अमेरिका में कोरोना वायरस के संकट के कारण राष्ट्रपति चुनाव पर संकट के बादल छाने लगे हैं. खुद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि चुनावों की तारीख को आगे बढ़ाया जा सकता है. लेकिन अब इसी पर बवाल हो गया है और ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन के सदस्यों और सांसदों ने ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, रिपब्लिकन पार्टी के करीब एक दर्जन कांग्रेसमैन और पार्टी के सदस्यों ने विरोध दर्ज कराया है. पार्टी के नेतृत्व को कहा गया है कि राष्ट्रपति को इस तरह का बयान देने का हक नहीं है और ना ही वो ऐसा फैसला ले सकते हैं. बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग की तारीख तय होती है, इस बार ये तारीख 3 नवंबर है.
रिपब्लिकन के सदस्यों ने कहा है कि चुनाव की तारीख सिर्फ संसद ही तय कर सकती है, ऐसे में राष्ट्रपति ऐसे बयान ना दें तो बेहतर होगा. रिपब्लिकन पार्टी के कांग्रेसमैन का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप कुछ भी कहें, लेकिन तीन नवंबर को ही चुनाव होगा.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, चुनाव में हो सकती है देरी
इसके साथ ही हवाला दिया गया कि अमेरिकी संविधान के आर्टिकल दो के सेक्शन एक के तहत चुनाव की तारीख और समय तय करने का अधिकार सिर्फ कांग्रेस (अमेरिकी संसद) को है. कोई भी सरकार या राष्ट्रपति इसे खुद पारित नहीं कर सकता है.
दरअसल, बीते दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर लिखा था कि कोरोना संकट के कारण मेल-इन वोटिंग हो रही है, जिसके कारण इतिहास का सबसे भ्रष्ट चुनाव होने जा रहा है. ऐसा अमेरिका सह नहीं सकता है, इसलिए चुनाव को टाल देना चाहिए जबतक की लोग सुरक्षित महसूस ना करें.
डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए उनके प्रतिदंद्वी जो बिडेन ने भी निशाना साधते हुए कहा था कि तीन नवंबर के बाद जब मैं राष्ट्रपति बनूंगा तो अमेरिकी लोगों को मेरे ट्वीट से परेशान नहीं होना पड़ेगा.
इतना ही नहीं इसके बाद भी डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया कि अगर मेल इन से चुनाव हो भी गया तो नतीजे आने में काफी महीने का वक्त जाया हो सकता है. मुझे नहीं लगता कि अमेरिका के लोग ऐसा चाहेंगे. इससे पहले 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भी विवाद हुआ था जब विपक्षियों ने आरोप लगाया था कि डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की सहायता से जीत दर्ज की है.