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हिंसा के बाद कठघरे में खड़े डोनाल्ड ट्रंप का बयान- 20 जनवरी को जो बाइडेन के शपथ समारोह में नहीं जाऊंगा

जो बाइडेन के हाथों हार का सामना करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के समारोह में जाने को लेकर सस्पेंस बना हुआ था. लेकिन अब उन्होंने ट्वीट कर साफ कर दिया है कि वो समारोह में शामिल नहीं होंगे.

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डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 20 जनवरी को है शपथ ग्रहण समारोह
  • डोनाल्ड ट्रंप ने जाने से किया इंकार
  • हिंसा के बाद निशाने पर हैं डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका में हिंसा के बाद कठघरे में खड़े राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में जाने से इंकार कर दिया है. दरअसल, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. बाइडेन के हाथों हार का सामना करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के समारोह में जाने को लेकर सस्पेंस बना हुआ था, लेकिन अब उन्होंने ट्वीट कर साफ कर दिया है कि वो समारोह में शामिल नहीं होंगे.

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डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया कि जिन लोगों ने भी पूछा, मैं 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में नहीं जाऊंगा. बता दें कि अमेरिका में हिंसा के बीच गुरुवार को कांग्रेस ने जो बाइडेन की जीत पर मुहर लगाई. अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन को 306 इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिले हैं, जो बहुमत से ज्यादा हैं. राष्ट्रपति बनने के लिए 270 वोटों की जरूरत होती है. कांग्रेस की मंजूरी के बाद जो बाइडेन आधिकारिक तौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति होंगे. 

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जो बाइडेन की जीत पर मुहर लगने के बाद डोनाल्ड्र ट्रंप ने बयान दिया था. उन्होंने कहा कि 20 जनवरी को कानून के मुताबिक जो बाइडेन को सत्ता का हस्तांतरण किया जाएगा. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि वो चुनावी नतीजों का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन इसके बावजूद सत्ता को जो बाइडेन को सही तरीके से सौंपेंगे. डोनाल्ड ट्रंप ने हार नहीं स्वीकार की और उन्होंने चुनाव के नतीजों को कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया. 

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मुहर से पहले जमकर बवाल

इससे पहले गुरुवार को अमेरिका में जमकर बवाल मचा. कैपिटल हिल में जब इलेक्टोरल कॉलेज की प्रक्रिया चल रही थी जिसके तहत जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने पर मुहर की तैयारी थी, हजारों की संख्या में ट्रंप समर्थकों ने वॉशिंगटन में मार्च निकाला और कैपिटल हिल पर धावा बोला. यहां डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता में बनाए रखने, दोबारा वोटों की गिनती करवाने की मांग की जा रही थी. 

सैकड़ों की संख्या में समर्थकों ने सीनेट में घुसपैठ की, वहां तोड़फोड़ की और कई दफ्तरों पर कब्जा कर लिया. हालांकि, नेशनल गार्ड्स ने वक्त रहते उन्हें बाहर निकाला. इस पूरी हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी. 


 

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