डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के 24 घंटों के अंदर काफी बड़े फैसले लिए गए हैं. अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर इमरजेंसी लग चुकी है. अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की तैयारी हो चुकी है. ट्रंप की तरफ से युद्ध रुकवाने के लिए धमकी देना भी शुरू हो चुका है. ट्रंप ने पुतिन को रूस-यूक्रने युद्ध रोकने की धमकी दी है. उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने युद्ध नहीं रोका तो रूस बर्बाद हो जाएगा. इसलिए भलाई इसी में है कि वो हथियार डाल दें. हालांकि, ट्रंप की इन धमकियों का असर रूस पर होता नहीं दिख रहा है. जिससे पता चल रहा है कि उनके पास जंग रुकवाने का कोई पुख्ता प्लान नहीं है.
दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध से दुनिया तंग आ चुकी है और इसका जल्द जल्द से समाधान चाहती है. इसलिए ये जानते हुए भी कि ट्रंप की बड़बोलेपन की आदत पुरानी है. सारी दुनिया उनके मुंह से सुनना चाहती है कि वो इस जंग को कब रुकवा देंगे.
100 से ज्यादा फाइलों पर किए साइन
राष्ट्रपति पद का कामकाज संभालने के पहले दिन ही डोनाल्ड ट्रंप ने 100 से ज्यादा सरकारी आदेशों पर साइन किए. शपथ ग्रहण के तुरंत बाद अपने ओवल ऑफिस में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कई आदेशों पर हस्ताक्षर किए और पत्रकारों को बताया कि वो इस बार वो ज्यादा आत्मविश्वास से भरा महसूस कर रहे हैं.
ट्रंप करीब 50 मिनट तक फाइलों पर साइन करते हुए पत्रकारों से बात करते रहे. ट्रंप से दर्जनों सवाल पूछे गए लेकिन बार-बार जिस बात को घुमा फिराकर पूछा गया वो रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़ी थी.
वहीं, जब उनसे पूछा कि पुतिन से कब मिल रहे हैं? तो उन्होंने (ट्रंप) कहा, हमारी मुलाकात बहुत जल्द हो सकती है. आपको क्या लगता है कि ये जंग कब तक रुकेगी? इसके लिए मुझे पुतिन से बात करनी होगी. जंग से उनकी हालत अच्छी नहीं है. ज्यादातर लोग समझते थे कि रूस-यूक्रेन युद्ध एक हफ्ते में खत्म हो जाएगा, लेकिन इसे 3 साल हो गए हैं, इसलिए उनकी हालत पतली है.
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है पुतिन को ये जंग बंद कर देनी चाहिए. यूक्रेन के साथ लड़ते हुए लाखों रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं. यूक्रेन के भी सैनिक मरे हैं, लेकिन रूस ने ज्यादा सैनिक खोए हैं. देश ऐसे नहीं चलता. मैं समझता हूं कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर ज़ेलेंस्की रूस के साथ युद्ध समाप्त करने के लिए समझौता करना चाहते हैं. पुतिन का मुझे पता नहीं. युद्ध न रोककर पुतिन रूस को तबाह कर रहे हैं. युद्ध की वजह से रूस इस वक्त बहुत मुश्किल में है. मेरी पुतिन से खूब जमती है, मैं उम्मीद करता हूं कि वो जल्द ही समझौता करना चाहेंगे.
बदले ट्रंप के सुर!
यही ट्रंप थे, जिन्होंने चुनाव जीतने के बाद रूस की जमकर तारीफ करते हुए उसकी सेना को शक्तिशाली बताया था. लेकिन अब ट्रंप के सुर न सिर्फ बदल गए बल्कि वो पुतिन को ये समझाने में लग गए कि क्यों जंग के जल्द से जल्द रोकने में उनकी भलाई है.
ट्रंप ने रूस के युद्ध की वजह से रूस और यूक्रेन दोनों देशों को अभूतपूर्व नुकसान वाले बयान पर जोर देते हुए पुतिन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द उन्होंने युद्ध नहीं रोका तो रूस तबाह हो जाएगा. वहीं, यूक्रेन का दावा है कि 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक रूस के 8,15,820 सैनिक मारे जा चुके हैं. हालांकि, रूस इससे इनकार करता रहा है.
रूस को हुआ भारी नुकसान!
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के अनुसार, यूक्रेन के साथ युद्ध में रूस को अपनी सेना तैनात करने, हथियारों और रसद पर 211 अरब डॉलर यानी करीब 18 लाख करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है. इसके अलावा अमेरिका और जी 7 के सदस्य देशों ने रूसी केंद्रीय बैंक के 320 अरब डॉलर यानी करीब 27 लाख करोड़ रुपये ब्लॉक कर दिए थे. क्योंकि रूस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
इसके अलावा तेल की कीमतों में गिरावट से रूस को 100 अरब डॉलर यानी करीब 8.5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इस तरह अगर सभी नुकसान को जोड़ लिया जाए तो कुल 1.3 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 109 लाख करोड़ रुपये का नुकसान रूस को होने का अनुमान है.
प्रेशर पॉलिटिक्स नहीं आएगी काम!
ट्रंप अपने पत्ते खोलने से बच रहे हैं. यही बात रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति को बेचैन कर रही है. विरोधी को धमकाना ट्रंप की पुरानी आदत रही है. इस तरह वो सामने वाले को दबाव में डालकर अपनी बात मनवाते रहे हैं, लेकिन मुसीबत ये है कि उनके सामने पुतिन और जिनपिंग जैसे माहिर खिलाड़ी हैं जो हर दांवपेंच जानते हैं. इसलिए ट्रंप ने धमकाया तो पुतिन ने फौरन जिनपिंग को वीडियो कॉल लगाकर बात करके जता दिया कि ट्रंप की प्रेशर पॉलिटिक्स काम नहीं आने वाली. पुतिन ने वीडियो कॉल लगाकर ट्रंप को सीधा संदेश देने की कोशिश की है. पुतिन और जिनपिंग की इस बातचीत की वीडियो टाइमिंग काफी कुछ कहती है.
इससे पहले पुतिन ने ट्रंप को जीत पर बधाई देते हुए ये जताने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि युद्ध न रुकने की वजह जेलेंस्की और उसके मददगार हैं. रूस की तरफ से साफ कर दिया गया कि वो ट्रंप की शांति की पहल पर आगे बढ़ने को तैयार हैं. लेकिन अमेरिका और यूक्रेन ही अभी तक शांति नहीं होने दे रहे थे.
भारत को महत्व
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण समारोह से दुनिया भर को कई संदेश दिए. उन्होंने शपथ लेते ही अमेरिका फर्स्ट की नीति लागू करने का ऐलान कर दिया, लेकिन कूटनीति में वो भारत जैसे देशों को प्राथमिकता देता है. इसका सबूत शपथ ग्रहण समारोह में देखने को मिला. जब वॉशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे एस जयशंकर शपथ ग्रहण के दौरान पहली कतार में बैठे थे. वो भी डोनाल्ड ट्रंप के ठीक सामने.
इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र लेकर पहुंचे थे. जिसे उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप को सौंप दिया है.
वहीं, ट्रंप के शपथग्रहण पर पीएम मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा कि मैं एक बार फिर साथ मिलकर काम करने, दोनों देशों को लाभ पहुंचाने और दुनिया के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए तत्पर हूं. आने वाले सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं. इससे पहले जयशंकर कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका के अलग-अलग सभी राष्ट्रपतियों के साथ अच्छा और स्वाभाविक रूप से करीबी संबंध रहा है.