उत्तरपूर्वी यूरोपीय देश अल्बानिया की संसद पर साइबर अटैक हुआ है. अल्बीनिया की संसद ने कहा है कि हैकरों ने उसके डेटा सिस्टम में घुसपैठ करने की कोशिश की, जिसके कारण संसद की सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं.
मंगलवार को अल्बीनिया की संसद की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सोमवार को हुए साइबर अटैक से हैकर सिस्टम के डेटा तक पहुंचने में असफल रहे हैं. साइबर विशेषज्ञ इस हमले की जांच कर रहे हैं. जांच के बाद सिस्टम की सेवाएं पूरी तरह से फिर से शुरू हो जाएंगी.
अल्बानिया की स्थानीय मीडिया के अनुसार, सोमवार को एक सेलफोन प्रोवाइडर और एक एयर फ्लाइट को भी साइबर अटैक का निशाना बनाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, यह साइबर हमले ईरान-बेस्ड हैकर्स होमलैंड जस्टिस (Homeland Justice) ने किए हैं. हालांकि, इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है.
जुलाई 2022 में भी हुआ था साइबर अटैक
इससे पहले जुलाई 2022 में भी अल्बानिया को साइबर अटैक का सामना करना पड़ा था. इस साइबर हमले के लिए अल्बानिया की सरकार और मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजी कंपनियों ने ईरानी विदेश मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया था. ऐसा माना जाता है कि यह हमला ईरान की विपक्षी समूह मुजाहिदीन-ए-खल्क यानी MEK के सदस्यों को पनाह देने के कारण अल्बानिया से बदला लेने के लिए किया गया था. इस हमले के बाद अल्बानिया सरकार ने ईरान के साथ राजनयिक संबंधों में कटौती की थी.
दरअसल, 2013 से लेकर अभी तक लगभग 2500 ईरान निर्वासितों को अल्बानिया में पनाह दी गई है. अल्बानिया में रह रहे ईरानी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं हो सकते हैं, इसके अलावा उन्हें अल्बीनिया के कानूनों का पालन करना होता है.
हालांकि, ईरानी विदेश मंत्रालय ने इस बात से इनकार कर दिया था कि अल्बानियाई सरकार की वेबसाइटों पर हमले के पीछे ईरान का हाथ है. ईरान ने कहा था कि MEK ही ईरान पर भी साइबर हमले करता है.
MEK ने कहा- हमले में कोई हाथ नहीं
जून 2023 में अल्बानियाई अधिकारियों ने कथित तौर पर प्रतिबंधित राजनीतिक गतिविधियों से जुड़े कंप्यूटर उपकरणों को जब्त करने के लिए निर्वासित MEK के सदस्यों के एक कैंप पर छापा भी मारा था.
मंगलवार को एमईके के मीडिया प्रवक्ता अली सफवी की ओर से जारी बयान में दावा किया गया है कि अल्बानिया में हुए साइबर हमले में एमईके का कोई हाथ नहीं है. सफवी ने इसकी भी आलोचना की है कि एमईके सदस्य अल्बानिया में रहते हुए किसी भी राजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते हैं. सफवी ने कहा है कि हमें अभिव्यक्ति और सभा करने की स्वतंत्रता सहित सभी अधिकार मिलने चाहिए.