अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 22 सितंबर को टेक्सास के ह्यूस्टन में होने वाले ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में चीफ गेस्ट होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अमेरिकी दौरे पर भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे, जहां पर 50 हजार से अधिक लोग शामिल होने वाले हैं. ऐसा पहली बार होगा जब ट्रंप-मोदी इस तरह एक बड़े कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. हालांकि, इस कार्यक्रम से दुनिया को बड़ा संदेश मिलेगा जब दुनिया के सबसे बड़े और पुराने लोकतंत्र के नेता साथ होंगे.
दुनिया को मिलेगा बड़ा संदेश
चीन के साथ चल रही अमेरिका की ट्रेड वॉर और कश्मीर मसले पर पाकिस्तान के साथ भारत के तनाव के बीच दोनों नेताओं का यूं साथ आना बड़ा संदेश देता है. भारत उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और चीन-अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वॉर का फायदा उठा सकता है, इसी दौरे पर पीएम अमेरिका के बड़े उद्योगपतियों के साथ राउंडटेबल पर चर्चा करेंगे.
अमेरिका ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 पर भारत का साथ दिया है. डोनाल्ड ट्रंप ने पहले मध्यस्थता की बात तो की लेकिन बाद में भारत के सख्त रुख से उन्होंने कहा कि मध्यस्थता तभी होगी जब भारत कहेगा. और पीएम मोदी ने साफ कहा कि ये भारत का ही मसला है.
अमेरिकी चुनाव में मोदी का जलवा?
खास बात ये भी है कि अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और इसी साल नवंबर से प्रीमियर चुनाव शुरू हो जाएंगे. ऐसे में इस कार्यक्रम को अमेरिकी राजनीतिक पंडित इस नजरिए से भी देख रहे हैं. दरअसल, अमेरिका में 50 लाख के करीब भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं जो चुनाव के वक्त किसी का भी पलड़ा भारी कर सकते हैं.
ऐसे में हर कोई अपने-अपने तरीके से भारतीय समुदाय के वोटरों को अपनी ओर खींचना चाहता है. यही कारण है कि हाउडी मोदी में ना सिर्फ रिपब्लिकन बल्कि डेमोक्रेट्स के सांसद भी शामिल हो रहे हैं.
2016 के चुनाव में भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रचार के दौरान ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’, ‘आई लव हिंदू’, ‘आई लव मोदी’ जैसे नारों-शब्दों का प्रयोग किया था और भारतीय समुदाय के वोटरों को लुभाने की कोशिश की थी.
टेक्सास ही क्यों है खास?
टेक्सास अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, क्षेत्रफल और जनसंख्या दोनों के हिसाब से. यहां अगर वोटरों की बात करें तो करीब 4 फीसदी वोटर एशियाई मूल के हैं (2018 के हिसाब से), जिसमें अधिकतर संख्या भारतीय समुदाय के वोटरों की है.
अगर ताजा बात करें तो टेक्सास में कांग्रेसमैन (सांसद), गवर्नर दोनों ही रिपल्बिकन पार्टी के हैं, लेकिन ये हमेशा डेमोक्रेट्स का ही गढ़ रहा है. इसके अलावा एक खास आंकड़ा ये भी है कि 2016 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दावेदारी में डोनाल्ड ट्रंप खड़े थे तो वह टेक्सास में अपनी पार्टी में ही पिछड़ गए थे.
रिपब्लिकन पार्टी में प्रीमियर चुनाव के दौरान टेड क्रूज़ को 43 फीसदी और डोनाल्ड ट्रंप को मात्र 26 फीसदी वोट मिले थे. हालांकि, पूरे अमेरिका में बढ़त के कारण डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी जीत गए थे. जिसके बाद जब मुकाबला डोनाल्ड ट्रंप बनाम हिलेरी क्लिंटन के बीच हुआ तो ट्रंप को 52 फीसदी और हिलेरी को 43 फीसदी वोट मिले थे.
पिछले कुछ चुनावों के डाटा को देखें तो एशियन-भारतीय वोटरों का रुख हमेशा डेमोक्रेट्स के तरफ ही रहा है, ऐसे में रिपल्बिकन पार्टी की तरफ से हमेशा उन्हें रिझाने की कोशिश जारी रहती है.