अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने कैबिनेट के साथियों की लिस्ट बनाने में जुट गए हैं. ट्रंप ने रक्षा मंत्री के तौर पर जेम्स मैटिस का नाम चुना है. इस बारे में औपचारिक ऐलान अगले हफ्ते होने की उम्मीद है.
ट्रंप दो हफ्ते पहले मैटिस से मिले और अगले दिन ही ट्रंप ने उनकी जमकर तारीफ कर डाली. ट्रंप ने नए रक्षा मंत्री के नाम का खुलासा करते हुए ट्वीट किया कि रक्षा मंत्री के पद के लिए जनरल जेम्स 'मैड डॉग' के नाम पर विचार किया जा रहा है. ट्रंप के इस ट्वीट में ऐसे टर्म का इस्तेमाल किया गया जो कौतूहल पैदा करता है. आखिर ट्रंप ने मैटिस के लिए 'मैड डॉग' का इस्तेमाल क्यों किया?
66 साल के जनरल जेम्स मैटिस का नाम उनकी पीढ़ी के सबसे ज्यादा सम्मानित अफसरों में शुमार है. करीब चार दशकों की मरीन कोर में सर्विस के बाद मैटिस साल 2013 में अमेरिकी सेना से रिटायर हुए थे. इसके बाद से वो स्टैनफोर्ड के प्रतिष्ठित हूवर संस्थान में थिंक-टैंक स्कॉलर और कई प्राइवेट कंपनियों में बतौर बोर्ड मेंबर काम कर रहे हैं.
भाषा है आक्रामक
मैटिस एक रणनीतिक विचारक तो रहे ही हैं, अपनी आक्रामक भाषा के चलते कई बार विवादों में भी रहे है. 2005 में सैन डियागो में एक पैनल डिस्कसन के दौरान मैटिस ने कहा था, 'कुछ लोगों को गोली मारना मजेदार लगता है' और 'मैं कलह पसंद करता हूं'. मैटिस के इन शब्दों से उस वक्त के मरीन कमांडेंट जनरल माइकल हेजी की भौंहें तन गई थीं. मैटिस ने कभी कहा था, 'विनम्र बनो, प्रोफेशनल बनो, लेकिन उस हर शख्स को मारने का प्लान भी दिमाग में रखो जिससे तुम मिलते हो.'
ट्रंप की तरह मैटिस भी अमेरिका के दुश्मनों खासकर ईरान के प्रति कड़ा रवैया अपनाने वाले शख्सियत हैं. मैटिस का कहना है कि ओबामा प्रशासन की ओर से परमाणु समझौते पर दस्तखत करने से परमाणु हथियार हासिल करने की ईरान की लालसा कम तो होगी लेकिन हम उसे ऐसा करने से रोक नहीं पाएंगे.
दुश्मन की तबाही में यकीन
मैटिस को 'मैड डॉग' के अलावा 'वॉरियर मोंक' भी कहा जाता है. बीते 20 वर्षों के दौरान जनरल मैटिस ने अमेरिकी सेना के बेहद अहम ऑपरेशंस की अगुवाई की. वन स्टार जनरल के तौर पर मैटिस ने नवंबर 2001 में अमेरिकी मरीन के कमांडो की अगुवाई की थी.
इन कमांडो ने अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में हेलिकॉप्टरों से हमलाकर आतंकवादियों के ठिकाने तबाह कर दिए थे. 9/11 हमले के बाद तालिबान के खिलाफ अमेरिका की पहली सबसे बड़ी कामयाबी थी. 2003 में मैटिस ने इराक पर अमेरिकी हमले के दौरान मरीन फोर्सेज की एक टुकड़ी की अगुवाई की थी. मैटिस की अगुवाई में अमेरिकी मरीन ने उसी साल फजुल्ला शहर में चरमपंथियों से जमकर लोहा लिया था.
...मगर ये कानूनी पेंच भी
हालांकि, मैटिस की रक्षा मंत्री के पद पर नियुक्ति की राह इतनी आसान नहीं है. अमेरिकी कानून के मुताबिक पिछले सात वर्षों के दौरान मिलिट्री में रहे किसी शख्स को सिविलयन पोस्ट पर नहीं रखा जा सकता है. ऐसे में अमेरिकी कांग्रेस तबतक मैटिस के नाम पर मुहर नहीं लगाएगी जबतक कानून में संशोधन न किया जाए.
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब किसी रिटायर्ड मिलिट्री अफसर को सात साल के भीतर इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी जा रही है. 1950 में जनरल जॉर्ज सी मार्शल को भी इसी तरह अमेरिका का रक्षा मंत्री बनाया गया था.