पिछले साल जब रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला, तो मॉस्को में खास खलबली नहीं मची. वहां के लोग ये मानकर चल रहे थे कि यूक्रेन जैसे छोटे देश के साथ लड़ाई लो-कॉस्ट है, जो जल्द ही खत्म हो जाएगी. हालांकि महीने बीतते गए और लड़ाई नहीं रुकी. बल्कि रूस राजनैतिक-आर्थिक मोर्चे पर दुनिया से कटा हुआ दिख रहा है. अमेरिका और यूरोपियन यूनियन समेत काफी ताकतवर देशों ने पहले से पाबंदियां झेलते रूस पर कई और बैन लगा दिए. अब रूसी नागरिक भी युद्ध से किनारा करने के मूड में हैं.
तेजी से घट रहे सपोर्टर
रूसी शोध और पब्लिकेशन हाउस एक्सट्रीम स्कैन के ताजा सर्वे में लोगों के बदलते मन का अंदाजा हुआ. इसके मुताबिक पिछले साल मार्च में हुए सर्वे में लगभग 64% लोगों ने रूस पर यूक्रेन के हमले को सही माना. वहीं इस साल अप्रैल में युद्ध सपोर्टर लोग सीधे 13% कम हो गए. बहुत से लोगों ने ये भी माना कि वे डरते हैं, इसलिए अपनी ईमानदार राय नहीं रख पा रहे.
रूस की जनता का मूड समझने के लिए कई और सर्वे भी हुए. पोलिंग स्टार्टअप द क्रॉनिकल का डेटा मानता है कि जंग की बिल्कुल शुरुआत में लोगों का सपोर्ट कम था, जो कि दो महीने बीतने के बाद बढ़ते हुए सीधे 66% हो गया. वहीं सितंबर 2022 में ये घटते हुए 51% रह गया. ये वो समय था, जब युद्ध के असल नतीजे दिखने लगे थे. सैनिकों की मौतों की खबर आने लगी थी.
क्या पुतिन से डरती है रूस की जनता?
रूसी थिंक टैंक लेवादा सेंटर ने सर्वे से आगे निकलकर ये समझना चाहा कि लोग पुतिन के बारे में क्या सोचते हैं. इसमें एक सवाल था कि क्या लोग देश की लीडरशिप के बारे में खुलकर बात कर सकते हैं, या उसपर बोलते हुए वे 'अनकंफर्टेबल' महसूस करते हैं. इसमें केवल 42 प्रतिशत लोगों ने देश को पुतिन के साथ सेफ बताया. वहीं 7 प्रतिशत लोगों ने सवाल पर खुद को 'अनकंफर्टेबल' माना. लेकिन सबसे अलग बात ये थी कि 31 प्रतिशत लोगों ने जवाब देते हुए खुद को डरा हुआ माना. उन्होंने 'आई एम अफ्रेड' विकल्प पर टिक किया.
कितने रूसी सैनिक जंग में मारे गए?
ये सारे ही थिंक टैंक मानते हैं कि बीते कुछ महीनों में अपने ही देश के भीतर पुतिन की लोकप्रियता तेजी से घटी. इसकी सबसे बड़ी वजह है, युद्ध में रूसी सैनिकों का नुकसान. फिलहाल तक ये डेटा नहीं मिल सका है कि यूक्रेन से लड़ते हुए कितने सैनिक और नागरिक मारे गए. हालांकि मॉस्को टाइम्स और एक दूसरा रूसी न्यूज आउटलेट मीडियाजोना दावा करते हैं कि अप्रैल तक 20 हजार से ज्यादा रूसी सैनिक और आम लोगों की जान गई.
कैजुएलिटी पर चौंकाने वाला डेटा
दूसरी तरफ, यूएस सेंटर फॉर नेवल एनालिसिस के अनुसार रूस में कैजुएलिटी इससे कहीं ज्यादा है. इसकी मानें तो 1 लाख 84 हजार रूसी सैनिक और आम लोगों को बड़ा नुकसान हुआ. इसमें मारे गए और गंभीर रूप से जख्मी दोनों ही लोग शामिल हैं. रूसी जनता नाराज है क्योंकि सरकार अब भी युद्ध रोकने के मूड में नहीं. खबरें तो यहां तक आ रही हैं कि रूस में युवा पुरुषों पर सेना में भर्ती का दबाव तक बनाया जा रहा है.
क्या जबरन हो रही युवाओं की भर्ती?
इसी साल मार्च में डिफेंस मिनिस्ट्री ने ऐलान किया कि वो 4 लाख से ज्यादा कॉन्ट्रैक्ट सोल्जर्स की भर्ती करके उन्हें यूक्रेन भेजेगी. इसके बाद से वहीं खलबली मच गई. कई रिपोर्ट्स दावा करने लगीं कि इतनी बड़ी संख्या में कॉन्ट्रैक्ट पर रखने के लिए युवाओं से जबर्दस्ती की जा रही है. हालांकि रूस की तरफ से इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया.
विदेश में रहते रूसियों के खिलाफ हेट-क्राइम बढ़ा
यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया में एंटी-रशियन सेंटिमेंट बढ़ चुका है. यूनाइटेड किंगडम से लेकर यूरोप तक में लगातार रूसी जनता पर हमले हो रहे हैं. ब्रिटिश ट्रांसपोर्ट पुलिस ने कई ऐसी घटनाएं रिपोर्ट कीं, जिसमें लोगों पर इसलिए हमले हुए क्योंकि वे रूसी भाषा में बात कर रहे थे, या रूस से आए दिखते थे. यहां तक कि उन्हें अपने देश वापस लौटने को कहा जा रहा है. ये भी एक बड़ी वजह है, जो रूस के लोग अब युद्ध से पीछे हट रहे हैं.