भारत और न्यूजीलैंड ने दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा के लिये एक समझौते पर रविवार को हस्ताक्षर किए. इससे पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा.
द्विपक्षीय हवाई सेवा समझौते पर हस्ताक्षर के समय यहां आए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन के मौजूद थे.
समझौते से दोनों देशों के बीच बढ़ेगा व्यापार
न्यूजीलैंड के परिवहन मंत्री सिमोन ब्रिज ने कहा कि हवाई सेवा समझौते से न्यूजीलैंड एवं भारत के बीच पर्यटन और व्यापार को गति मिलनी चाहिए. समझौते पर ब्रिज और भारत के कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री संजीव बाल्यान ने दस्तखत किये.
भारत एक उभरता ‘सुपरपावर’
मंत्री ने कहा कि भारत एक उभरता ‘सुपरपावर’ है और उसकी आबादी 1.25 अरब है जो न्यूजीलैंड के लिये काफी अवसर उपलब्ध कराता है. हमारा भारत के साथ सालाना कारोबार एक अरब डॉलर से अधिक का है. 31 मार्च 2016 को समाप्त वर्ष में न्यूजीलैंड के 52,000 नागरिक भारत की यात्रा पर गए और करीब 60,000 भारतीय न्यूजीलैंड आएं. इसके अलावा भारतीय मूल के 160,000 लोग यहां रहते हैं.
संसद में असहमति के स्वर जरूरी
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां कहा कि अगर असहमति के स्वर नहीं होंगे तो संसदीय प्रणाली काम नहीं कर सकती. उन्होंने रेखांकित किया कि सदन में 'तीखी बहस और चर्चाएं' अर्थव्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले में योगदान करती हैं.
भारत न्यूजीलैंड व्यापार परिषद के व्यापारिक नेताओं को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने उन्हें भारत सरकार द्वारा शुरू विभिन्न कार्यक्रमों में योगदान के लिए भारत आने का न्यौता दिया. उन्होंने कहा, ‘मेरे साथ सरकार के एक मंत्री (संजीव बाल्यान) हैं. मेरे साथ संसद सदस्य भी हैं जो भारतीय संसद के सच्चे चरित्र को प्रदर्शित करते हैं. वे विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न राजनीतिक दलों को प्रतिनिधित्व करते हैं जो हमारी बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को सच्चे अर्थ में पेश करता है.’
अर्थव्यवस्था में निरंतर वृद्धि
भारत की आर्थिक वृद्धि बनाए रखने के लिए जिम्मेदार विभिन्न कारकों पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जीडीपी, रोजगार सृजन, महंगाई नियंत्रण, व्यापार संतुलन तथा काफी हद तक महंगाई की दर कम करने के संदर्भ में वर्ष 1990 के दशक के दिनों से देश की अर्थव्यवस्था में निरंतर वृद्धि हो रही है.
उन्होंने कहा, ‘विकास की वर्तमान दर 7.2 प्रतिशत है और ध्यान इस बात पर है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आठ से दस प्रतिशत की दर से विकास के लिए प्रतिबद्ध हो. ऐसा इसलिए है कि कुछ खास पहल की गई हैं.’