पाकिस्तान की एक अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की हिरासत का पुलिस का अनुरोध ठुकराते हुए गाजी अब्दुल रशीद की हत्या के सिलसिले में पूर्व राष्ट्रपति को उसके समक्ष पेश करने का आदेश दिया है.
इस हत्या कांड को लाल मस्जिद मामले के तौर पर भी जाना जाता है. मजिस्ट्रेट ने पुलिस को बताया कि रिमांड केवल संदिग्ध की मौजूदगी में ही दिया जा सकता है और उसने 70 वर्षीय पूर्व सैन्य शासक को उसके समक्ष पेश करने को कहा.
मुशर्रफ अकबर बुग्ती हत्या मामले में जमानत मिलने पर कल रिहा हो गये थे लेकिन 2007 के कुख्यात अभियान में लाल मस्जिद के इमाम की हत्या के मामले में उन्हें कल रात फिर गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने इससे पहले 2007 के सैन्य अभियान के मामले में मुशर्रफ को एक संदिग्ध के तौर पर नामजद करने का लाल मस्जिद के नेताओं का अनुरोध ठुकरा दिया था. अभियान में प्रशासकों में से एक सहित दर्जनों लोग मारे गये थे.
इस्लामाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर दो सितम्बर को मुशर्रफ के खिलाफ अन्तत: एक मामला दर्ज कर लिया गया, जिसमें उनके खिलाफ लाल मस्जिद अभियान के दौरान अब्दुल राशिद और उनकी मां की हत्या का आरोप है.
इमाम के बेटे हारून रशीद ने पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिये आबपारा थाने में एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने लाल मस्जिद कमीशन की रिपोर्ट के उन 20 पृष्ठों का हवाला दिया जिसमें मुशर्रफ को अभियान के लिये जिम्मेदार ठहराया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपर्याप्त सबूतों के आधार पर नौ अक्तूबर को मुशर्रफ को बुग्ती हत्या मामले में जमानत दे दी थी. उन्हें बेनजीर हत्या मामले और जजों की हिरासत मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है.
मुशर्रफ को इस समय इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में स्थित उनके फार्महाउस में रखा गया है, जिसकी सुरक्षा के लिये करीब 300 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं.