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भारत-पाकिस्तान जैसी ही है इन देशों की भी किस्मत

एक तरफ बातचीत, दूसरी तरफ गोलीबारी. ये सच्चाई केवल भारत-पाकिस्तान की ही नहीं है. दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो विभाजन के बाद अस्तित्व में आए. लेकिन लगभग एक ही फिजा में सांस लेने वाले, कभी एक ही राष्ट्रगान गाने वाले, एक ही झंडे को सलामी देने वाले, धरती पर लकीर खिंचते ही एकाएक दुश्मन बन गए. एक नजर उन देशों पर जिनकी किस्मत भारत-पाकिस्तान के रिश्ते जैसी ही है.

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एक जैसी है विभाजन के बाद जन्में देशों के रिश्ते की तकदीर...
एक जैसी है विभाजन के बाद जन्में देशों के रिश्ते की तकदीर...

एक तरफ बातचीत, दूसरी तरफ गोलीबारी. ये सच्चाई केवल भारत-पाकिस्तान की ही नहीं है. दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो विभाजन के बाद अस्तित्व में आए. लेकिन लगभग एक ही फिजा में सांस लेने वाले, कभी एक ही राष्ट्रगान गाने वाले, एक ही झंडे को सलामी देने वाले, धरती पर लकीर खिंचते ही एकाएक दुश्मन बन गए. एक नजर उन देशों पर जिनकी किस्मत भारत-पाकिस्तान के रिश्ते जैसी ही है.

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1.नॉर्थ कोरिया-साउथ कोरिया
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान के समर्पण के साथ ही कोरिया जापानी शासन से आजाद हो गया. तब संयुक्त राष्ट्र ने प्रशासन के लिए एक ट्रस्टीशिप योजना बनाई जिसके तहत कोरियाई पेनिनसुला को 38वें समानांतर पर दो हिस्सों में बांट दिया गया. नॉर्थ कोरिया के प्रशासन का जिम्मा सोवियत संघ और साउथ कोरिया का प्रशासन यूएसए को सौंप दिया. जून 1950 में सोवियत संघ की शह पर कोरियाई युद्ध हुआ जो संघर्ष विराम समझौते पर खत्म हुआ. तब से लेकर आजतक जैसे ही दोनों देशों के बीच सुलह की कोशिशें तेज होती हैं, सरहद पर बंदूकें भी तन जाती हैं.

2.रूस-यूक्रेन
21 फरवरी 2014 की यूक्रेन क्रांति से पहले राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविक के शासनकाल में रूस और यूक्रेन के रिश्ते बेहतर थे. क्रिमिया पर अधिकार को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हुआ. मार्च 2014 में रूस ने विवादित रेफरेंडम के बहाने क्रिमिया पर कब्जा कर लिया. ये दोनों सोवियत संघ का हिस्सा थे. अब उनके बीच रिश्ते इतने खराब हो गए हैं कि .यूक्रेन ने रूसी सरहद पर 'प्रोजेक्ट वॉल' के तहत लंबी दीवार बनानी शुरू कर दी है.

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3. इजराइल-फिलस्तीन
मई 1948 में फिलस्तीन में बसे यहूदियों ने स्वतंत्रता का ऐलान करते हुए इजराइल नाम के देश का ऐलान कर दिया. अगले ही दिन अरब देशों- मिस्र, जोर्डन, सीरिया, लेबनान और इराक ने मिलकर इजराइल पर हमला कर दिया. इसे 1948 का युद्ध का नाम दिया गया और यही से अरब-इजराइल युद्ध की शुरुआत हुई.

4. इरिट्रिया और इथियोपिया
हालांकि इरिट्रिया और इथियोपिया विभाजन के बाद अस्तित्व में नहीं आए. लेकिन इथियोपिया से अलग होने के लिए रेफरेंडम का सहारा लेना पड़ा. दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध से पहले पूर्वोत्तर अफ्रीकी देश इरिट्रिया पर इटली और फिर ब्रिटेन का शासन था. 1952 में संयुक्त राष्ट्र ने इथियोपिया को इरिट्रिया का ट्रस्टी बनाया और इसके प्रशासन की जिम्मेदारी सौंपी. लेकिन जिस इथियोपिया को इरिट्रिया की जिम्मेदारी सौंपी गई 10 साल के भीतर लालच में आकर उसने उसके हिस्से को जबरन अपने देश में शामिल कर लिया. यहां से शुरू हुई इरिट्रिया की आजादी की लड़ाई जो 1991 में खत्म हुई. 1993 में रेफरेंडम के जरिए इन्हें आजादी नसीब हुई.

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