अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के दोस्त तुर्की को उसकी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद करने की धमकी दी है. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि तुर्की सीरिया के मामले में हद पार न करे.
व्हाइट हाउस के जरिए जारी एक बयान के मुताबिक तुर्की उत्तरी सीरिया में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है. हालांकि इस मिशन में अमेरिकी सैनिक उसके साथ शामिल नहीं है. वहीं डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी देते हुए ट्वीट कर कहा है, 'मैंने पहले भी मजबूती से कहा है और एक बार फिर से दोहरा रहा हूं, अगर तुर्की कुछ भी ऐसा करता है जो मेरे नजरिए में हद से पार हुआ तो मैं तुर्की की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद कर दूंगा (मैंने पहले किया है!).'
....the captured ISIS fighters and families. The U.S. has done far more than anyone could have ever expected, including the capture of 100% of the ISIS Caliphate. It is time now for others in the region, some of great wealth, to protect their own territory. THE USA IS GREAT!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) October 7, 2019
ट्रंप ने कहा, 'उसे पकड़े गए आईएसआईएस के लड़ाकों और परिवारों पर नजर रखनी चाहिए. यूएस ने 100% आईएसआईएस खलीफाई पकड़ने समेत हमेशा अपेक्षा से ज्यादा किया है. अब यहां खुद के क्षेत्र की रक्षा करने का वक्त है. अमेरिका महान है!'
क्या है मामला?
दरअसल, तुर्की की सीमा से अमेरिका ने अपने सैनिक हटा लिए हैं. जिसके बाद से वहां सिर्फ कुर्द ही बच गए हैं. ये आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के साथ खड़े थे. हालांकि अब माना ये जा रहा है कि तुर्की की सेना यहां के कुर्द लड़ाकों पर हमला कर सकती है.
कुर्दों को क्यों हटाना है?
आईएसआईस के खिलाफ लड़ाई में कुर्दों ने अमेरिका की काफी मदद की थी. हालांकि तुर्की कुर्दों को हटाना चाहता है. तुर्की कुर्दों को आतंकवादी मानता है. तुर्की का कहना है कि कुर्द तुर्की में सक्रिय अलगाववादी संगठनों की मदद करते हैं.
क्यों हुई आलोचना?
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के जरिए उत्तरी सीरिया की सीमा से अमेरिकी सशस्त्र बलों को हटाए जाने के फैसले पर काफी आलोचना हुई थी. वहीं ट्रंप ने बचाव में कहा था कि अमेरिका अपने हिस्से का काम कर चुका है. अब दूसरे लोग अपने हिस्से का काम करेंगे.
पाकिस्तान और तुर्की में संबंध
पाकिस्तान और तुर्की के बीच संबंध भारत की तुलना में काफी अच्छे हैं. दोनों मुल्क इस्लामिक दुनिया के सुन्नी प्रभुत्व वाले देशों में गिने जाते हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन के संबंध काफी बेहतर हैं.
तुर्की पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में कश्मीर का मुद्दा भी उठा चुका है. तुर्की के राष्ट्रपति का कहना था कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद कश्मीर में 80 लाख लोग फंसे हुए हैं.