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तालिबान के शासन करने के तरीके पर निर्भर करेगा अफगानों का जीवन: UN

संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि और अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन की प्रमुख डेबोरा लियोन्स ने कहा कि वास्तविकता यह है कि लाखों अफगानों का जीवन इस बात पर निर्भर करेगा कि तालिबान कैसे शासन करना पसंद करता है.

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तालिबान
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'तालिबान के शासन करने के तरीके पर निर्भर करेगा अफगानों का जीवन'
  • यूएनएससी में बोलीं संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि डेबोरा लियोन्स

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वर्तमान स्थिति भयावह है. लोगों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है, जबकि तालिबान ने दावा किया है कि वह अपनी पिछली सरकार की तुलना में काफी अधिक बदल चुका है. अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की ब्रीफिंग में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि और अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के सहायता मिशन की प्रमुख डेबोरा लियोन्स ने कहा कि वास्तविकता यह है कि लाखों अफगानों का जीवन इस बात पर निर्भर करेगा कि तालिबान कैसे शासन करना पसंद करता है. उन्होंने कहा कि दुनिया को अफगानिस्तान की नाजुक अर्थव्यवस्था को देखते हुए तत्काल एक 'मोडस विवेंडी' तैयार करने की जरूरत होगी.

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तालिबान द्वारा हत्याओं, महिलाओं की स्वतंत्रता और अन्य अधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को यह भी तय करना होगा कि तालिबान की अंतरिम सरकार के उच्च-स्तरीय सदस्यों के साथ कैसे बातचीत की जाए.

उन्होंने कहा, ''दुनिया भर में देखे गए अफगानिस्तान के दृश्य दिखाते हैं कि तालिबान ने सत्ता हासिल कर ली है, लेकिन अभी तक सभी अफगान लोगों का विश्वास नहीं हासिल किया है." उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान सरकार में किसी भी महिला, अल्पसंख्यक प्रतिनिधि या गैर-तालिबानी व्यक्तियों को शामिल नहीं किया गया है.

लियोन्स ने संयुक्त राष्ट्र में यह भी चिंता व्यक्त की कि तालिबान द्वारा अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों के पूर्व सदस्यों और पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रशासन के अधिकारियों को सामान्य माफी देने समेत कई बयानों के बावजूद तालिबानी लड़ाकों द्वारा घर-घर की तलाशी और बरामदगी की रिपोर्टें सामने आ रही हैं.

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वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने को अफगानिस्तान में तालिबानियों द्वारा महिलाओं और पत्रकारों पर अत्याचारों के खिलाफ आपत्ति भी दर्ज कराई. अफगानिस्तान में समान अधिकारों की मांग कर रही महिलाओं और इन आयोजनों को कवर कर रहे पत्रकारों को तालिबानियों द्वारा पीटने की घटनाएं सामने आई थीं. 

 

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