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दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में भारत किस नंबर पर, जानें पाकिस्तान और चीन का भी हाल?

Corruption Perception Index 2024: ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 2024 का करप्शन इंडेक्स जारी कर दिया है जिसमें भारत ने पिछले 10 सालों में सबसे खराब प्रदर्शन किया है. पाकिस्तान की रैंकिंग में भी दो अंकों की गिरावट आई है.

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भ्रष्टाचार इंडेक्स में भारत की रैंकिंग गिरी
भ्रष्टाचार इंडेक्स में भारत की रैंकिंग गिरी

भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था 'ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल' ने मंगलवार को करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (CPI) 2024 जारी की है जिसमें भारत ने निराशाजनक प्रदर्शन किया है. 180 देशों की लिस्ट में भारत 96वें पायदान पर है जो पिछले 10 सालों में भारत की सबसे खराब रैंकिंग है. 2023 में भारत की रैंकिंग 93 थी यानी नए इंडेक्स में भारत की रैकिंग में 3 पायदान की गिरावट आई है. 

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ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल का इंडेक्स दुनिया के 180 देशों और केंद्र शासित प्रदेशों को 0 (बहुत ज्यादा भ्रष्ट)से लेकर 100 (भ्रष्टाचार से मुक्त देश) के स्केल पर मापता है. देश के पब्लिक सेक्टर में भ्रष्टाचार कितना है, इसका आकलन संबंधित विशेषज्ञ और बिजनेस से जुड़े लोग करते हैं, जिसके आधार पर किसी भी देश को स्कोर दिए जाते हैं. 

हालिया इंडेक्स में भारत का कुल स्कोर 38 है. 2023 में भारत को 39 और 2022 में 40 स्कोर मिला था.

भारत में बढ़ा भ्रष्टाचार

भारत के पिछले 10 सालों का आंकड़ा देखे तो देश में भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी हुई है. 2014 में जहां भारत 85वें स्थान पर था, 10 सालों में भारत 11 पायदान गिरकर 96वें स्थान पर आ गया है.

2014 से 2024 के बीच भारत ने सबसे अच्छा प्रदर्शन 2015 में किया था जब देश को 76वां स्थान हासिल हुआ था. हालांकि, उसके बाद से भारत की रैंकिंग में लगातार गिरावट आई है जो दिखाता है कि भारत में भ्रष्टाचार बढ़ा है.

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भारत के पड़ोसियों में भ्रष्टाचार का हाल

भारत के पड़ोसियों में सबसे अच्छा प्रदर्शन चीन ने किया है जो 43 अंकों के साथ 76वें पायदान पर है. पाकिस्तान के रैंकिंग की बात करें तो 2023 में जहां वो 133वें स्थान पर था, हालिया इंडेक्स में इसकी रैंकिंग 2 अंक गिरकर 135 हो गई है. पाकिस्तान को पिछले साल के 29 अंक के मुकाबले 2024 में 27 अंक ही मिले हैं.

श्रीलंका की रैंकिंग 121वीं है जबकि बांग्लादेश में भी भ्रष्टाचार बढ़ा है और वो 149वें स्थान पर आ गया है. 

टॉप 5 देश 

भ्रष्टाचार इंडेक्स में सबसे शीर्ष पर यूरोपीय देश डेनमार्क है जहां न के बराबर भ्रष्टाचार है. इंडेक्स में सबसे अधिक, 90 अंक डेनमार्क को मिले हैं. दूसरे स्थान पर फिनलैंड है जिसे 88 अंक मिले हैं.

84 अंकों के साथ सिंगापुर तीसरे स्थान पर है और न्यूजीलैंड 83वें अंक के साथ चौथे पायदान पर है. पांचवें स्थान पर लग्जमबर्ग है जिसने 81 अंक हासिल किए हैं.

दुनिया के सबसे भ्रष्ट देश कौन?

कुल वैश्विक आबादी (8 अरब) का 85 प्रतिशत यानी लगभग 6.8 अरब लोग ऐसे देशों में रहते हैं जिनका CPI स्कोर 50 से कम है. सबसे कम स्कोर वाले देश ज्यादातर वैसे देश हैं जो संघर्ष से जूझ रहे हैं.

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इंडेक्स में सबसे भ्रष्ट दक्षिण सूडान को बताया गया है जो 8 अंकों के साथ सबसे निचले पायदान है. इसके बाद सोमालिया (9 अंक), वेनेजुएला (10 अंक), सीरिया (12 अंक), लीबिया (13 अंक), इरिट्रिया (13 अंक), यमन (13 अंक) और इक्वेटोरियल गिनी (13 अंक) हैं.

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार, टॉप स्कोर वाला क्षेत्र पश्चिमी यूरोप और यूरोपीय संघ था, लेकिन इन क्षेत्रों के स्कोर में लगातार दूसरे साल गिरावट देखी गई है जहां नेता लोगों की भलाई के बजाए व्यापारिक हितों के लिए काम कर रहे हैं. संस्था ने कहा कि यहां कानूनों का अक्सर खराब तरीके से पालन किया जाता है.

इसमें कहा गया है, 'हालांकि, एशिया प्रशांत क्षेत्र में कई देश सुधार कर रहे हैं, लेकिन इनका औसत स्कोर घट रहा है. इसकी वजह भ्रष्टाचार के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन भी है.'

भ्रष्टाचार जलवायु परिवर्तन के खिलाफ काम करने में बड़ी रुकावट

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने कहा है कि भ्रष्टाचार दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ काम करने के रास्ते में बड़ी रुकावट बन रहा है. रिकॉर्ड तोड़ ग्लोबल वार्मिंग और अचानक मौसमी बदलावों, लोकतंत्र में गिरावट और वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन नेतृत्व में गिरावट आई है. इस परिदृश्य में दुनिया जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी लड़ाई को आगे नहीं बढ़ा पा रही है. भ्रष्टाचार उस लड़ाई को और भी मुश्किल बना रहा है.

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संस्था ने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रष्टाचार और जलवायु संकट के बीच संबंध पर बात करनी चाहिए.

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अध्यक्ष फ्रेंकोइस वेलेरियन ने कहा, 'भ्रष्टाचार एक उभरता हुआ वैश्विक खतरा है जो विकास को रोकता है. साथ ही यह लोकतंत्र में गिरावट, अस्थिरता और मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक प्रमुख कारण है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय और हर देश को प्राथमिकता से भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करना चाहिए. तानाशाही को रोकने, शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और टिकाऊ दुनिया के लिए यह बहुत जरूरी है.'

ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के CPI रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जो अरबों डॉलर आवंटित किए जाते हैं, भ्रष्टाचार के कारण उनके दुरुपयोग का खतरा बढ़ गया है. जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील अधिकांश देशों का CPI स्कोर 50 से नीचे है यानी इन देशों में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है.

भ्रष्टाचार के कारण इन देशों में जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहे लोगों तक जरूरी मदद नहीं पहुंच पाती है. इसे रोकने के लिए संबंधित देशों में कानून की कमी है और अगर कानून है भी तो उसे सही से लागू नहीं किया जा रहा है.

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