अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा बुलाए गए वर्चुअल लोकतंत्र शिखर वार्ता में जाने से पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने इनकार कर दिया है. बुधवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी. हालांकि, शिखर सम्मेलन से दूरी बनाने को लेकर पाकिस्तान की तरफ से कोई वजह स्पष्ट नहीं की गई है.
9 दिसंबर को शुरू हो रहे इस शिखर वार्ता में श्रीलंका, बांग्लादेश, चीन और रूस को बाहर रखते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान को बुलाने का फैसला किया था. पाकिस्तान ऐसे तो बाइडेन सरकार की तरफ से तवज्जो ना मिलने को लेकर नाराजगी जाहिर करता रहा है लेकिन जब पहली बार उसे अमेरिका की तरफ से एक खास सम्मेलन के लिए निमंत्रण मिला है तो उसने अस्वीकार कर दिया है.
चीन को शिखर सम्मेलन में नहीं बुलाए जाने से असमंजस में था पाकिस्तान
पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, माना जा रहा है कि पाकिस्तान के खास दोस्त चीन को व्हाइट हाउस की तरफ से शिखर वार्ता में हिस्सा लेने का बुलावा नहीं आया, इसी कारण पाकिस्तान ने भी इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है.
ये भी कहा जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की लगातार उपेक्षा करते आए हैं. पाकिस्तान के शिखर वार्ता से पीछे हटने की एक वजह ये भी हो सकती है.
अमेरिकी राष्ट्रपति 9 और 10 दिसंबर को लोकतंत्र शिखर वार्ता की मेजबानी कर रहे हैं जिसमें भारत समेत 100 से अधिक देशों के राजनेता शामिल होंगे. इस शिखर वार्ता में दक्षिण एशिया के केवल चार देशों को बुलाया गया है जिसमें भारत, नेपाल, पाकिस्तान और मालदीव शामिल हैं.
रूस और चीन को नहीं बुलाया अमेरिका ने
लोकतंत्र शिखर वार्ता से रूस और चीन को दूर रखा गया है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान चीन के साथ एकजुटता दिखाने के उद्देश्य से इस शिखर वार्ता में शामिल नहीं हो रहा. रिपोर्ट के मुताबिक, ये बात स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान के इस फैसले पर चीन का कितना असर है. हालांकि, आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि इस मसले पर पाकिस्तान ने चीन से किसी तरह की बातचीत नहीं की.
अफगान मसले को लेकर पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में आई है तल्खी
अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में पिछले कुछ समय से कड़वाहट है. अफगान तालिबान को लेकर प्रधानमंत्री इमरान खान के कुछ बयानों से अमेरिका नाखुश है. पिछले महीने ही अफगानिस्तान पर पाकिस्तानी सांसदों को ब्रीफिंग के दौरान बताया गया कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंध सबसे निचले स्तर पर हैं.