डोनाल्ड ट्रंप ने अभी एक महीना पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति की कुर्सी को संभाला है. लेकिन वैश्विक स्तर पर कयास लगना शुरू हो चुका है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जल्द ही अमेरिकी सिनेट में महाअभियोग प्रस्ताव (इम्पीचमेंट मोशन) आएगा और वह इतिहास में सबसे कम दिनों में इम्पीच होने वाले राष्ट्रपति बन जाएंगे.
कैलिफॉर्निया से शुरू हुई ट्रंप को इम्पीच करने की कवायद
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कुर्सी से हटाने की कवायद एक महीने में ही शुरू हो चुकी है. कैलिफॉर्निया की रिचमंड सिटी काउंसिल ने सर्वसम्मति से अमेरिकी संसद से गुहार लगाई है कि वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ इम्पीचमेंट प्रस्ताव लाने के लिए जांच शुरू करे.
कैलिफॉर्निया से सदस्य गेल मैकलॉघलिन ने इस प्रस्ताव को बढ़ाते हुए दलील दी है कि राष्ट्रपति ट्रंप का बिजनेस पूरी दुनिया में फैला हुआ है और जिसका पूरा ब्यौरा देने से वह मना कर चुके हैं. संविधान और कानून के मुताबिक यह पर्याप्त वजह है कि संसद उनके खिलाफ इम्पीचमेंट प्रस्ताव लाने के लिए जांच की प्रक्रिया को शुरू करे.
(कैलिफॉर्निया सिटी काउंसिल से पास हुआ इम्पीचमेंट जांच का प्रस्ताव)
क्यों ट्रंप को हटाने का लग रहा कयासRichmond's city council will vote on a resolution calling for the impeachment of Donald Trump. pic.twitter.com/rDEf4MUk9g
— Darwin BondGraham (@DarwinBondGraha) February 17, 2017
अब अमेरिकी संविधान में राष्ट्रपति के इम्पीचमेंट के लिए दी गई शर्तों में लगभग सभी शर्तों पर डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप लगाया जा सकता है. इन आरोपों में से किसी एक के भी सही पाए जाने पर अमेरिकी संसद में नए राष्ट्रपति को इम्पीच करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. जानिए किन कारणों से इम्पीच हो सकते हैं डोनाल्ड ट्रंप
1. डोनाल्ड ट्रंप का बिजनेस इंटरेस्ट
अमेरिकी संविधान और गवर्नमेंट एथिक्स के एक्सपर्ट्स ने नंवबर में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव के बाद ही उन्हें सलाह दी थी कि वह दुनियाभर में फैले अपने कारोबार को बेचकर उन क्षेत्रों में निवेश करें जिससे बतौर राष्ट्रपति उनकी शक्तियों पर आंच न आए अथवा वह कारोबार बेचने के बाद मिली रकम को किसी ब्लाइंड ट्रस्ट में डाल दें. गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप के कई बिजनेस इंटरेस्ट हैं और उन्हें दुनिया के कई देशों से उनकी नियमित आमदनी होती है. इसमें विदेशी सरकारों के साथ-साथ अमेरिकी राज्यों की सरकारें और खुद अमेरिका की फेडरल सरकार भी शामिल हैं. उनकी यह आमदनी बतौर राष्ट्रपति संविधान के खिलाफ है.
2. विवादों में ट्रंप प्रशाषन (गबन और दमन)
ट्रंप के एक महीने के कार्यकाल में उनके नैशनल सिक्योरिटी एडवाइजर माइकल फ्लिन इस्तीफा दे चुके हैं. फ्लिन पर आरोप था कि नवंबर में ट्रंप के चुने जाने के बाद दिसंबर में उन्होनें रूस के राजदूत को राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाने की कोशिशों की चर्चा की थी. इस मामले में यह साफ हुआ कि रूस ने अमेरिकी चुनाव में दखलअंदाजी की थी. इसके अलावा ट्रंप द्वारा सीआईए और सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी के लिए चुने गए सीनेटर डेविन नून्स और सीनेटर रिचर्ड बर्र की भूमिका भी संदिग्ध साबित हुई जिससे ट्रंप को नैशनल सिक्योरिटी एडवाइजर का इस्तीफा मांगना पड़ा.
3. विदेशी ताकतों के विश्वास को धक्का
डोनाल्ड ट्रंप ने इमीग्रेशन के मुद्दे पर पड़ोसी मित्र देशों समेत खाड़ी के मुस्लिम देशों और एशियाई देशों को निशाने पर लिया. अपने पहले महीने के कार्यकाल के दौरान वह 7 मुस्लिम देशों को वीजा दिए जाने पर प्रतिबंध लगा चुके हैं. मेक्सिकों जैसे मित्र देश से बॉर्डर पर दीवार बनाने के लिए पैसे मांगनें का दवाब बढ़ा रहे हैं. वहीं वह एशियाई देशों से आईटी और फार्मा क्षेत्रों में अमेरिका में एच1बी वीजा पर काम कर रहे इमीग्रेंट्स को बाहर निकालने की तैयारी कर रहे हैं. जाहिर है कि इन फैसलों से अमेरिकी सरकार के अंतरराष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचने की पूरी आशंका है और संविधान के मुताबिक यह भी एक वजह डोनाल्ड ट्रंप को कुर्सी से बेदखल करने के लिए पर्याप्त है.