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ट्रंप ने कहा, उत्‍तर कोरिया पर नहीं चाहते सैन्‍य कार्रवाई, पर खुला है विकल्प

रंप का कहना है कि उत्तर कोरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की संभावना हमेशा रहेगी लेकिन यह हमारी प्राथमिकता नहीं होगी. उन्होंने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि सैन्य कार्रवाई एक विकल्प है. वहीं यह पूछने पर कि क्या यह अनिवार्य है? तो उन्‍होंने कहा कि कुछ भी अनिवार्य नहीं है.

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डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप

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उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम के परीक्षण पर अमेरिका की तरफ से कड़ी प्रतिक्र‍िया आई थी. अमेरिका ने साफ कहा था कि अब बहुत हो चुका उत्‍तर कोरिया के खिलाफ कड़े कदम उठाने होंगे. वहीं अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने कहे से पीछे हटते दिख रहे हैं.

ट्रंप का कहना है कि उत्तर कोरिया के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की संभावना हमेशा रहेगी लेकिन यह हमारी प्राथमिकता नहीं होगी. उन्होंने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि सैन्य कार्रवाई एक विकल्प है. वहीं यह पूछने पर कि क्या यह अनिवार्य है? तो उन्‍होंने कहा कि कुछ भी अनिवार्य नहीं है.

नहीं करना चाहते सैन्य कार्रवाई

ट्रंप ने कहा कि मैं यकीनन सैन्य कार्रवाई का विकल्प पसंद नहीं करूंगा. हालांकि मैं आपको बता दूं कि उत्तर कोरिया बहुत बुरी तरह से पेश आ रहा है और इसे रोकना होगा. ट्रंप ने बुधवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ टेलीफोन पर बातचीत करने के बाद कहा था कि चीन चाहता है कि उत्तर कोरिया की सरकार संयम बरते.

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अमेरिका के रक्षा मंत्री जेम्स मैट्टिस ने पिछले रविवार को कहा था कि यदि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को कोई खतरा होता है तो उत्तर कोरिया को भारी सैन्य कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. गौरतलब है कि उत्तर कोरियाई सरकार पहले ही अमेरिका के गुआम द्वीप स्थित अमेरिका की सैन्य इकाइयों पर हमला करने की योजना के बारे में बातें कर चुकी है.

संयुक्‍त राष्‍ट्र में दी थी कड़ी प्रतिक्रिया

अमेरिकी राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया था. अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने कहा था कि हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद अब संयुक्त राष्ट्र के रक्षा परिषद को उत्‍तर कोरिया के खि‍लाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत है. वहीं खुद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी उत्‍तर कोरिया को जवाब देने की बात कह रहे थे.

अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि 'मैं सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कहूंगी, बस बहुत हो चुका।' उन्होंने यह भी कहा था कि किम जोंग उन का कदम रक्षात्मक नहीं है. उत्तर कोरिया परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता चाहता है और युद्ध की मांग कर रहा है.

 

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