ज्यादा साइनस/नाक गुहा में होता है." उन्होंने अमेरिकी लग्जरी मैगजीन, ‘ बेस्ट लाइफ’ को एक इंटरव्यू में बताया था- "हां, वे मास्क पहनते हैं, सम्मान में झुकते हैं और हाथ नही मिलाते हैं, लेकिन उनके और दक्षिण कोरिया या जापान जैसे स्थानों में सबसे बड़ा अंतर यह है कि 80 प्रतिशत लोगों की ओर से नाक की सिंचाई या जल नेति का अभ्यास किया जाता है.”

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अतीत में कुछ गैर कोविड-19 स्टडीज में पाया गया कि नाक की सिंचाई सामान्य ठंड जैसी समस्याओं में कारगर रहती है. ‘नेचर’ की 2019 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि 93 प्रतिशत मरीजों जिन्होंने नाक को खंगालने के ट्रायल्स में हिस्सा लिया, उन्हें अपने वायरल लक्षणों में काफी सुधार महसूस हुआ.

अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन की 2009 की एक रिपोर्ट ने ऊपरी श्वसन ट्रैक की एक्यूट समस्याओं के उपचार में नाक की सिंचाई की प्रभावशीलता का उल्लेख किया. रिपोर्ट के मुताबिक, "सलाइन नेसल इरिगेशन (SNI), ऐसी थेरेपी जिसकी जड़े आयुर्वेदिक दवा में है, जो नाक के श्लेष्म (म्युकोसा) को स्प्रे या तरल सलाइन के साथ के धोती है. ये ऊपरी श्वसन ट्रैक के लिए सहायक देखभाल के रूप में इस्तेमाल की जाती है. तरल रूप में, SNI प्रभावी पाया गया है. ये क्रोनिक राइनोसिनिटिस से जुड़े लक्षणों के लिए सहायक देखभाल के तौर पर इस्तेमाल करती है.”

नाक को खंगालना और कोविड-19

अमेरिकी राज्य टेनेसी में वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर की ओर कोविड-19 मरीजों के वायरल लोड पर नाक की सलाइन सिंचाई के लिए क्लिनिकल ट्रायल किए जा रहे हैं. इस स्टडी के जून 2021 में शुरुआती परिणाम जारी होने की उम्मीद है. इस बीच, डब्लूएचओ ने कोरोनावायरस के खिलाफ नाक के खंगालने को साबित प्रोटेक्शन के तौर पर खारिज कर दिया है.

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डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, "ऐसा कोई सबूत नहीं है कि नियमित रूप से सलाइन के साथ नाक को खंगालने से लोगों को नए कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाया गया है."

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बयान में कहा गया, "कुछ सीमित सबूत हैं कि नियमित रूप से सलाइन के साथ नाक को खंगालने से लोगों को सामान्य ठंड की समस्या से जल्दी उबरने में मदद मिल सकती है. हालांकि, नियमित रूप से नाक को खंगालने से श्वसन संक्रमण को रोकने जैसा कुछ नहीं दिखता.

आसियान ने कोविड-19 का प्रबंधन कैसे किया?

फिर भी, आसियान देशों के प्रयासों और नीतियों की सराहना की जाती है जिसके कारण दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में महामारी के प्रसार को नियंत्रित किया गया है. आसियान ग्रुप में सबसे अधिक आबादी वाले देश इंडोनेशिया में सबसे अधिक केस हैं.

सिंगापुर में प्रति दस लाख सबसे अधिक केसों का अनुपात है. यह इसके प्रवासी श्रमिक बहुल कलस्टर्स की वजह से है. इन देशों की केस संख्याओं को लेकर अलग डायनामिक्स जुड़ी हैं. लेकिन चार देश दूसरों से खुद को अलग खड़ा रखने में कामयाब हुए हैं- थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया और लाओस.

दुनिया के 20 सबसे अधिक आबादी वाले देशों में थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं. दूसरे, इन चार आसियान देशों में से हर एक कम से कम दो अन्य देशों के साथ सीमा साझा करता है.

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इसके अलावा, चारों देश पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जिसमें चीन से आने वाले विजिटर्स की बड़ी संख्या है. वही चीन जो महामारी का शुरुआती इपिसेंटर रहा है. इन चार आसियान देशों ने कुल मिलाकर 4,000 से कम केस रखने में कामायबी पाई है.

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थाईलैंड

ताजा टैली के अनुसार थाईलैंड में 3,261 केस और 58 मौतें रिपोर्ट हुई हैं. यह थाईलैंड को एक स्वस्थ स्थिति में रखता है. असल में ये देश जल्दी ही यानी एक अगस्त से खुद को विजिटर्स के लिए खोलना चाहता है.

थाईलैंड को महामारी के प्रबंधन में अपने मल्टीटास्किंग विलेज हेल्थ प्रतिनिधियों का सहारा मिला, जो अपने समुदायों में परिवारों के प्रभारी थे. उनका प्राथमिक कार्य घरों का दौरा करना और उन्हें समझाना था कि कया करना है और क्या नहीं करना.

उन्होंने मूल रूप से डोर-टू-डोर चेक-अप और फॉलो-अप में बड़ी भूमिका निभाई. यह युग पुराना गांव सेटअप है, जहां बाहरी समुदायों और कस्बों में आने वाले बाहरी लोगों को आसानी से पहचाना जाता है और फिर लक्षणों और तापमान के आधार पर मॉनिटर किया जाता है. इन स्वास्थ्य प्रतिनिधियों को अच्छी तरह से ट्रेंड किया गया था.

थाईलैंड में 77 प्रांत हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना कम्युनिकेशन डिसीज कंट्रोल यूनिट है. इस निचले स्तर से शुरुआत वाले नजरिए ने थाईलैंड को अपने आखिरी गांव तक महामारी को नियंत्रित करने में बहुत मदद की. फेस-मास्क के अनिवार्य उपयोग को लागू करने वाले पहले देशों में थाईलैंड भी एक था.

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वियतनाम

वियतनाम ने चीन के साथ सीमा साझा करने के बावजूद देश में कोविड-19 से एक भी मौत नहीं होने देने में सफलता पाईं. अब, केवल 43 केसों के साथ, वियतनाम पहले देशों में जिसने अधिकतर घरेलू रोकथाम उपायों को सबसे पहले उठाया.

आसियान के किसी भी अन्य राष्ट्र की तरह, 2003 के SARS प्रकोप से भी इसे बहुत कुछ सीखने को मिला. वियतनाम ने बहुत जल्दी रोकथाम उपायों को लागू किया, जैसे कि एयरपोर्ट स्क्रीनिंग, फिजिकल डिस्टेंसिंग, बाहर से आने वाली अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध, स्कूल बंद करना आदि.

WHO की सिफारिश आने से पहले ही वियतनाम ने आम लोगों के लिए भी मास्क अनिवार्य कर दिए थे. वियतनाम ने देश भर में तीन हफ्ते का लॉकडाउन भी किया.

वियतनाम के लागत-प्रभावी उपाय यहां अहम पहलू हैं. इसने केवल उच्च-जोखिम वाले और संदिग्ध लोगों की टेस्टिंग की जिससे टेस्ट कम संख्या में हुए. लेकिन जहां ये अलग दिखा वो था एक पुष्ट केस के लिए एक हजार लोगों का टेस्ट करना. ये दुनिया के सबसे अच्छे अनुपात वाले देशों में एक रहा.

वियतनाम कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और क्वारनटीन उपायों के रूप में तीसरे स्तर के कॉन्टेक्ट्स तक गया. कभी-कभी यहां एक भी पॉजिटिव के मौजूद होने पर सड़कों या यहां तक कि पूरे गाँवों को क्वारनटीन और अलग थलग कर दिया जाता था.

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कंबोडिया

कंबोडिया में भी कोई कोविड संबंधित मौत नहीं हुई. यहां से केवल 197 केस रिपोर्ट हुए. कंबोडिया क्षेत्र में सबसे कमजोर हेल्थकेयर सिस्टम वाले देशों में से एक है. लेकिन इसकी सफलता की कहानी एक बार फिर त्वरित रोकथाम उपायों में छुपी है.

विश्व बैंक ने जब कोविड-19 के खिलाफ कंबोडिया की लड़ाई के लिए 20 मिलियन डॉलर की क्रेडिट लाइन को मंजूरी दी, तो यह उसके लिए बड़ी लाभ वाली रही. कई अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों ने मेडिकल सप्लाई के लिए समझौता किया. यूरोपीय संघ ने अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए 6.1 करोड़ डॉलर की मदद की पेशकश की.

कंबोडिया का सबसे बड़ा लाभ इस तथ्य में देखा गया है कि इसकी 80 प्रतिशत आबादी बहुत कम घनत्व वाले ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. इससे वायरस का उतनी तेजी से फैलना मुश्किल हो जाता है जितना कि उच्च जनसंख्या घनत्व वाले देशों में देखा गया. यहां अनिवार्य मास्क के नियम को आसानी से लागू किया गया.

लाओस

लाओस में कुल 19 कोविड-19 केस सामने आए. यहां इस बीमारी से एक भी मौत नहीं हुई. लाओस और तीन अन्य आसियान देशों की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण फैक्टर इन चार देशों के बीच मजबूत सहयोग से भी जुड़ा है.

चाहे वो बार्डर का अच्छा प्रबंधन हो या मास्क-PPE किट्स की सप्लाई चेन, पड़ोसियों ने एक दूसरे को महामारी के बेहतर नियंत्रण में मदद की.

(लेखक सिंगापुर स्थित ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस एनालिस्ट हैं)

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