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चीन का प्रोजेक्ट CPEC बढ़ा सकता है भारत-पाक के बीच तनाव: UN की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट में कश्मीर को लेकर भारत पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की आशंका जताई गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तवान बढ़मे के साथ राजनीतिक अस्थिरता भी खड़ी हो सकती है.

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पीएम मोदी और नवाज शरीफ
पीएम मोदी और नवाज शरीफ

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संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा रिपोर्ट में कश्मीर को लेकर भारत पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की आशंका जताई गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच तवान बढ़मे के साथ राजनीतिक अस्थिरता भी खड़ी हो सकती है.

संयुक्त राष्ट्र की एशिया और प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (Escap) की ओर से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में इस बात की भी आशंका जताई गई है कि अफगानिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता इस ट्रांजिट कॉरिडोर की संभावित फायदों को काबुल और कंधार के लोगों तक सीमित कर सकता है.

बता दें कि भारत इस आर्थिक गलियारे का शुरू से ही विरोध करता रहा है. भारत का कहना है कि पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने वाला यह विवादित आर्थिक गलियारा देश की संप्रभुता का उल्लंघ है. अपनी इसी आपत्ति को रेखांकित करते हुए भारत ने चीन में आयोजित हाई-प्रोफाइल बेल्ट एंड रोड फोरम के बहिष्कार का फैसला किया था. इसके साथ ही चीन की वैश्विक महत्वकांक्षा की आलोचना करते हुए इसमें शामिल देशों को 'अस्थिर करने वाले कर्ज' के बोझ को लेकर चेताया था.

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बेल्ट एंड रोड फोरम के बहिष्कार का भारत द्वारा बहिष्कार किए जाने पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अप्रत्यक्ष चुटकी लेते हुए कहा, 'अरबों डॉलर की लागत से बन रहा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा एक आर्थिक परियोजना है, जो क्षेत्र के सभी देशों के लिए खुला है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.'

वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि बेल्ट एंड रोड फोरम आर्थिक वृद्धि और संतुलित विकास का लक्ष्य हासिल करने का खुला मंच होना चाहिए. शी ने कहा, 'हमें साथ मिलकर एक ऐसा माहौल तैयार करना चाहिए, जो खुली अर्थव्यवस्था और विकास सुनिश्चित करे और अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश के नियमों की एक बराबर, निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करे.'

उधर दूसरी तरफ पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर में भी CPEC का जमकर विरोध हुआ. खबरों के अनुसार चीन के खिलाफ गिलगित और बाल्टिस्तान वाले इलाकों में सैकड़ों छात्रों और राजनीतिक संगठनों विरोध-प्रदर्शन किया.

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